उस रात मैंने सेक्स को जिया

हिंदी भाभी की चुदाई का अवसर मुझे मिला मेरे एक दोस्त के कारण. वो भाभी मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड की मौसी थी. उसके कहने से मैंने उसे पटाने की कोशिश की.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम दीपक है और मेरी उम्र 33 वर्ष है.

सेक्स के प्रति बचपन से मेरी ख़ास रूचि और हस्तमैथुन की आदत होने की वजह से में अपना वजन तो ख़ास नहीं बढ़ा सका.
परन्तु जो चीज बढ़नी चाहिए वो किसी भी औरत को खुश करने के लिए काफी है।

मैं पांच फुट दस इंच लम्बा हूँ, मेरे लिंग का नाप तो मैंने कभी लिया नहीं पर जिनके भी साथ मैंने सम्बन्ध बनाये हैं उन लड़कियों की साँसों से महसूस किया है कि मेरा लिंग किसी औरत को भी अंतर्मन से खुश करने लायक है।

मैं एक लेखक होने के साथ साथ अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं काफी वक्त से आपके साथ अपने सेक्स अनुभव साझा करने की सोच रहा था पर वक्त के अभाव ने मुझे रोका हुआ था।
आज मैं आपके सामने अपनी पहली हिंदी भाभी की चुदाई कहानी लिख रहा हूँ.

यह पहले सेक्स की तो नहीं पर मेरे अभी किये अंतिम सेक्स की कहानी है।
मैंने बस कुछ जगहों और पात्रों के नाम को ही बदला है।

कोरोना के वक्त मेरा नया स्टार्टअप असफल हो गया था और मुझे दिल्ली छोड़कर अहमदाबाद में अपने बिज़नेस को दोबारा शुरू करना था, इसलिए मैं यहाँ आ गया।

वक्त बीता और मेरा स्टार्टअप ठीक ठाक चलने लगा।
पैसे के लिए निरंतर काम करने की वजह से मेरा कभी सेक्स की तरफ ध्यान नहीं गया।

कभी कभी जब सुबह तीन चार बजे नींद खुलती थी तब मैं पसीने से तरबतर होकर काफी मशक्कत के बाद यहाँ अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ पढ़ कर मूठ मारकर खुद को दुरुस्त किया करता था।
सुबह होते ही मैं अपने स्टार्टअप के लिए नए क्लाइंट की तलाश में निकल जाता था।

इस बीच यहाँ के लोगों से मेरी दोस्ती भी होने लगी।
धीरे धीरे जब मैं उनमें घुलने लगा.

काम के दौरान मेरी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई जिसकी उम्र तो पचास के पार थी पर वो भाई भी काफी रंगीन मिजाज था।
उसका नाम धर्मेश था।

एक दिन शाम को काम ख़त्म करने के बाद मैं और धर्मेश चाय की एक दुकान में बैठकर बातें कर रहे थे.

तब उसने अपनी एक पच्चीस साल की गर्लफ्रेंड का जिक्र किया और कहा कि मैं किसी तरह से उसकी मौसी को पटा लूँ. क्योंकि ऐसा करने से जब मैं उसे घुमाने ले जाऊं, तब धर्मेश अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाए।

उसने बताया कि वो लोग बड़ौदा में रहते हैं और उसकी गर्लफ्रेंड बचपन से ही उसकी मौसी के साथ रहती है. उसकी मौसी के पति दुबई में रहते हैं. उनका एक बेटा भी है जो पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया गया हुआ है।

जब उसने इतना बताया तब उसकी मौसी की उम्र जानने की इच्छा हुई और पूछने पर धर्मेश ने कहा- उम्र में क्या रखा है दीपक भाई, आपको कौन सी शादी करनी है।
मैंने भी सोचा कि यार मैं तो खुद अपने से छोटी लड़कियों के साथ सेक्स करते हुए उन्हें यही कहता हूँ उम्र तो संख्याओं का खेल है।

मेरी उत्सुकता बढ़ रही थी तो मैंने उससे पूछ लिया- पर धर्मेश भाई, उससे बात कैसे की जाये, आगे मुझे क्या करना है?
“अपनी कला का इस्तेमाल” धर्मेश ने कहा.

फिर उसने मुझे सौम्या का व्हाट्सप्प नंबर दिया।

कुछ देर तक हम इधर उधर की बातें करते रहे.
9 बजे से यहाँ कोरोना की वजह से दोबारा नाईट कर्फ्यू लगने की घोषणा हो चुकी थी.
पर घर तो वक्त पर जाना था इसलिए मैंने बिल पे किया और बाइक से अपने घर की तरफ जाने लगा।
वरना धर्मेश के चुदाई के किस्से सुनने में मजा भी बहुत आ रहा था.

