भाई बेहन Xxx कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने जवान भाई को अपनी सहेली और एक कामवाली से बचाकर अपनी चूत चुदाई का रास्ता साफ़ किया.
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कहानी के पिछले भाग
मेरी सहेली की नजर मेरे भाई पर थी
में आपने पढ़ा कि अपने भाई की नजर जवान कामवाली के बदन पर देख कर मैंने कहा- देख सोनू, इन लड़कियों से हमेशा सावधान रहना। इनका काम ही है तुम्हारे जैसे यंग लड़के को फंसाना और किसी तरह प्रेग्नेंट होकर शादी कर लेना। तुम्हें अंदाजा नहीं है कि इस घर की बहू बनना उसके लिए कितनी बड़ी बात है। इसलिए इससे तो बिल्कुल दूर ही रहो।
उसका चेहरा देखकर इतना तो समझ गई कि वह फिर कभी माया के करीब जाने वाला नहीं है।
चलो दो बड़े प्रतिद्वन्द्वी से पाला छूटा।
अब आगे भाई बेहन Xxx कहानी:
लेकिन जब इसके नजर कामवाली पर पड़ सकती है तो ऐसे कई लड़कियां होंगी जिनके साथ यह सेक्स कर सकता है।
यह सोचते ही मैं फिर मायूस हो गई।
सोनू अपने कमरे की ओर जाने लगा।
तभी मैंने उसे रोका और कहा कि वह ऐसे चुस्त टी शर्ट न पहने।
वह हैरान होते पूछने लगा- क्यों?
तब मैंने उसे समझाया कि उसका जिम वाला बॉडी देखकर कई लड़कियां आकर्षित होती हैं और उल्टा सीधा सोचती हैं।
कमबख्त को क्या मालूम था कि मैं अपने बारे में ही बोल रही थी।
“लेकिन दीदी, मैं क्यों उनके लिए अपना ड्रेस बदलूं? तुम्हें देख कर भी तो कई लड़के उल्टा सीधा सोचते और बात करते हैं। मेरे सामने शायद कोई कुछ ना कहें लेकिन पीठ पीछे बहुत कुछ कहते हैं जिनमें से कुछ बातें मेरे कानों तक पहुंच जाती हैं।”
मैं हैरान थी।
मेरे बारे में कौन ऐसी बातें करते हैं? और क्या बातें करते हैं।
पहले तो सोनू बात का जवाब नहीं देना चाहता था लेकिन दो-तीन बार पूछने पर उसने कहा कि उसके कई दोस्त उसकी बूब्स दबाना चाहते हैं। उसके दोस्तों की टोली में मेरा बूब्स का बहुत चर्चा होती है और सभी लोग उस से खेलना चाहते हैं।
यह सुनकर मेरा कॉन्फिडेंस अचानक बहुत बढ़ गया।
मैंने सीधा उससे पूछा- सबको? तुझे भी?
मैं ऐसे सवाल पूछूंगी वह सोच भी नहीं सकता था।
वह बिल्कुल चुप होकर खड़ा रहा।
मुझे अचानक आशा का एक किरण दिखाई दी- चुप क्यों है, बोल? तुझे मेरा बूब्स अच्छा लगता है या नहीं? तुझे भी इन्हें दबाने की इच्छा होती है या नहीं?
वह कुछ देर चुपचाप सर झुका कर खड़ा रहा; फिर आंख उठाकर हिम्मत जुगाड़ कर उसने हां कहा।
मेरे दिल में तो लड्डू फूटने लगे।
मेरा सपना इतना जल्दी पूरा होगा मैं तो सोच भी नहीं सकती थी।
अब जब मंजिल इतनी पास थी, तब मैं और देर नहीं करना चाहती थी।
तवा गर्म रहते रहते मुझे मेरी रोटी सेकनी थी।
इसलिए मैंने झट से कहा- तो दबा न!
