अनजान महिला को होटल में चोदा- 1

औरत सेक्स की कहानी में पढ़ें कि कैसे मुझे सड़क पर एक औरत मिली. उसने रास्ता पूछने के बहाने मुझे कार में बिठा लिया. उसके बाद उसने कैसे मुझे सेक्स के लिए पटाया.

मेरा नाम रोहित है. मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ. मैंने एक बार एक अनजान आंटी को होटल में चोदा था.
आज मैं उसी औरत सेक्स की कहानी को लेकर आपसे मुखातिब हूँ.

वैसे तो मैं अन्तर्वासना का एक बहुत पुराना पाठक हूँ मगर किसी संकोच के चलते मैंने आजतक अपनी कोई भी सेक्स कहानी को नहीं लिखा था.

ये मेरी पहली औरत सेक्स की कहानी है.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ. मैं अच्छा ख़ासा मर्दाना जिस्म का मालिक हूँ और मेरे लंड का साइज़ आठ इंच है. ये काफी मोटा भी है.

मैंने आज तक जितनी भी चुत वालियों को चोदा है, वो सब मेरे लंड की दीवानी बन गई थीं और बार बार मुझे उन्हें चोदने का अवसर मिलता रहा है.
मगर मुझे हर बार किसी नई चुत को चोदने का मन रहता था.

तो हुआ कुछ यूं कि एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर आ रहा था.
उस दिन शनिवार था तो मुझे ऑफिस से लौटने में देर हो गई थी.

मैं अपनी मस्ती में अपने रूम की तरफ बढ़ा चला जा रहा था. तभी मुझे चाय पीने की तलब लगी.

सड़क के किनारे बनी एक गुमटी में एक अकेला चाय वाला बैठा था.
मैंने उससे एक चाय मांगी तो उसने एक बना बना कर मुझे थमा दी.

मैं चाय की चुस्कियां लेते हुए अपनी कुछ चुदाई की कहानी को सोचने लगा.
आज मेरा बड़ा मन हो रहा था कि दारू के साथ किसी चुत को चोदने का मौक़ा मिल जाए तो संडे का मजा आ जाए.

तभी एक काले रंग की हौंडा सिटी कार मेरे सामने से निकली.

उसने एकदम से अपनी रफ्तार स्लो की मगर रुकी नहीं. वो कार उसी स्लो स्पीड में आगे निकल गई.

मैंने बस इतना देखा था कि उस कार को एक महिला चला रही थी और वो कार में अकेली थी. मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

मेरी चाय खत्म हो चुकी थी, तो मैंने चाय वाले को पैसे दिए और आगे बढ़ चला.

अभी कुछ ही दूर चला था कि मुझे वो कार खड़ी दिखी.
मैं उस तरफ बिना ध्यान दिए आगे चलता रहा.

तभी एक मिनट बाद वही कार मेरे बाजू में आकर रुकी.
मैंने कार की तरफ देखा तो शीशा खुल चुका था और उसके अन्दर एक शानदार व्यक्तित्व की महिला कार की ड्राइविंग सीट पर बैठी थी.

मैंने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मुझे पूछा- क्या मैं आपको कहीं तक की लिफ्ट दे सकती हूँ?
मैंने बड़ी विनम्रता से कहा- नहीं मेम, मेरा कमरा यहीं पास में ही है. मैं चला जाऊंगा.

मैडम- क्या आप मेरी कुछ मदद करेंगे?
मैं- हां हां बोलिए … मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ?

मैडम- मुझे चारबाग जाना है. क्या बता पाएंगे कि मुझे किस रास्ते से जाना होगा?
मैंने कहा- मैडम आप सीधी चली जाइए. उधर से आपको एक सर्किल से चारबाग़ की जानकारी मिल जाएगी.

चूंकि मैं इस वक्त चिनहट में था, तो इधर से चारबाग़ काफी दूर था.

मैडम- क्या आप मेरे साथ चल सकते हैं? मुझे रास्ता खोजने में आसानी हो जाएगी.
मैंने कहा- मैडम चारबाग़ काफी दूर है और मुझे वापसी में काफी देर हो जाएगी.

मैडम- मुझे उधर से वापस यहीं आना है. मैं आपको आपके पते पर छोड़ दूंगी.

मैं सोच में पड़ गया कि यार क्या करूं.

मेरा ध्यान मैडम की भरी हुई जवानी पर गया, तो लंड फुदकने लगा.

मैडम ने एक काले रंग की शिफोन की साड़ी पहन रखी थी. जिसका पल्लू लगभग हटा हुआ था. और उनके स्लीबलैस बड़े से गले वाले ब्लाउज में से उनकी दूधिया चूचियां मुझे रिझा रही थीं.

