ननद भाभी को एक साथ चोदा

दो चुत दो गांड की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने कैसे माली की घरवाली और उसकी ननद को अपने घर पर बुला कर चोदा और पांच दिनों तक मजा लिया.

दोस्तो, मेरा नाम संजय है. मैं अन्तर्वासना की कहानियां बीस सालों से पढ़ रहा हूं.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है, दो चुत दो गांड की चुदाई कहानी है, जो आज मैं आपके सामने रख रहा हूं.

उस समय मेरी शादी नई नई हुई थी और मैं अपनी पत्नी के साथ बहुत मजे से रह रहा था.

मेरी पत्नी को फूलों से बहुत प्यार है.
हमारे घर पर एक छोटा सा बगीचा है जिसमें मेरी पत्नी ने बहुत सुंदर फूल लगा रखे थे.

एक दिन उसको अपने चचेरे भाई की शादी में जाना पड़ा.
मुझे भी जाना था पर किसी कारण से जाना नहीं हो सका था.

बीवी के जाने के बाद उसी दिन एक गाय ने बगिया के सारे फूल खराब कर दिए थे.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
मेरे दिमाग में एक माली का ख्याल आया जो घर के पास रहता था.

मैं उसके घर चला गया.
घर पर दरवाजा खटखटाया तो अन्दर से एक लड़की आई.
मैं उसको देखता ही रह गया.

वो बोली- हां जी बोलिए?
मैंने पूछा- माली भाई हैं क्या?
वो बोली- नहीं हैं … वो दस दिनों के लिए गांव गए हैं.

मैं टेंशन में आ गया.
वो बोली- रुको, भाभी को बुलाती हूं.

वो अन्दर गई और अपनी भाभी को बुला लाई.
उसकी भाभी भी सुंदर थी.

मैंने उसको अपनी परेशानी बताई.

वो बोली- चलो, कोई बात नहीं … मैं आपके साथ चलती हूं.
माली की पत्नी मेरे साथ मेरे घर पर आ गई.

उसने बगीचा देखा और बोली कि कोई बात नहीं, हम दोनों मिलकर इसको ठीक कर देंगी.
मुझको थोड़ी तसल्ली हुई.

वो दोनों ननद भौजाई बगीचे में काम पर लग गईं.
मैं उनके लिए अन्दर से चाय बना लाया.

मैंने उन दोनों को चाय दी और उनका नाम पूछा.
माली की पत्नी का नाम मीनू था और उसकी ननद का नाम कोमल था.

मैं वहीं खड़ा होकर चाय पी रहा था.
मेरी नजर कोमल पर पड़ी और उसकी छाती पर ठहर गई.

मेरा लौड़ा कोमल की चूचियां देख कर खड़ा हो गया.
कोमल ने मेरी ओर देखा और वो मुस्कुराने लगी.

मैंने उसकी मुस्कान देख कर अपना मुँह फेर लिया.
फिर जैसे तैसे मैंने चाय पी और वापिस रूम में आ गया.

मैंने मीनू से कहा- क्या आप मेरे लिए खाना बना दोगी, आजकल मेरी पत्नी घर पर नहीं है.
उसने हामी भर दी और वो मेरे साथ रसोई में आ गई.

मैंने उसको रसोई में आटा चावल आदि सब सामान बताया और वो खाना बनाने में लग गई.

कोमल बाहर बगीचा में काम कर रही थी.

हम दोनों रसोई में थे.
इस दौरान कभी कभी मेरा हाथ मीनू से लग रहा था.
मीनू ने साड़ी पहन रखी थी.

मेरा लौड़ा तो खड़ा ही था, तभी मीनू का हाथ मेरे लौड़े पर लग गया.
वो लंड छूकर हंस दी.

बस फिर क्या था … मैंने मीनू का हाथ पकड़ा और उसकी कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खींच लिया.

वो इसके लिए एकदम से तैयार तो थी पर थोड़े स्त्री सुलभ नाज नखरे कर रही थी.
मीनू बोली- नहीं साहब, ये ठीक नहीं है. मैं ऐसी वैसी नहीं हूं.

मैंने कुछ नहीं सुना. मीनू के होंठों पर किस की.
पहले तो वो मना कर रही थी, फिर मेरा साथ देने लगी.
मैं उसकी साड़ी उतार रहा था तो वो बोली- ये नहीं करो … कोमल आ जाएगी.

मैंने गैस बंद की और मीनू को अपने बेडरूम में ले गया.

तभी मैंने बाहर देखा तो कोमल काम कर रही थी.
मैं वापिस आकर मीनू को किस करने लगा.

मीनू मेरा साथ दे रही थी.
मैंने उसकी साड़ी उतार दी.
वो पेटीकोट और ब्लाउज में आ गई.