यह सुनकर वह पूरी तरह हैरान हो गया।
भाई मेरे सामने बुत बनकर खड़ा रहा।
अब मैं लाज शर्म का सब सीमा त्याग चुकी थी। मेरे दिमाग में बस एक ही चीज घूम रही तजी कि मुझे अभी सोनू से चुदाई करवानी है।
“देखें जिम में जाकर तेरे हाथ कितना सख्त हुए हैं?” यह कहकर मैंने उसके दोनों हाथ उठा कर अपनी छाती के ऊपर रख दिए।
अब मैंने फिर से कहा- दबा न!
उससे भी रहा नहीं गया, उसके हाथों ने हरकतें शुरू कर दी।
मेरे बूब्स के ऊपर मंडराती उसकी सख्त उंगलियां कभी बूब्स को दबाती और कभी वो हथेली से सहलाता।
और कभी उसका पूरा हाथ मेरे बूब को मसलता।
मेरे शरीर में जैसे करंट दौड़ने लगा।
अभी तो सिर्फ बूब्स दबाये और वह भी कपड़ों के ऊपर से!
और आगे बढ़ने पर क्या होगा … यह सोचकर ही मैं और होश में नहीं रही।
मैंने तुरंत अपना टॉप खोल दिया और ब्रा भी।
“अब जी भर के खेल इनसे!” मैंने कहा।
मेरी खुली छाती देखकर भाई से भी अब रहा नहीं गया। कभी वह मेरी बूब्स को चूमता, कभी चूसता, कभी दबाता।
कभी कभी उसके दांतों से मेरे चूचुकों में एक मीठी सी चुभन का एहसास होता।
अब मैंने उसकी टीशर्ट उतरवा दी और उसके फौलादी सीने से लिपट गयी।
मेरी मन और तन दोनों में अब जो हो रहा था काश उसे बयान करने के लिए शब्द होते।
जिस तरह भाई ने मुझे जकड़ कर रखा था, मेरी सोच से परे था।
आलिंगन में ऐसा सुख हो सकता है यह मैं नहीं जानती थी।
मैंने झट से उसके होठों को अपने होंठों से दबा दिया।
फिर मैं उसके होठों को चूसने लगी और वह मेरे!
अचानक उसकी जीभ को उसने मेरे मुंह के अंदर ठूंस दिया।
मेरे मुंह के अंदर उसकी जीभ तरह तरह का हरकतें करने लगी। कभी मेरे दांतों को चाटती, कभी मुंह के भीतर तक पहुंच जाती।
फिर मैं अपनी जीभ को उसके जीभ से लड़ाने लगी।
मैंने उसकी जीभ को अपने होठों से जकड़ लिया और चूसने लगी।
इस तरह चूसते चाटते हुए मैंने अपनी जिंदगी की पहली किस किया।
अब मैं चाहती थी कि उसका लन्ड को आजाद करूं … लेकिन मुझे यह चिंता थी कि कहीं भाई घबरा कर हमारा ये खेल रोक ना दे।
मैं सोच रही थी कि कैसे उसका लन्ड पकडूं, कि उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींचा।
और तभी मुझे उसके खड़े लन्ड का एहसास हुआ।
हालांकि उसका लन्ड उसके पजामा के अंदर था लेकिन फिर भी उसका लंबाई और सख्ती दोनों का अहसास हो रहा था।
मैं और अपने आप को रोक नहीं पाई और सीधा उसके लन्ड को पकड़ लिया।
वह हैरान होकर मुझे कुछ देर देखता देखता रहा।
लेकिन कुछ कहने से पहले मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिये और लन्ड को दबाना शुरू कर दिया।
“अब खोल ना अपने पजामा को!” मैंने अधीर होकर कहा।
वह भी शायद इसी पल का इंतजार कर रहा था।
उसने अपने पजामा के नाड़े को एक बार खींचा और उसके पजामा नीचे गिर गया।
अब वह पूरी तरह निर्वस्त्र होकर मेरे सामने खड़ा था।
मैं हैरान होकर उसको देखते रही।
क्या बॉडी थी उसकी!