मैं सोचने लगा कि माल तो अच्छा है. अगर हाथ फेरने का अवसर मिल गया तो मजा आ जाएगा. और मौक़ा नहीं मिला तो रात की मां भैन चुद जाएगी.

मैंने कुछ सोचा, तब तक मैडम फिर से बोलीं- आ भी जाइए, मैं कौन सा आपको खा जाऊंगी.

उनकी इस बात से मैं हंस पड़ा और मैंने मैडम के साथ चलने का निर्णय ले लिया.
मैं कार में बैठ गया.

महिला- धन्यवाद आपने मेरी बात मानी. तो बताइए चारबाग़ के बाद मैं आपको किधर छोड़ सकती हूँ … मेरा मतलब आपका रूम किधर है?
मैं- मैं चिनहट में रहता हूँ … आप मुझे उधर ही कहीं छोड़ दीजिएगा. मैं चला जाऊंगा.

मैडम- अरे ऐसे कैसे कहीं भी छोड़ दूं. चिनहट में आपके घर पर ही छोड़ दूंगी न. बताइए चिनहट में किधर रहते हो आप?
मैंने कहा- मेम मैं मेनरोड से अन्दर एक रास्ता जाता है. उधर ही मैंने एक कमरा किराए पर लिया हुआ है. मैं उसी में रहता हूँ.

मैडम- ओके … तो क्या आप इधर अकेले ही रहते हैं?
मैं- जी.

मैडम- क्यों … अब तक आपकी शादी नहीं हुई है क्या?
मैं- जी नहीं अभी मेरी शादी नहीं हुई है. घर के बाकी के लोग बाराबंकी के पास के एक गांव में रहते हैं.
मैडम- ओके … तो क्या आपकी अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?

उन मैडम के मुँह से गर्लफ्रेंड की बात सुनकर मैं चौंक गया कि ये क्या बात कर रही हैं.
वो मैडम कार भी बहुत स्लो चला रही थीं.

मैं चुप था, तो मैडम फिर से बोलीं- आपने बताया नहीं?
मैंने कहा- जी मेरी अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

मैडम- अरे ऐसा कैसे हो सकता है. आप तो इतने हैंडसम हैं फिर क्या कारण है कि आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी? क्या किसी ने आपको अप्रोच नहीं किया?
मैं सकुचाते हुए बोला- मैं किसी बंधन में बंधना पसंद नहीं करता.

मैडम- इसमें बंधन कैसा … कोई गर्लफ्रेंड से शादी करना जरूरी होता है क्या?
मैंने शरारत से मैडम की तरफ देखा और कहा- दरअसल मुझे अभी तक कोई आप जैसी मिली ही नहीं.

ये कह कर मैं हंस दिया.

मैडम भी हंसते हुए बोलीं- ओहो … आप मुझे ही लाइन मार रहे हो.
मैं- नहीं मेम … ऐसी कोई बात नहीं है. मैं भला आपको कैसे लाइन मारने की हिमाकत कर सकता हूँ. वो तो आप एक ऐसे विषय पर मुझे सवाल कर रही थीं, तो मैंने मजाक किया था.

मैंने मैडम से कहा कि चारबाग़ चलने के लिए आप आगे से टर्न ले लीजिएगा.

इस पर मैडम बोलीं- मेरा चारबाग़ जाने का मन बदल गया है. दरअसल मैं लखनऊ पहली बार आई हूँ और मुझे बोरियत हो रही थी इसलिए मैं यूं ही कुछ टहलना चाह रही थी. मुझे इधर के रास्ते मालूम नहीं हैं तो मैंने आपको कार में चारबाग़ की कह कर बिठा लिया है.

मैं उनकी बात सुनकर मस्त हो गया कि हो न हो आज लंड की किस्मत में इनकी चुत लिखी है.

कुछ देर बाद मेरा स्टॉप आ चुका था.

मैंने मैडम से कहा- बस आप कार रोक दीजिएगा. बस इसी गली में अन्दर मेरा कमरा है.
मैडम ने कार रोकते हुए कहा- क्या मैं आपसे कुछ और मदद मांग सकती हूँ?

मैंने कहा- हां बताइए न?
मैडम बोलीं- दरअसल मैंने बताया न कि मैं इस शहर में नई हूँ. मुझे बहुत तेज भूख लग रही है और मुझे नहीं मालूम कि इधर अच्छा खाना किधर मिल सकता है. आप मेरे साथ चलिए आप भी तो घर जाकर डिनर ही करेंगे न … तो क्यों न हम दोनों कहीं अच्छी सी जगह पर बैठ कर डिनर कर लेते हैं. उसके बाद मैं आपको आपके कमरे पर छोड़ जाऊंगी.