मैं उसकी चूची दबाने लगा, वो भी मेरा लौड़ा दबा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया. आह क्या मस्त चूचे थे मीनू के … बहुत टाइट माल थी.
मैं एक चूची को मुँह में लेकर किस कर रहा था और वो पैंट के ऊपर से मेरा लौड़ा पकड़ रही थी.

मैंने पैंट खोल दी और अंडरवियर भी निकाल दी.
वो लंड देखने लगी, तब तक मैंने अपनी शर्ट भी निकाल दी.

हमें बहुत मज़ा आ रहा था. मीनू पूरी गर्म हो चुकी थी.
मैंने उसका पेटीकोट भी खोल दिया. वो भी नंगी हो चुकी थी.

मैं मीनू को खड़े खड़े ही चोदने में लग गया.

अभी मैं मीनू को चोद ही रहा था कि कोमल ने हमको देख लिया.
मीनू डर गई और खुद को छुपाने लगी.

मैंने कोमल का हाथ पकड़ा और उसे भी अपनी ओर खींच लिया.
वो भी गर्म हो गई थी तो उसने कुछ नहीं कहा.

मैं कोमल का सूट उतारने लगा. उसका सूट उतरते ही वो ब्रा पैंटी में आ गई.

फिर मैंने उसकी चूची को पकड़ा और दबाने लगा.
अब तक मीनू भी समझ गई थी कि दोनों को मजा मिलने वाला है.

मैंने उसको भी अपने पास खींच लिया.
फिर मैंने कोमल की ब्रा को खोल दिया साथ ही उसकी पैंटी को उतार दिया.

अब दोनों मेरे सामने बिल्कुल नंगी थीं. एक हाथ में मीनू की चूची, दूसरे हाथ में कोमल की चूची.
मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं दो लड़कियों को एक साथ चोदूंगा.

फिर मैंने कोमल को नीचे बिठा दिया और उसके मुँह में लौड़ा डालने लगा.
वो लंड चूसने से मना कर रही थी.

मैंने मीनू से कहा तो वो फट से नीचे बैठ गई और मेरा लौड़ा चूसने लगी.
मैं कोमल की चूची दबाने लगा.

सच में एक साथ दो लड़कियों को चोदने की सोच कर मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

मीनू मेरा लौड़ा बड़े मजे से चूस रही थी और मैं कोमल की दोनों चूचियों को बारी बारी से चूस रहा था.

कुछ ही देर में मेरा काम मीनू के मुँह में ही हो गया.
उसने मुँह में रस लेकर बाहर थूक दिया.

अब मैंने मीनू को बेड पर बिठा दिया और कोमल को भी उसके बाजू में बिठा दिया.

मेरा लौड़ा झड़ कर छोटा बिल्कुल बच्चों की तरह हो चुका था.

फिर मैंने कोमल से कहा- तुम भी मुँह में लेकर देखो, ये बड़ा हो जाएगा तो मैं तुम दोनों को चुदाई का मजा दूंगा.
उसने मीनू की तरफ देखा.

मीनू ने हां कर दी.
शायद कोमल अपनी भाभी के सामने लंड चूसने में झिझक रही थी.

मीनू की तरफ से हरी झंडी मिलते ही कोमल ने भी लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
धीरे धीरे मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.

मैं मीनू की चूची दबा रहा था, बड़ा मजा आ रहा था.

मेरा लौड़ा बिल्कुल पहले जैसा हो गया था, एकदम रॉड की तरह.

अब मैंने दोनों को बेड पर लिटा दिया और मीनू को चोदने में लग गया.

मीनू शादीशुदा थी तो वो पहले ही अपने पति के साथ कई बार सेक्स कर चुकी थी इसलिए वो आराम से लौड़ा ले रही थी.

दस मिनट मीनू को चोदने के बाद मैंने लौड़ा कोमल की फुद्दी में डाला ही था कि वो चिल्लाने लगी.

ये देख कर मीनू डर गई और कोमल की ओर देखने लगी.
मीनू ने कहा- कोमल की फुद्दी आराम आराम से पेलो, अभी इसकी कुंवारी है.

मैं रुक गया और कोमल की चूचियां चूसने लगा.
पांच मिनट बाद मैंने फिर से कोमल की चूत में एक झटका मारा.

वो एकदम से चिल्ला पड़ी- हाय दैया मर गई … आह बचा लो भाभी.
मीनू अपनी ननद को सहलाने लगी और उसकी चूची चूसने लगी.

कोमल थोड़ी देर चिल्लाती रही मगर मैं लंड अन्दर बाहर करता रहा.

कुछ देर बाद शायद कोमल को अच्छा लगने लगा था, उसने मुझको कसके पकड़ लिया.
अब वो आंह आह करती हुई चुदवा रही थी.

मीनू भी हम दोनों की चुदाई को देख रही थी और अपनी चूची दबा रही थी.

कुछ देर में मेरा काम हो गया था.