रास्ते में चलते हुए अचानक से मुझे सौम्या का ख्याल आया और मुझसे रहा नहीं गया।
मैंने रास्ते में बाइक रोकी अपनी जेब से सिगरेट निकाली और उसे मुँह में रखकर एक जेब से लाइटर निकला और दूसरे से फ़ोन सिगरेट जलाते हुए मैंने धर्मेश के दिए नंबर को पहले ट्रू कॉलर पर चेक किया.

वहाँ उसका नाम कन्फर्म करने के बाद मैंने उसका नंबर यह सोचकर सेव किया कि व्हाट्सप्प DP में उसका फोटो देखने को मिलेगा.
ढूंढने की कोशिश की पर DP खाली थी, शायद उसने उसने नंबर वाली सिक्योरिटी लगा रखी थी.

उस वक्त की मेरी उत्सुकता मैं जाहिर तो नहीं कर सकता, मैंने हिम्मत करके उसे कॉल कर दिया।

उसने फ़ोन उठाया और पहली बार उसकी आवाज सुनते ही मेरे शरीर में एक कम्पन महसूस हुई।
“हेलो, कौन बोल रहे हो?” कुछ देर की शांति में उसकी मीठी आवाज ने मानो मोतियों का हार पिरो दिया हो.

मेरे पास कोई जवाब नहीं होने पर मैंने कहा- मैं दीपक बोल रहा हूँ दीदी, सौम्य से बात करनी है।
उस पर उसने चौंकते हुए कहा- सौम्य या सौम्या?

मैंने जवाब में कहा- सौम्य, दीदी मैं उसका मैनेजिंग डायरेक्टर बोल रहा हूँ, वो मेरे यहाँ ही जॉब करता है।
“सॉरी रॉंग नंबर!” ये बोल कर उसने फ़ोन काट दिया.
और मेरे चुदाई के अरमानों को भी मानो उन शब्दों ने कहा हो- सॉरी रॉंग नंबर।

मैंने सिगरेट बुझाई, बाइक स्टार्ट करी और अपने घर की तरफ पंहुचा, बाइक पार्किंग में खड़ा कर के लिफ्ट की तरफ जाने लगा।

जाते जाते मेरे दिमाग में दो बातें थीं कि खाने में क्या बनाना है और दूसरी ये कि मुझे फ़ोन नहीं करना चाहिए था।

मैंने लिफ्ट बुलाने का बटन दबाया और नीचे आती हुई लिफ्ट का इंतज़ार करने लगा।
तब मैंने सोचा कि उसको व्हाट्सप्प में सॉरी लिखूं।

जब तक मैंने व्हाट्सप्प खोला, लिफ्ट नीचे आ चुकी थी.
मैंने लिफ्ट के अंदर जाते जाते सौम्या का व्हाट्सप्प नंबर खोला और मैं चौंक गया.
उसने शायद मेरा नंबर सेव कर लिया था, उसकी व्हाट्सप्प प्रोफाइल पिक्चर मैं देख पा रहा था.

लिफ्ट बंद हो गयी थी और नेटवर्क भी!
मुझे अहसास हुआ कि मैंने अंदर जाकर सातवें माले के लिए बटन नहीं दबाया.
और फिर पीछे घूम कर लिफ्ट को ऊपर जाने का आदेश दिया.

मैं बहुत ही उत्सुक था, खुद को बादशाह मसहूस कर रहा था।

दोस्तो, फोटो में उसने सिंगल पीस पहना हुआ था।
शरीर को इस तरह मेन्टेन कर रखा था कि अहसास हो गया कि उम्र संख्याओं का खेल है।

फिर व्हाट्सप्प स्टेटस की कुछ पंक्तियों ने मेरा रास्ता मानो आसान कर दिया.
वो पंक्तियाँ थीं
का से कहें ये मन की बतियाँ
एक आस है उनके पास की!

शायद ये उसके अपने लिखे दर्द थे।

लिफ्ट सातवें माले में पहुंच गयी थी.
मैं वहाँ से चलते चलते मोबाइल के सिग्नल के आने का वेट कर रहा था.

मैंने ताला खोला और अपने फ्लैट में दाखिल हुआ.
तब तक फ़ोन में नेटवर्क भी आ गए थे.

घड़ी की तरफ देखा, तब लगभग रात के दस बजने वाले थे.

मैंने बैग एक तरफ रखा, कपड़े उतारे और पंखा चालू कर अपने बेड में लेट गया।

अब बारी थी उसको सॉरी लिखने की!
पर किस तरह?
ये समझ नहीं आ रहा था।

लिखते मिटाते कुछ सोचने की मशक्कत के बाद मैंने लिखा- माफ़ कीजियेगा, आपका नंबर मेरे फ़ोन पर पता नहीं कैसे सेव था. और मैंने आपको सौम्य की बहन सोचकर बात करी.
इसके बाद भी मैंने लिखा- और आपकी आवाज सच में बहुत सुन्दर है.