मेरा भाई किसी यूनानी देवता लग रहा था।
सर पे घुंगराले बाल, करीब 6 पैक मसल, चौड़ा सीना, अंग्रेज़ी वी कट!
और लन्ड … क्या बताऊं … 7-8 इंच लम्बा और करीब डेढ़ इंच मोटा।
देखते ही मैं डर गई।
क्या इस लन्ड को मैं ले पाऊंगी।
अगले ही क्षण मैंने तय कर लिया कि कुछ भी हो, मुझे तो लेना ही है।
मैंने झट से उसे पकड़ लिया और हिलाने लगा।
“पहली बार ऐसा लन्ड देख रही हो क्या?” भाई ने पूछा।
मैंने धीरे से सर हिला कर हां कहा।
“तो पास जाकर अच्छे से देखो ना!” उसने कहा।
मैं तो पास ही थी और सोच रही थी कि और कितने पास जाऊं।
उसने शायद मेरा प्रश्न समझ लिया था।
“घुटने के बल बैठ जाओ तो और अच्छे से देख पाओगी।”
मैं जल्दी से घुटने पर बैठ गई और बिल्कुल पास से उसका इस खंभे जैसा लन्ड को निहारने लगी।
तभी वह आगे की तरफ हिला।
भाई का लन्ड अब मेरे होठों को छू रहा था।
मैंने आंख उठाकर देखा तो बदमाश मुस्कुरा रहा था।
वह कुछ कहे, इससे पहले ही मैंने लन्ड को अपने मुंह में ले लिया।
अब जब मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी मुस्कान के जगह हैरानी ले चुकी थी।
मैंने मन ही मन सोचा ‘मैं तो तेरी दीदी हूं। तू जितना भी बड़ा बदमाश क्यों ना हो, लेकिन मुझसे ज्यादा नहीं।’
मुंह में लेने के बाद मैं सोचने लगी कि क्या करूं।
तभी भाई की आवाज आयी- अरे उसे मुंह में लिया है तो कुछ तो करो।
मैं भी जल्दी जल्दी उसे चूसने लगी।
अब मुझ में कॉन्फिडेंस बढ़ने लगा।
कभी मैं भाई का लन्ड चूसती, कभी चाटती तो कभी काटती।
साथ ही मैं उसकी गोटीयों से भी खेलने लगी।
ज़ोर ज़ोर से सांस लेने और बीच बीच में आह की आवाज़ आने लगी भाई की!
उसे चिढ़ाने के लिए मैंने चूसने और चाटने की गति कम कर दी।
तभी उसने अचानक मेरा सर के बालों को पकड़ा और मेरे सर को आगे पीछे करने लगा।
साथ वह खुद भी अपने लन्ड से मेरे मुंह को ठापने लगा।
उसका लंड अब सीधा मेरे गले तक पहुंच रहा था।
डीप थ्रोट के बारे में काफी सुना था … आज महसूस भी हो गया।
मुझे पता नहीं उसमें कौन सा राक्षस घुस गया था।
जिस तरह वह मेरे मुंह को ठाप रहा था, कोई दानव ही कर सकता था।
मुझे भाई पर गर्व होने लगा।
यह हुई ना मर्दानगी!