मुझे अब तक इस बात का अहसास हो गया था कि मैडम को लंड के डिनर की जरूरत है और मैं भी हाथ आई इस परी को कैसे छोड़ सकता था. मैं तो वैसे ही नई नई चुत चोदने का रसिया था. सो मैंने मैडम से डिनर के लिए हामी भर दी.

मैं- हां आज वैसे भी ऑफिस से वापस आने में मुझे काफी देर हो गई है. तो मैं भी कहीं बाहर ही खाना खाने की सोच रहा था.
मैडम- वाह क्या बात है. आज आपके साथ डिनर का मजा भी मिल जाएगा.

मैंने मन ही मन मैंने उसके कहे इस वाक्य पर गौर किया कि आज डिनर का मजा ‘भी …’ मिल जाएगा.
मतलब मैडम को लंड के साथ खाना भी खाने का मन है.

मैंने उनसे कहा- तो चलिए कार घुमा लीजिएगा. अब हम दोनों एक होटल में खाने के चलते हैं.
मैडम ने कार मोड़ ली.

मैं रास्ता बताता गया और कुछ ही मिनट बाद हम दोनों एक रेस्तरां में आ गए.
उधर केबिन बने हुए थे. मैं अक्सर अपने साथ व्हिस्की का मजा लेने के लिए इस रेस्ट्रोरेंट में आता रहता था.

मैंने सकुचाते हुए मैडम से पूछा- मैं कुछ ड्रिंक एन्जॉय करना चाहता हूँ यदि आपको कोई दिक्कत न हो तो!
मैडम ने खुश होते हुए कहा- हां यार मैं भी ड्रिंक के मूड में थी. यदि आप न कहते तो अगले ही पल मैं आपको ये ऑफर करने वाली थी. चलो हम पहले ड्रिंक ले लेते हैं, फिर अन्दर डिनर के लिए चलेंगे.

मैंने उनकी तरफ देखा, तो उन्होंने पीछे की सीट पर रखे अपने बैग से एक विह्स्की की बोतल निकाल कर मुझे थमा दी.
मैडम- इसे खोलो, तब तक मैं गिलास निकालती हूँ.

वो वापस पीछे मुड़ कर अपने बैग से गिलास आदि निकालने लगीं.

मैंने कहा- कार में लेने में मजा नहीं आएगा. अन्दर चल कर लेते हैं.
मैडम- अन्दर क्या कमरे भी हैं, जो वहां चल कर लेना पसंद करोगे?

इतना कह कर मैडम हंस दीं.
मैं भी हंस दिया.
क्योंकि हमारी लेने वाली बात कुछ और ही अर्थ निकाल रही थी.

मैंने संजीदा होते हुए कहा- अरे आप चलिये तो … अन्दर केबिन बने हैं, उसी में बैठ कर ड्रिंक इंजॉय करेंगे.
मैडम- अच्छा अन्दर बैठ कर लेंगे.
मैं जोर से हंस पड़ा- हां अब तो अन्दर ही लूंगा.

मैडम ने हंसते हुए बोतल को एक छोटे बैग में रखा और नीचे उतर आईं.
मैं भी उतर कर मैडम के साथ होटल के एक केबिन में आ गया.

बेयरा ने आकर हमारे लिए सब व्यवस्था की और हम दोनों ने तीन तीन पैग खींच लिए.

तभी मैंने अपनी जेब से विल्स सिगरेट की डिब्बी और लाइटर निकालकर मैडम से पूछा- क्या मैं ले सकता हूँ?
मैडम ने आंखें नचाते हुए कहा- बड़े शौक से लो … मैं खोलूँ?
हम दोनों एक बार से हंस पड़े.

मैडम ने डिब्बी उठाई और उसमें से एक सिगरेट निकाल कर सुलगाई. एक लम्बा कश खींच कर सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी.
मैंने उनकी कोमल उंगलियों से सिगरेट ले ली और छल्ले उड़ाने लगा.

मैडम बोलीं- कैसा लगा?
मैं समझ गया कि मैडम अपने होंठों के स्वाद के बारे में पूछ रही हैं.

मैंने कहा- शहद सा मीठा स्वाद आया.

मैडम को नशा हो गया था.
वो लहराते हुए बोलीं- शहद को सीधे चखने का मजा कुछ और ही होता है.
मैंने भी झौंक में कह दिया- हां सो तो है … मौका मिलेगा … तो सीधे भी चख लूंगा.
मैडम हंस दीं- हां हां क्यों नहीं.

फिर जो खाने का ऑर्डर दिया था, वो लग गया और हम दोनों ने इसे तरह की दो अर्थी बातों का लुत्फ़ लेते हुए खाना खत्म किया.