पर ये मैंने तीन बार लिखा और तीनों बार कुछ सोचकर काट दिया.
अंत में मैंने तारीफ़ वाले शब्दों को माफीनामे से काट दिया।

मैसेज भेजने के बाद मैं कई बार उसकी फोटो को देख रहा था और कई बार ये चेक कर रहा था कि उसने मेरा मैसेज पढ़ा या नहीं।

मैं पता नहीं कब बिना खाये ही सो गया.
पर लगभग 1 बजे के आस पास मेरी नींद खुली।

मुझे प्यास लगी थी। मैं किचन की तरफ गया और पानी साथ लेकर दोबारा बिस्तर की तरफ गया.

मैंने वक्त देखने के लिए फ़ोन उठाया. मेरे व्हाट्सप्प में नोटिफिकेशन ट्रे में एक मैसेज आया हुआ था.

मेरा ध्यान अचानक से सौम्या को करे मैसेज के रिप्लाई की तरफ गया और मैंने अपना व्हाट्सप्प खोला।
पर मुझे निराशा ही हाथ लगी.

वो मैसेज मेरी मम्मी का था शुभ रात्रि का फार्वर्डेड!
पर एक चीज देखते ही मुझे सकून मिला कि सौम्या ने मेरा मैसेज पढ़ लिया था.

और जब मैंने उसकी व्हाट्सप्प प्रोफाइल खोली तो पता चला वो अभी ऑनलाइन है।
अब मैं इस उधेड़बुन में पड़ गया कि आगे क्या करूँ,किस तरह बात को आगे बढ़ाऊं।

मैंने गैलरी से अपनी ही लिखी एक कविता फारवर्ड कर दी।

कुछ ही पलों में एक मैसेज आया- वाह तो लेखक साहब अभी सोये नहीं?
अचानक के इस तरह के मैसेज ने मेरे मन में एक सवाल खड़ा किया कि कहीं धर्मेश ने तो नहीं इसे मेरे बारे में बता दिया?
क्या पता उसकी बात होती हो?

मैंने बिना कुछ सोचे एक सवाल के साथ जवाब दिया- नहीं अभी ही उठा था पर आपको कैसे पता कि मैं राइटर हूँ?
“जब आपका कॉल आया था तब ट्रू कॉलर में आपका नाम दीपक राइटर लिखा हुआ आया था. फिर आपका सॉरी मैसेज देखा, तब सोचा, अभी रात हो गयी है आप सो रहे होंगे. तब रिप्लाई नहीं किया।” उसने लिखा.

जिस पर मैंने कहा- अच्छा मैं राइटर हूँ इसलिए आपने मेरा नंबर सेव किया, कुछ लिखवाना है क्या?
मेरे इस सवाल का जवाब पल भर में आया- हाँ शायद … वरना एक अकेली औरत के पास कितने ऐसे रॉंग नंबर आते हैं आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते.

इतना बोलने के बाद मैं उसका रिप्लाई करूँ … इससे पहले उसका मैसेज आ गया- वैसे लिखवाना तो मुझे था, पर एक सवाल है, वैसे मुझे उसका जवाब पता है पर फिर भी सवाल तो है।
मैंने उस पर लिखा- चलिए पहले आप सवाल ही पूछिए, लिखने की बात हम बाद में करेंगे!

उसका मैसेज इतनी तेज़ी से आया मानो उसने सवाल पहले से ही लिख कर रखा हो।
“आपको कैसे पता चला कि मैंने आपका नंबर सेव कर लिया है?”

यह सवाल सुनकर मैं एकदम से सकपका गया और लिखा- आप क्या लिखवाना चाहती हैं मुझसे?
मैंने उसके सवाल को अनदेखा करने की कोशिश की.

उसने भी उस पर दबाव नहीं बनाया और मेरे सवाल का दो शब्दों में जवाब दिया- मेरी कहानी!
ये दो शब्द सुनकर मुझे अपने लेखक होने का अहसास हुआ.

और हमारी बातें बढ़ती रही.

उसकी कहानी सुनते सुनते मुझे अहसास हुआ कि उसको सेक्स से ज्यादा शायद मेरी जरूरत है और मेरा सूनापन भी शायद उसकी बांहों में दूर होना चाहता था।

उसकी कहानी सुनने के दौरान मुझे पता चला कि वह सबसे झूठ कहती है कि वह शादीशुदा है जबकि उसका तलाक हो चुका था।
लव मैरिज करी थी और पति ने उसे धोखा दे दिया था। वो दुबई में शादी करके सेटल है।
तलाक के बाद वो उसे मैंटीनैंस भेजता है।

धीरे धीरे हमारी बातें बढ़ती गयी हम दोनों एक दूसरे को पूरी तरह जान गए थे।

मैं सौम्या को सोचते हुए रात में बहुत बार मुट्ठ मारता था पर कभी उससे व्हाट्सप्प के दौरान सेक्स की बातें नहीं करी।
मन में अलग अलग बहाने बनाता रहता था उसके साथ कुछ पलों को बिताने का।