हालांकि मुझे कष्ट हो रहा था, मैं चुपचाप सहती रही।
अगर भाई को जरा सा भी अंदेशा हुआ कि मुझे दर्द हो रहा है तो वह उसी वक्त यह बंद कर देता।
लेकिन मैं चाहती थी कि वह जितना भी चाहे जैसा भी चाहे मजा ले।
काफी देर तक इस तरह करता रहा।
फिर जैसे ही उसने अपना लन्ड बाहर निकाला, मैं उसे पकड़ कर हिलाने लगी।
भाई भी आह आह करने लगा।
अचानक वह ज़ोर से चिल्ला उठा।
उसी वक्त मेरे चेहरे पर गरम सा गाढ़ा सा कुछ गिरने लगा।
मैंने देखा कि उसका लन्ड झड़ चुका था और ज्यादातर माल मेरे चेहरे पर आ गिरा था।
जो थोड़ा बहुत अभी भी उसका लंड से निकल रहा था, मैंने झट से अपने मुंह में ले लिया।
अब मैं उठ खड़ी हुई और आईने की तरफ़ देखा।
मैंने देखा कि काफी माल निकला था और सब मेरे चेहरे पर था।
मन ही मन मैं मुस्कुरायी और सोचा ‘ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।’
मैं अपनी उंगलियों से उसे पौंछने लगी और फिर उंगलियों को होठों से लगाकर चाटने लगी।
काफी वक्त लेकर मैंने अपने चेहरे से भाई के दिये वीर्य की हर एक बूंद चाट ली।
जब मैं घूमी तो देखा कि भाई थक कर एक कुर्सी में बैठ गया था।
मैं उसके पास गई और उसके माथे में एक चुम्बन देकर दूसरी कुर्सी में बैठ गई।
“इंजॉय किया ना?” मैंने उससे पूछा।
उसने जवाब दिया- बहुत इंजॉय किया। लेकिन तुम्हें बहुत कष्ट दिया … है ना?
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं। बल्कि आज मुझे पता चला कि मेरा भाई एक शेर जैसा है।
सुनकर वह हंस दिया।
फिर उसने कहा- अब तुम्हारी इंजॉय करने की बारी है।
यह कहकर उसने मुझे टेबल पर लेट जाने को कहा।
मैं लेट गई और वह मेरे पूरे शरीर की मालिश करने लगा।
पता नहीं कमबख्त ने यह कहां से सीखा … मालिश के लिए वह जहां पर हाथ रखता … मेरे बदन से एक करेंट जैसा निकलता।
उसे हर वह जगह मालूम थी जहां मेरे प्लेज़र प्वाइंट थे।
काफी देर बाद उसके हाथ मेरे चूत तक पहुंचा।
उसे धीरे-धीरे वह रगड़ने लगा।
अब तक ना ही मेरी चूत बल्कि मेरी जांघ भी भीग चुकी थी।
उसकी उंगली की हर हरकत के साथ मेरे भी मुंह से आह निकलती।
भाई कुछ देर तक मेरी चूत को सहलाता और फिर अपनी उंगली चाटता।
मैंने उससे अपनी उंगलियां चूत में घुसाने को कहा तो उसने जवाब दिया- उंगली क्यों? यह है ना!
यह कहते हुए उसने अपनी जीभ दिखाई।
उसकी जीभ की हरकतें कुछ देर पहले मैंने अपने मुंह में देखी थी।
मुझे मालूम था कि यह बहुत कुछ करने में सक्षम है।
अब उसका मुंह मेरी चूत तक पहुंच गया। भाई कभी मेरी बुर को चूसता तो कभी चाटता।
वह अपने जीभ को चूत के अंदर घुसने का कोशिश कर रहा था।
कभी कभी वह अपने दांतों का भी इस्तेमाल कर रहा था चूत पर दबाव देने के लिए।
मुझे उस दिन पता चला कि ब्लू फिल्म वाली लड़कियां जो आवाज निकालती हैं, वे बनावटी नहीं होती क्योंकि मैं भी उसी तरह चिल्ला रही थी।
मुझसे अब और रहा नहीं जा रहा था।
“बस बहुत हो गया!” मैं चिल्ला कर बोली- अब लन्ड घुसा और मुझे चोद!