खाने के बाद मैं होटल का बिल देने लगा, तो मैडम ने मुझे रोक दिया और खुद पेमेंट करके हम दोनों बाहर आ गए.

हम दोनों गाड़ी में बैठ गए और वो वापस मेरे रूम की तरफ चल दीं. हम दोनों की फिर से बातचीत होने लगी.

मैडम बोलीं- मैंने इतनी देर से आपका नाम ही नहीं पूछा … क्या मैं आपका नाम जान सकती हूँ.
मैंने- मैं रोहित … और आप!
वो बोलीं- मैं माला.

मैंने पूछा- आप लखनऊ किस काम से आई थीं?
वो बोलीं- मैं दरअसल अपनी एक सहेली के परिवार में किसी की शादी में आई थी. मैं उधर बोर हो रही थी, तो यूं ही बाहर टहलने निकल पड़ी और आपसे मुलाकात हो गई.

मैंने कहा- क्यों आप अकेली आई थीं क्या आपके साथ कोई और नहीं आया?
मैडम- मैं दिल्ली में अकेली रहती हूँ. मेरे पति यूएस में बिजनेस करते हैं. मेरी एक बेटी है, जो मेरी जॉब के चलते दिल्ली में ही अपनी नानी के घर रहती है.

मैंने पूछा- तो पति आते जाते हैं या वहीं रहते हैं.
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोलीं- मुझे भी एक खूंटे से बंधना पसंद नहीं है.

मैंने हंस दिया … क्योंकि उन्होंने मेरी बात का जबाव बड़े ही खुले अंदाज में दे दिया था.

उसी समय उनका एक सवाल मेरी तरफ उछाला, जिसे सुनकर मेरी सेक्स कहानी लिखना शुरू हो गई.

मैडम बोलीं- तुमने कभी सेक्स किया है?
मैं चौंक गया पर अगले ही पल उनकी वासना में डूबी आंखों में झाँक कर कहा- हां एक बार.

वो बोलीं- कब और किसके साथ?
मैंने कहा- मैं अपने एक दोस्त के साथ शिमला गया था. वहां कार में ही एक कॉलगर्ल को दोनों ने मिलकर चोदा था.

मेरे मुँह से ‘चोदा था ..’ शब्द सुनकर फिल्म साफ़ होने लगी और उन्होंने हंसते हुए मेरी तरफ देख कर कहा- तुम्हें देख कर ऐसा लगता तो नहीं कि तुम किसी को चोद चुके होगे. वैसे चलती कार में लड़की चोदना कोई हंसी खेल नहीं होता है. इसमें बड़े हुनर की जरूरत होती है.

मैंने कहा- हुनर तो देखने से ज्यादा करने से मालूम पड़ेगा मैडम जी.

उन्होंने कार को सड़क के एक किनार रोक दी और गियर से हाथ हटा कर मेरे पैंट की जिप पर रख दिया.

मेरा लंड अब तक फूल गया था.
जिसे देख कर मैडम ने लंड को टटोलते हुए कहा- बड़ा कड़क है.

मैंने कहा- अरे आप ये सड़क पर क्या कर रही हो. इधर पुलिस की वैन घूमती रहती हैं. खामखा कोई लफड़ा हो जाएगा.
मैडम ने लंड से हाथ हटाया और बोलीं- तो चलो तुम्हारे कमरे पर चलते चलते हैं.

मैंने घड़ी में समय देखा तो रात के एक बज चुके थे. मैंने कहा- मैडम जी, मेरे कमरे पर इस समय तो सम्भव नहीं है. मेरे मकान मालिक बूढ़े अंकल जी हैं. वो दरवाजा नहीं खोलने वाले हैं. मुझे बरामदे में ही सोना पड़ेगा.
मैडम ने कहा- तो चलो किसी होटल में चलते हैं.

मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं थी.

मैंने हां में सर हिला दिया.

मैडम ने अपने मोबाइल में ओयो एप से एक नजदीक का होटल खोजा और एक रूम बुक कर लिया.
अब हम दोनों उसी होटल की तरफ बढ़ गए.

कुछ ही देर में होटल के कमरे में हम दोनों आ चुके थे.
मैडम ने मेरी तरफ बांहें फैला दी थीं और मैंने उन्हें अपने बाहुपाश में भर लिया था.

अब इस औरत सेक्स की कहानी के अगले भाग में मैं आपको अनजान मैडम की चुदाई की कहानी का पूरा वर्णन लिखूंगा. आप मुझे मेल करना न भूलें.

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औरत सेक्स की कहानी का अगला भाग: अनजान महिला को होटल में चोदा- 2

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