एक दिन मैंने उसे अपनी फोटोग्राफी की इच्छा जाहिर करी जिसमें मुझे उसकी जरूरत थी।
शायद वो भी मिलने के लिए उतना ही बेताब थी, उसने तुरंत हाँ कर दी।

आज वो वक्त आ गया था जब सौम्या और मैं कई महीनों के बाद मिलने वाले थे।
हमारे बीच तय हुआ था कि एक रिसोर्ट में आउटडोर फोटो शूट होगा, जिसमें एक फोटोशूट सन सेट और दूसरा फुल मून में होना था.
उसके बाद हमें रात को वहीं रिसोर्ट में रुकना था।

सौम्या और मैं इतने नजदीक से एक दूसरे को जानने लगे थे कि मुझे पूछने की जरूरत नहीं पड़ी और मैंने हम दोनों के लिए सिर्फ एक ही कमरा बुक करवाया।

हम दोनों ने उस दिन बहुत सी बातें करीं, फोटो शूट के दौरान कई बार मेरे अंग के अलग अलग हिस्से को छू रहे थे जिससे सौम्या भी उनकंफर्टबल नहीं थी।

पर फोटो शूट के दौरान उसकी साड़ी को एडजस्ट करते हुए जब मेरे हाथों ने उसकी नाभि को स्पर्श किया, तब अचानक से मुझे पता नहीं क्या हुआ और मैंने सौम्या को कमर से पकड़कर अपनी तरफ खींचा.
पर अगले ही पल मुझे अपने बेकाबू अरमानों की गलती का अहसास हुआ और मैंने नज़रें फेर कर फोटोशूट पर ध्यान दिया।

सुबह से रात लगभग हर घंटे में तीन से चार अलग अलग ड्रेसेस में उसकी फोटो लेते हुए काफी थक गया था.
सौम्या भी थक तो गयी थी पर कैमरे के सामने सच में किसी अप्सरा से कम नहीं दिख रही थी।

अब हम लोगों को इंडोर फोटोज भी लेने थे पर तीस पेंतीस फोटो के लगभग हम पहले ही आउटडोर में ले चुके थे.
शायद मेरी तरह उसको भी किसी बात की जल्दी थी इसलिए हम दोनों ने ही एक दूसरे को थकान से ज्यादा थकान दिखाई.
और अब रूम में चलने की तैयारी थी।

इंडोर शूट के लिए फिर कभी और का दिन निर्धारित किया।

रिसेप्शन से रूम के चाभी लेकर हम लोग रूम की तरफ जाने लगे, पीछे पीछे हमारा सामान लिए वेटर भी हमारे साथ चल रहा था.
एक सन्नाटे के बीच हमारे क़दमों की आवाज के साथ में अपने दिल की धड़कनों की आवाज भी सुन सकता था।

पहली बार मैं अपने से लगभग बीस साल बड़ी औरत के साथ एक ही रूम में होने वाला था।
हमारे बीच कभी सेक्स की बात नहीं हुई थी।
पर दोनों ही एक दूसरे के अधूरेपन से वाकिफ थे और शायद एक दूसरे पर विश्वास कि हमारी जरूरतें अभी कोई भी पूरी नहीं कर रहा है।

हम कमरे के अंदर आये, वेटर ने एयर कंडीशनर ऑन करते हुए रिमोट मुझे पकड़ाया और टिप मिलने के बाद वहां से जाने लगा.
तभी सौम्या ने आवाज लगाकर उसे जाते जाते कॉफ़ी और मुझसे पूछकर मेरे लिए चाय का आर्डर दिया।

वेटर के बाहर जाते ही सौम्या ने दोनों हाथ ऊपर करके अंगड़ाई लेते हुए अपनी थकान बताई.
जैसे ही उसने अपनी बांहें अंगड़ाई लेने के लिए ऊपर की तरफ करी, दोस्तो, मेरे अंतर्मन की अन्तर्वासना अपने चरम पर पहुंच गयी थी.

फोटो से अलग आज मेरी अप्सरा मेरे पास थी. उसकी 34″ की गोलाकार ब्रेस्ट खिंच कर बाँहों के साथ ऊपर की तरफ जा रही थी.
30″ की कमर से उसकी टीशर्ट जब ऊपर उठी तो उसकी नाभि की गहराई देख कर मेरा मन हो रहा था कि मैं लपक कर उसको पकड़ लूँ और जिस्म का हर हिस्सा चूसना शुरू करूँ।

“और लेखक महाशय, कुछ लिखना शुरू किया आपने हमारे लिए?”
मेरी नज़रों से बिना घबराये वो बेड की तरफ बढ़ी और वहीं लेट गयी।

“क्या लिखूं तेरे बारे में? वो दर्द लिखूं तेरा या लिख दूँ वो मुस्कान जो मेरे आने से आयी है?”
अचानक से निकली उस शायरी से मेरी तरह वो भी सोच में पड़ गयी।

मैं बिस्तर में उसके पैरों के पास बैठ गया।
कमरे का तापमान कम हो रहा था और उसके साथ साथ मेरे अरमानों का हीटर चालू हो रहा था।

बिना कुछ कहे मेरी उँगलियों ने उसके तलवों पर एक्यूप्रेशर देना शुरू कर दिया.
उसने आँखें बंद करते हुए कहा- ओह, तो हमारे लेखक साहब शायर भी हैं और साथ में मसाज भी अच्छी देते हैं, बहुप्रतिभाशाली!