भाई ने मुझे मेज से नीचे उतारा।
मैं उसी वक्त उससे लिपट गई और अपना एक टांग भी ऊपर उठा ली।
अब भाई अपना लंड मेरी चूत के मुंह में रखकर घुसाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन उस मोटे लन्ड के सामने मेरा चूत का दरवाज़ा बहुत ही छोटा था।
भाई मुझे वहीं उतार कर किचन की ओर गया।
जब वहां से लौटा, उसका हाथ में घी का डिब्बा था।
उसने थोड़ा सा घी निकाला और मेरे चूत का द्वार में लगा दिया।
फिर और घी निकाला और अपने लन्ड पर लगाया।
तब उसने अपने हाथ पौंछकर मुझे अपने पास खींच लिया।
भाई ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड पकड़ ली और अचानक मुझे उठा लिया।
कुछ समझने से पहले ही मेरे मुंह से एक जोर की चीख निकली।
मुझे लग रहा था कि मेरी चूत में किसीने एक मोटा रॉड घुसा दिया है।
जो घुसा था, वह किसी राड से कम नहीं था।
वह मेरा भाई का मोटा फौलादी लंड था।
एक तरफ मैं दर्द से कराह रही थी, दूसरी तरफ भाई के लन्ड पर मुझे गर्व हो रहा था।
अब भाई मुझे धीरे-धीरे ठापने लगा। मैं उसके बदन पर छिपकली जैसे चिपक गयी।
हालांकि मेरी चूत फटी जा रही थी, मैं दर्द से तड़प रही थी, मैंने यह तय कर लिया था कि भाई को मैं चोदने का पूरा मजा दूंगी।
मैं नहीं चाहती थी कि मेरे दर्द का कारण वह अपने हिसाब से चोदना बंद कर दे।
फिर उसने मुझे नीचे उतारकर कहा- हमें बेडरूम जाना चाहिए और लेट कर चुदाई करना चाहिए। किस बेडरूम में जाओगी, तुम्हारे या मेरे?
मैंने कहा- मम्मी पापा का बेडरूम में जाते हैं। उनका बेड काफी बड़ा है।
वह उस बेडरूम की तरफ जाने लगा। मैं भी उसके पीछे चलने लगी।
लेकिन मुझे चलने में बहुत दर्द और दिक्कत हो रही थी।
मैंने सोचा कि अगर भाई ने यह देख लिया तो वह मुझे चोदना बंद कर देगा और यह मुझे कतई मंजूर नहीं था।
तब मैंने उससे कहा- रुक … इधर आ! तुझे मालूम नहीं गर्लफ्रेंड को कैसे बेडरूम में ले जाया जाता है?
वह मेरी बात समझ गया और मुझे उठा लिया।
मैं भी उससे लिपट गई और मुझे बेडरूम ले जाकर उसने किंग साइज बेड में लिटा दिया।
मैंने अपनी दोनों बाँहें आगे कर दी और उसे अपने सीने से लगा लिया।
साथ ही अपने दोनों पैर उठा कर मैंने उससे कहा- जल्दी चोद।
मैं नहीं चाहती थी कि वह मेरी चूत का तरफ देखे भी जो मेरे ख्याल से लहूलुहान थी।
अब शायद भाई से भी और रुका नहीं जा रहा था, उसने झटपट अपना लंड मेरी चूत में घुसाया और धीरे-धीरे ठापने लगा।
इससे मेरी चूत में भी दर्द जरा कम होने लगा।
कुछ ही देर में दर्द काफी कम हो गया।
थोड़ा बहुत दर्द हो रहा था, वह भी नीचे मीठा लगने लगा।
फिर मैंने ख्याल किया कि जब भी मुझे ठोकने के लिए उसका शरीर नीचे की ओर आता, मेरा बदन भी उससे मिलने के लिए ऊपर की ओर जा रहा था।
अब मैं सचमुच इंजॉय कर रही थी।
दर्द भी मुझे अच्छा लग रहा था।
मैंने भाई से कहा- थोड़ी स्पीड बढ़ा ना!