मैंने कोमल की फुद्दी में ही अपना माल निकाल दिया था.
कोमल मुझको किस पर किस किए जा रही थी.

जैसे ही मैंने कोमल की फुद्दी से लौड़ा बाहर निकाला, वो खून से सना पड़ा था.

एकदम लाल लंड देख कर मीनू मुस्कुराने लगी और अपनी ननद से बोली- खुल गई तेरी चूत की मोरी!
कोमल भी हंसने लगी.

मैं बाथरूम में गया और लौड़ा धोकर वापिस आया.
वो दोनों एक दूसरे के कान में कुछ कह रही थीं, पता नहीं क्या … पर बात तो थी.

जब मैंने बाहर देखा तो अंधेरा हो चुका था.
मीनू बोली- कोमल चलो घर चलें.

वो कपड़े पहनने लगी.
मैंने भी कपड़े डाल लिए थे.

मीनू कपड़े डाल ही रही थी कि मैंने उससे कहा कि आज तुम दोनों मेरे पास ही रुक जाओ, रात को मजे करेंगे.
वो मना करने लगी.

मैंने कहा- अच्छा कोमल को यहीं छोड़ दो.
वो मान गई.

मीनू चली गई और सुबह आने की बोल गई.

मैं कोमल को बाइक पर लेकर मार्किट चला गया और वहां से कामवर्धक गोली ले आया.
साथ ही कोमल के लिए पेनकिलर और गर्भनिरोधक गोली ले ली. साथ में खाने का सामान भी ले लिया.

मैं और कोमल वापिस आए.
घर आकर हम दोनों बाथरूम में नहाने लग गए.

नहा कर मैंने अपनी वाइफ की एक नाइटी कोमल को दी.
वो नाइटी पहन कर कोमल बहुत सेक्सी लग रही थी.

फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैंने गोली खा ली.
अब दोनों जाने बेडरूम में आकर बेड पर लेट गए.

मैंने कोमल की नाइटी खोली. उसको नंगी करके मैं भी नंगा हो गया.

मैंने कोमल की टांगें फैला दीं और अपने लंड को उसकी फुद्दी पर रख दिया.
अपने लंड को अन्दर डालना शुरू किया और हल्के धक्के देने लगा.

कोमल के मुँह से ‘आह … आह्ह … ओह्ह …’ की कामुक सिसकारियों की आवाज़ें निकलने लगीं.

मैंने पूरा लंड कोमल की फुद्दी के अन्दर डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा.
हमारा जोश और ज्यादा बढ़ रहा था.

हम एक-दूसरे से लिपट गए और पूरे जोश में सेक्स करने लगे.

मैं भी जोर-जोर से आवाज़ें निकालने लगा.
कुछ ही देर में कोमल झड़ गई.

मैं अभी भी चोदने में लगा हुआ था.

मेरा गीला लौड़ा कोमल की चूत में बहुत आसानी से अन्दर जा रहा था.

फिर कुछ देर में मेरा लंड भी पानी छोड़कर शांत हो गया.
उसके बाद कुछ वक्त तक हम वहीं लेटे रहे.

मैं कोमल के पूरे जिस्म को चूमने लगा गया.

दस मिनट बाद मेरा लौड़ा फिर खड़ा हो गया और मैं फिर से कोमल को चोदने में लग गया.
बीस मिनट बाद वो फिर से झड़ गई और मैं भी कुछ देर बाद टपक गया.

मैंने कोमल को सारी रात में कई बार चोदा.

सुबह मीनू ने हमको उठाया.
मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए.

मीनू अन्दर आई और उसने कोमल को देखा.
वो बिना कपड़ों के नंगी सो रही थी.

मैंने मीनू को पीछे से पकड़ा और दूसरे कमरे में ले गया.
उधर उसकी साड़ी उतार कर उसको नंगी कर दिया और उसको चोदने लगा.

वो अब खुल कर मजा लेने लगी थी.
उसने मेरा साथ दिया.

मैं मीनू को चोदते हुआ बोला- यार, तुम्हारा पति दस दिन नहीं आने वाला है, तुम भी यहीं रुक जाओ ना.
वो बोली- हां आज रुक जाऊंगी.

कुछ देर बाद वो झड़ चुकी थी.
मैंने उसकी फुद्दी में ही सारा रस निकाल दिया.

मीनू बगीचा में चली गई और मैं कोमल के साथ लेट गया.
कोमल उठी और बाथरूम में चली गई.

मैं उसके पीछे गया.
वो नहाने लगी तो मैं भी कोमल के साथ नहाने लगा.

हम दोनों नंगे ही बाहर आ गए और एक दूसरे को देखने लगे.

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और कोमल बगीचा में जाकर मीनू की मदद करने लगी.
दस बजे मीनू ने नाश्ता बनाया.