मैं मानो तैयार बैठा था … मैंने कुछ नहीं कहा.
अपने बैग से मैंने लेवेंडर अगरबत्ती उनका स्टैंड निकाला.

“क्या कर रहे हो?”
इससे पहले मैं कुछ जवाब दे पाता … डोरबेल बजी.

मैं भूल गया था कि एक चाय और कॉफ़ी का आर्डर दिया हुआ था.
वेटर ने आर्डर सर्व किया और चला गया।

“कुछ नहीं … कुछ कोशिश कर रहा था पर शायद वक्त ने इजाजत नहीं दी।” अधूरी बात को दरवाजे पर कुण्डी लगाते हुए मैंने जवाब दिया.

मैंने सौम्या के पास जाकर उसको कॉफ़ी सर्व करी और अपना चाय का प्याला भी हाथ में उठा लिया।
“चलो आज की क्लिक की हुई फोटो देखते हैं।” ये बोलते हुए मैंने बैग से अपना लैपटॉप निकाल कर बिस्तर पर रखा और अपने कैमरे से कनेक्ट किया।

मैं एक टांग नीचे करके और दूसरी बेड पर रखकर लैपटॉप को सामने रखा और लैपटॉप ऑन करते हुए फोटोज वाला फोल्डर खोला.

फोटोज देखते देखते मैं मानो सब भूल गया था.
यहाँ तक कि यह भी भूल गया था कि मैं कहाँ हूँ.

मैं सौम्या की फोटोज में मानो उसको महसूस कर रहा था।
उसके सुर्ख होंठ और उन पर सजी मादक हँसी और मेरी नजर उसके गले से होते हुए उसकी गहराई में उतर रही थी.

“ठण्ड लग रही है ना, तुम ऊपर बेड पर आ जाओ!” सौम्या मेरे कंधे से हटते हुए पलंग के सिरहाने की तरफ जाते हुए मुझे आदेश कर रही थी या रिक्वेस्ट, पता नहीं चला.
और ये भी नहीं पता चला था कि कब वो मेरे कंधे के सहारे फोटोज देख रही थी।

अचानक मुझे कुछ याद आया और मैंने कहा- वो वेटर के आने से पहले तुम पूछ रही थी ना कि क्या कर रहे हो?
“हाँ, मतलब तुम बैग के पास गए कुछ निकला था.”

वो उत्सुक दिख रही थी और मैंने उसकी उत्सुकता को जाना और कहा- ऐसे नहीं, तुम कम्बल के अंदर फोटो देखो और फिर पंद्रह मिनट बाद कम्बल से बाहर आना!
यह कहते हुए मैंने AC का तापमान और भी कम कर दिया।

“मतलब हद होती है।” ये कहते हुए उसने मेरी बात भी मान ली।

मैंने अपना बैग उठाया और रूम को अपने हिसाब से डेकोरेट करने लगा।
मुझे ये पल हमारी ज़िन्दगी का सबसे हसीन पल बनाना था।

मैंने बेड के ठीक सामने अगरबत्ती जला दी और बेड के आस पास एरोमा कैंडल्स, फिर अपने बैग से स्पीकर निकाला उसको अपने मोबाइल से कनेक्ट करा और बहुत ही कम आवाज में पुराने गानों की रोमांटिक धुन बजाई और लाइट्स ऑफ करके उसी कम्बल के अंदर घुस गया अचानक से!

उसके शरीर से मेरा शरीर टच हो रहा था।
हम बहुत करीब थे पर अब भी शायद सेक्स जैसा कुछ नहीं था।

मेरा हथियार भी सो रहा था।

मैंने उसके चेहरे से कम्बल हटाया … कुछ देर वो बस देखती रही.

मादक खुशबू और रोमांटिक गानों की वो धुन … और अचानक सौम्या मेरे सीने पर थी।
मेरा बायाँ हाथ उसके सर पर था और दायां कमर में!

मैं उसे और उसकी अंदर की तपन को अंतर्मन तक महसूस कर पा रहा था और मेरे शरीर में भी कुछ हलचल थी.