भाई ने भी अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ायी।
अचानक मुझे कुछ कुछ होने लगा। मेरे मुंह से ना जाने कैसे-कैसे कुशब्द और गालियां निकलने लगे।
और ना जाने कैसी कैसी आवाजें और चीखें मेरे मुख से निकलने लगी।
मैं कब बिल्कुल होश में नहीं थी।
बस शरीर उछल रहा था।
फिर मुझे लगा मैं आसमान में उड़ रही हूं।
और फिर अचानक मुझे लगा कि मैं बहुत ऊंचाई से नीचे गिर रही हूं।
मेरे हाथों ने मेरे भाई को जोर से जकड़ लिया लेकिन मेरा गिरना बंद नहीं हो रहा था।
और फिर यूं महसूस हुआ कि मेरे शरीर में एक विस्फोट जैसा हुआ और चारों तरफ बिखर गया।
कुछ क्षणों तक मैं वैसे ही पड़ी रही।
धीरे धीरे मैं होश में आई तो देखा भाई अभी भी मुझे चोद रहा था।
उसका चेहरा देख कर लग रहा था कि वह भी बहुत मजा ले रहा था।
यह देख कर मुझे काफी खुशी हुई।
अचानक वह भी रुक गया। हड़बड़ा कर उसने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल दिया।
जल्दी से वह आगे बढ़ा और मेरे कुछ समझने से पहले ही उसने अपना लंड मेरे मुंह के सामने रख दिया।
इस बार उसका वीर्य का पूरा स्टॉक मेरे होठों में आ गिरा।
मैंने भी होठों से हर एक बूंद चाट ली।
उसके लंड पर भी जो थोड़ा बहुत लगा था, उसे भी चाट लिया।
मुझे तब पता नहीं था कि जैसे लोगों को पान, ज़र्दा या तम्बाकू या ड्रग्स का नशा हो जाता है, उसी तरह मुझे उसका पुरुष वीर्य चाटने का नशा हो रहा था।
वीर्य डालने का बाद ही भाई मेरे ऊपर पूरा लेट कर सो गया था।
उसका चेहरा देखकर इतना मासूम लग रहा था कि मैं हैरान थी कि इस लड़के ने अभी क्या कुछ नहीं किया।
मैंने उसके माथे में चुम्बन देते हुए मन ही मन वचन लिया कि इसे जब भी, जहां भी, जैसे भी मेरी शरीर कि चाहत होगी, मैं कभी न नहीं करूंगी।
आज 6 साल हो गए, मैं अपना दिया हुआ वचन पूरी दृढ़ता से निभा रही हूं।
करीब आधा घंटे तक वह इसी तरह सोता रहा।
फिर वह मेरे बदन से उतरकर मेरे बाजू में लेट गया।
हम दोनों काफी देर तक इसी तरह एक दूसरे को लिपटकर लेटे रहे।
ना उसने कुछ कहा, ना मैंने … बस एक दूसरे की तरफ देखते रहे।
लेकिन आंखों आंखों में बहुत बातें हुई।
आखिर में मैंने उसके माथे पर और फिर उसके होंठ पर एक किस दिया और दो शब्द कहे- thank you.
और फिर हम और जोर से एक दूसरे से लिपट गए।
कुछ देर बाद भाई ने कहा कि आज उसे जिम जाने का इच्छा नहीं है और ना ही एनर्जी।
मैंने भी उसे साफ साफ कहा कि 7 दिन वह कहीं नहीं जाने वाला था। ना जिम, ना कॉलेज ना अपने दोस्तों से मिलने।
मैं भी कॉलेज नहीं जाने वाली थी।
“तो क्या अगले 7 दिनों तक यह कमरा हमारा हनीमून सुइट होने वाला है?” भाई ने पूछा।
मैं हां कहकर उसके होंठ चूसने लगी और मेरा हाथ उसके लंड को सहलाने लगा.
भाई बेहन Xxx कहानी में आपको जरूर मजा आया होगा. कमेंट्स और मेल में बताएं.
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