हम तीनों ने एक साथ नाश्ता किया. फिर उन दोनों ने बगीचा ठीक कर दिया.
अब मेरा बगीचा पहले से ज्यादा सुंदर लग रहा था.

शाम को मैं कोमल को लेकर बाजार चला गया और तीन गोली और लेकर वापिस आ गया.

मीनू ने खाना बना लिया था, हम तीनों ने साथ में खाना खाया.

थोड़ी देर टीवी देखा और दस बजे हम सब एक ही बेड पर आ गए.
मैंने पहले मीनू को नंगी किया, फिर कोमल को … और फिर मैं खुद नंगा हो गया.

इस बार मैंने दोनों को घोड़ी बना दिया.
पहले मैंने मीनू की फुद्दी में लौड़ा डाला, मेरा लौड़ा उसकी फुद्दी में ना जा कर उसकी गांड में चला गया, जिसके लिए मीनू रेडी नहीं थी.

वो चिल्लाने लगी, पर अब कुछ नहीं हो सकता था.
मैंने एक झटका और मारा तो मेरा पूरा लौड़ा उसकी गांड में फिट हो गया.

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही रहे.
फिर मैं मीनू की गांड मारने लगा.
उसको भी मजा आने लगा.

मीनू की उत्सुकता देख कर कोमल बोली- सुनो न … आप मेरे साथ ऐसे ही करोगे क्या?
मैंने हां कह कर सिर हिला दिया.

मेरा होने को था; मैंने लंड का माल उसकी गांड में निकाल दिया और बाथरूम में जाकर लौड़ा धोकर वापिस आ गया.

अब मेरे एक साइड में कोमल और एक साइड में मीनू थी.
मतलब दो चुत दो गांड एक साथ थी मेरे पास!

मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि दो लड़कियों को एक साथ चोदूंगा. सच में बहुत मजा आ रहा था.
सोचो दोस्तो, आपको पढ़ कर जितना मजा आ रहा है, तो करने में मुझे कितना मजा आया होगा.

अब मैं कोमल को किस कर रहा था और मीनू मेरी पीठ पर किस कर रही थी.
हम तीनों नंगे ही थे.

मीनू मेरा लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी.
थोड़ी देर लंड से खेलने के बाद मीनू उठ कर बैठ गई.

वो मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी.
वाओ बड़ा मजा आ रहा था!
मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था.

मैं कोमल की चूचियो को कसके दबा रहा था और चूस रहा था.
नीचे मीनू मेरा लौड़ा चूस रही थी कोमल की चूचियां तो लाल हो गई थीं.

मैंने कोमल की चूचियां छोड़ीं और मीनू को औंधा लिटा दिया. मैंने पीछे से उसकी फुद्दी में लौड़ा डाल दिया.

मीनू लंड का पूरा मजा ले रही थी और कोमल बस हम दोनों को देख रही थी.
थोड़ी देर बाद मेरा होने को था, पर मीनू का दो बार हो गया था.

इस बार मैंने अपना सारा माल मीनू की फुद्दी में भर दिया.

मैंने अपना लौड़ा फिर से धोया और आकर कोमल के मुँह में डाल दिया.
वो मजे से लंड चूसने लगी और मैं उसके मुँह में लंड अन्दर बाहर करने लगा.

कोमल बहुत अच्छे तरीके से लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगी थी.
ये सब देखकर मीनू बहुत खुश हो रही थी क्योंकि वो अपनी ननद को लंड चूसना सिखा चुकी थी.

मैंने कोमल को खड़ा किया और उसके बूब्स चूसने लगा.
वो जोर-जोर से कामुक सिसकारियां लेने लगी.

मैं तेजी से चूत में उंगली करने लगा और बेतहाशा चूमने लगा.

कुछ ही देर में मैं उसे खड़े-खड़े ही चोदने में लग गया.
कोई बीस मिनट बाद कोमल का काम हो गया और मेरा भी.

कोमल गांड मारने की कहने लगी.
मगर मुझे मालूम था कि इसकी गांड फट जाएगी तो मैंने उसे आखिरी दिन गांड मारने का कहा और उससे लंड चुसवाने लगा.

फिर कुछ देर बाद लंड खड़ा हो गया तो मैंने फिर से मीनू को चोदना शुरू कर दिया.
इस तरह दोनों ननद भाभी को सारी रात चोदा.

ये मजा पांच दिन तक चला. छठे दिन मेरी वाइफ घर वापस आ गई.
बीवी के आने से पहले वाली रात में मैंने कोमल की गांड मारी.

वो सब किस तरह से हुआ, इसे अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.

आपको मेरी यह सच्ची दो चुत दो गांड की चुदाई कहानी अच्छी लगी या नहीं? मुझे जरूर बताएं. मैं आप लोगों के मैसेज का इंतजार करूंगा.
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