“सौम्या, मैंने बस कुछ मौज मस्ती करने के लिए तुमसे बात शुरू करी थी, पर कब वो बातें प्यार में बदल गयी पता ही नहीं चला. और तुमसे इजाजत मांगने की जरूरत ही नहीं समझी. लगता है शायद हमारे बीच भावनाओं का वो गहरा सम्बन्ध शब्दों से परे बन गया है, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।”

ये कहने के बाद हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे.
मेरे हाथ सौम्या के सर में मसाज देते हुए उसकी गर्दन तक पहुंच गया था और दूसरा हाथ उसकी नाभि से होते हुए उसकी कमर को सहला रहा था।

मैं उसके होंटों की तरफ अपने होंठ ले जा रहा था और सौम्या भी धीरे धीरे मेरी तरफ अपनी गर्दन ला रही थी।
मैंने अपनी आँख बंद कर ली।

उसके होंठों की बाहरी सतह को अपनी जीभ से महसूस करने लगा. उसके होंठ भी धीरे धीरे खुल रहे थे और मेरे होंठ जगह ढूंढ कर अंदर अपनी जगह बना रहे थे.

धीरे धीरे शुरू हुई किस! उसकी साँसें धीरे धीरे बढ़ रहीं थीं और अब मैं भी उसके होंठों को चूस रहा था.
कभी कभी वो जीभ आगे बढ़ाती तो मैं उसकी जीभ कभी चूसता, कभी अपनी जीभ से टकराता!

मेरा एक हाथ उसकी शर्ट के अंदर उसकी ब्रा को खोलने के लिए बढ़ रहा था.
पर शायद होंठों के साथ साथ हाथों की किस्मत भी बहुत अच्छी थी, उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

मेरा एक हाथ उसके बूब्स को दबा रहा था, वहीं दूसरा हाथ उसकी गर्दन पर था जो उसको मेरी तरफ धकेल कर किस को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहा था।

उधर कच्छे के अंदर मेरा लंड चरम आनंद लेता हुआ उफान मार रहा था।
कुछ देर की लिपकिस के बाद मैं अपने दोनों हाथ उसकी गर्दन पर लाया और अपने होंठों को उसके कान के पीछे ले गया, फिर धीरे से अपने होंठों को खोलकर उसके कान के पीछे जीभ लगाई.

इसे करने से उसके शरीर की कम्पन उसका हाल बता रही थी।
मैंने दोनों होंठ खोलकर अब उसके कान को चूसना शुरू किया.

वो भी मानो आगे की लिए बेताब हो रही थी.

मैंने अपने होंठों को उसके कान से हटाया और दाहिना हाथ फिर बेफिक्री से उसकी टीशर्ट के अंदर घुस गया और उसके वक्षों की गोलाई मसहूस करने लगा.
कभी कभी अपनी उंगली और अंगूठे से उसके टिट्स को दबाते हुए उसकी गर्दन पर कभी जीभ फ़िराता, कभी उसकी गर्दन को अपने होंठों से चूसता।

हम दोनों का शरीर एयर कंडीशनर की ठंडक को पछाड़ रहा था।

मैंने कम्बल को एक हाथ से दूसरी तरफ फेंक दिया और उसकी टीशर्ट उतार दी।

मैं बयां नहीं कर सकता उसकी खूबसूरती को … उसके गोलाकार बूब्स और उनके ऊपर गुलाबी चूचुक … मैंने उसके बूब्स के पास जाकर फिर से आँखें बंद कर लीं और अपने गालों से बारी बारी उसके बूब्स रगड़े और कुछ पलों के लिए उसके टिट्स भी चूसे।

फिर उसकी बांहें ऊपर करते हुए मैंने उसके बूब्स से जाते हुए उसके आर्म पिट्स (बगल) को दोनों होंठों से दबा लिया और चूसना शुरू कर दिया।

अभी तक दस पन्दरह मिनट से हम यहाँ तक पहुंचे थे और हमारे बीच बस सांसों की आवाजें ही बातें कर रही थी.
पीछे से आती गाने की धुन, ऐरकण्डीशनर पर भारी पड़ती एरोमा कैंडल्स की लौ, खुशबू को मादक बनाता अगरबत्ती का धुआँ और उसके पसीने में महकता उसका लगाया इत्र!

मैं खुद को उसके बूब्स चूसने से नहीं रोक पा रहा था.
पर मेरी टीशर्ट हमारे बीच में थी.

मैंने पहले उसे उतारने की सोची, वो मेरे सामने आँख बंद करके लेटी हुई थी और मैंने अपना प्लान बदलते हुए सीधे उसका लोअर और पैंटी खोलते हुए उसकी चूत को किस करना शरू कर दिया.

वो शायद इसके लिए एकदम से तैयार नहीं थी और जैसे ही मेरी जीभ ने उसकी चूत को छुआ उसके मुँह से आवाज निकल गई- आअ ह्ह आज मुझे पूरा कर दो दीपक!
यह बोलते हुए दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत के छेद पर ले आयी और मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चाट रहा था।

उसके छोटे छोटे ट्रिम बाल बता रहे थे कि उसने आज ही ट्रिम किये हैं.
मेरे गाल उसकी जाँघों की गिरफ्त में थे और आज जुबान बिना शोर किये आज़ादी से चल रही थी.

मैं उसको काफी देर तक अपनी जीभ से चोदता रहा.
तभी मुझे उसके गोल बूब्स याद आ गए और मैं अपनी जीभ को उसके छेद से निकालते हुए ऊपर की तरफ जाने लगा।

फिर बूब्स से पहले मेरी जीभ उसकी गहरी नाभि से टकराई और मैंने उसकी चूत में एक उंगली डालते हुए उसकी नाभि को चूसना शुरू कर दिया.
उधर से सौम्या भी चुदने के लिए बेताब हो रही थी- दीपक प्लीज अब अंदर डाल दो!

मैंने उसकी विनती अनसुनी कर दी और सीधे उसके बूब्स पर टूट पड़ा.
कभी मैं दोनों हथेलियों से उसकी नरमी का अहसास करता तो कभी उनको चूसते हुए परम आनंद का अनुभव करता।

“प्लीज दीपक, अंदर डालो!” वो चुदने के लिए बेताब हो रही थी.

मेरा लंड भी मेरी नाभि तक आ गया था।
मैंने उसको अपने बॉक्सर से आजाद कर दिया।

अब सौम्या और मैं हम दोनों ही एक दूसरे के सामने निर्वस्त्र थे, आमने सामने!

“बाप रे! ये बहुत बड़ा है।” सौम्या ने मेरे लंड को देखकर कहा.
“बचपन की मेहनत और मालिश का नतीजा है.” मैंने गर्व के साथ जवाब दिया.

“प्लीज अंदर डालो ना दीपक … मैं तड़प रही हूँ.”
मैं खुद ही अंदर डालने वाला था पर उसकी तड़प ने मुझे कुछ और करने को कहा.

मैं तकिये पर लेट गया और उसको ऊपर आने को कहा।
वो मेरे लंड पर एडजस्ट करके बैठने की कोशिश कर रही थी कि मैं अचानक उठा और उसकी कमर से उसको अपने होंठों की तरफ खींचने की कोशिश करी.

वह कुछ समझती, इससे पहले मैंने उसकी चूत को अपने होंठों के बीच एडजस्ट किया और उसको अपने होंठों के ऊपर बैठा लिया.
“आह! दीपक क्या कर रहे हो? आअह बहुत मजा आ रहा है.”

मैंने उसके जवाब में उसको और मजे देने के लिए उसकी चूत को अच्छी तरह से चाटना शुरू कर दिया.

उसकी चिल्लाने की आवाज बढ़ रही थी, मैंने उसकी चूत चूसते चूसते ही मोबाइल से धुन की आवाज बढ़ा दी और कुछ देर होंठ और चूत की बातों के बाद अब मेरा लंड भी हिसाब मांगने को भयंकर रूप में खड़ा हो गया था.
अब मैंने उसको सिराहने की तरफ लेटाया और उसके ऊपर आ गया।

उसको फिर से गर्म करने के लिए मैंने अपने लंड को उसकी चूत में रगड़ना शुरू किया.
बहुत ही जल्द वो दोबारा गर्म होना शुरू हुई.

जब उससे रहा नहीं गया तब उसने खुद को ऊपर धकेल कर मेरे पूरे लंड को मानो अपने अंदर समा लिया हो।
उसकी चूत बहुत टाइट थी, मेरा लंड भी अपनी मंजिल पर सुखद आनंद का अनुभव ले रहा था.

हर धक्के के साथ सौम्या की चीखें बता रही थी कि हम दोनों ही पूरा एन्जॉय कर रहे हैं।

मैंने उसके बूब्स से हाथ हटा कर उसकी गांड के नीचे रख दिए और हर धक्के के साथ मैं उसकी गांड को दबा रहा था।
उसने दोनों टाँगों से मेरी कमर जकड़ ली, मैं पूरी तरह खोया हुआ था, पसीना पसीना होते हुए मैं परम सुख पर पहुंचने वाला था.

पर मैंने कंट्रोल करते हुए लंड बाहर निकाल लिया.
वो पूरी तरह उसके पानी से भीगा हुआ था.
इतना मोटा और लम्बा मैंने खुद अपने लंड को आज तक नहीं देखा था.
उसकी नसें दिख रही थीं.

जब मैं कपड़े से साफ़ कर रहा था, तब कुछ बूँद वीर्य निकला.
पर उससे लंड शांत नहीं हुआ था.

मैंने सौम्या को पोजीशन बदलने के लिए कहा.
अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी.

मैंने पहले उसे पीछे से हग किया, उसके बूब्स मसलने शुरू किये.
फिर धीरे धीरे दूसरे हाथ से अपना लंड उसके छेद में एडजस्ट किया और एक झटके में लंड अंदर डाल दिया.

वो उस वक्त बहुत तेज़ चिल्लाई.
उसके दर्द का अहसास पाकर मैं कुछ देर के लिए वैसे ही रुक गया और उसके बूब्स मसले।

अब जब दोबारा उसकी चीख और कराहना बंद हुआ, तब मैंने धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया.

अचानक से मैंने स्पीड बढ़ाई और उसकी मादक आवाज उसके सुख को दर्शा रही थी।

यूट्यूब की वो धुनें डेढ़ घंटे की थी, वो भी ख़त्म हो गयी, मैं अभी भी पसीने से तरबतर सौम्या को चोद रहा था.

पर परमसुख पाने से पहले मैंने अपना लंड बाहर निकाल दिया और अपना ध्यान भटकाने के लिए फ़ोन से दूसरी धुन लगाई.
उसके बाद मैंने सौम्या को घोड़ी बनने को कहा.

“दीपक, बहुत दर्द हो रहा है.”
ये सुनने के बाद मैंने उसे दोबारा अपने करीब लेटा लिया।

हम दोनों नंगे थे।
शायद सौम्या काफी बार झड़ चुकी थी पर मैंने अपने आप को झड़ने से रोका हुआ था।
सौम्या के आँखों में एक चमक थी.

हम दोनों इधर उधर की और अपने सपनों की बात करने लगे.

“दीपक, शायद छह महीने बाद मैं अपने बेटे ऋषभ के पास चली जाऊं!” जब सौम्या ने पहली मुलाक़ात में ही जाने की बात कही तब मुझे बिल्कुल भी दुःख नहीं हुआ।
शायद उसके लिए मेरा प्यार मिलन या सेक्स की बंदिशों से दूर था.

मुझे इस बात की खुशी हुई कि वहां सौम्या अपने बेटे के साथ रहेगी तो शायद वो मुझसे ज्यादा केयर उधर से पा सके।

मैंने सौम्या का हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रख कर उसे ये सब बताया।
धीरे धीरे सौम्या का हाथ मेरे लंड की तरफ बढ़ रहा था और इसका अहसास पा कर वह भी जो आधा सोया था बढ़ रहा था।

कुछ पलों में मेरा लंड सौम्या के हाथों में था और उसके कुछ वक्त बाद वो मेरी टांगों के बीच में आयी.
अब मेरा लंड उसके मुँह में था.

मैंने कभी नहीं सोचा था इस पल के बारे में!

सौम्या मेरी दोनों टांगो के बीच थी और जिस तरह से वह मेरा लंड चूस रही थी, उसका आनंद शायद शब्दों में बयां करना थोड़ा मुश्किल है।
लंड को चूसते हुए वो मेरे नीचे लटकते अण्डों को अपनी हथेली की गर्मी देते हुए सहला रही थी.

अब मुझसे नहीं रहा गया, मैंने सौम्या को अपने लंड पर बैठने के लिए कहा।
सौम्या शायद चुदने के लिए दोबारा तैयार थी, उसने मेरी बात मानी।

वाह … कितना प्यारा पल था।

मोमबत्तियां बुझ चुकी थीं, सौम्या तेज़ तेज मादक आवाजें निकालते हुए मेरे लंड को तृप्त करने की कोशिश कर रही थी.

मेरे दोनों हाथ उसकी जाँघों पर थे और आँखें बंद!
मैं परम आनंद की तरफ बढ़ रहा था।

मैंने उसके धक्कों को अपने हाथ का सहारा देकर और तेज़ किया.
सिर्फ मैं नहीं, हम दोनों एक दूसरे को चोद रहे थे.
और हम सेक्स को कर नहीं रहे थे, उसे जी रहे थे.

सौम्या की तेज़ आहें और धक्कों की गति बता रही थी कि वह फिर से झड़ने वाली है और मैं अपने लंड को अंदर बहार आँख खोलकर जाते देखने लगा।

उसके धक्कों के साथ मेरी छाती पर उसकी पकड़ ने नाखूनों के निशान बना दिए थे और हम दोनों की ही सांसें बहुत तेज़ थीं.
मैं भी झड़ने ही वाला था.

और सौम्या ने एक धक्का ऐसा दिया कि मैं उसकी चूत में पूरी तरह झड़ गया था.
और उसकी ढीली होती पकड़ ने बता दिया कि उस रात इस बार हम साथ में ही झड़े थे।

हिंदी भाभी की चुदाई के बाद हम नंगे ही एक दूसरे की बांहों में सो गए।

दोस्तो, उस रात हम दोनों ही पूरी तरह तृप्त थे.
यही नहीं, सुबह उठकर भी हमने चाय से पहले उसके बाद नाश्ते के बाद और होटल चेकआउट करने से पहले भी बहुत सेक्स किया।

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