पड़ोसन विधवा भाभी को पटाकर चूत चोदी

फ्री भाभी सेक्स कहानी मेरी बहुत ही खूबसूरत पड़ोसन की है. अचानक उनके पति का निधन हो गया. मैंने उनकी मदद करने की सोची. मदद के बदले मुझे क्या मिला?

नमस्कार दोस्तो, मैं प्रवीण कुमार एक बार फिर से अपनी पड़ोस की विधवा भाभी नम्रता के साथ मस्ती भरी फ्री भाभी सेक्स कहानी को लेकर हाजिर हूँ

हमारे पड़ोस में एक भाभी रहती हैं, जो कि बहुत ही खूबसूरत महिला हैं.
अगर आप उनको देखोगे तो आपका लंड तुरंत ही हरकत करना शुरू कर देगा.

भाभी जबसे शादी होकर आई थीं, तब से हमारे मोहल्ले के सभी लड़के की नीयत भाभी पर डोल रही थी कि किसी तरह भाभी को एक बार चोदने का मौका मिल जाए.
मैं भी उन लड़कों में से एक था.

भाभी को इन सब बातों का अहसास था कि मोहल्ले के सभी लड़के उनको वासना भरी नजरों से देखते हैं लेकिन भाभी किसी को भाव ही नहीं देती थीं.
वे अपने पति में ही खुश थीं.

भाभी की शादी के 2 साल बाद ही अचानक उनके पति का निधन हो गया.
अब भाभी पर घर की जिम्मेदारी उठाने की आन पड़ी थी.

भाभी के परिवार में उनके बूढ़े सास-ससुर और उनका 5 माह का लड़का था.

घर के सभी लोगों की जिम्मेदारी भाभी पर आ गई थी.
अपनी सभी जिम्मेदारियों के बारे में सोचकर भाभी काफी उदास रहने लगी थीं और उनकी यह उदासी मुझे देखी नहीं जा रही थी.

इसलिए एक दिन बड़ी हिम्मत करके मैं भाभी के घर गया और उनको समझाने की कोशिश की- जो हो गया, उसके बारे में ज्यादा मत सोचो. अब आपको ही अपने बच्चे और बूढ़े सास ससुर को सम्भालना है. आप इस तरह से उदास रहोगी, तो आप अपने घर को कैसे सम्भाल पाओगी?

मेरी इस बात पर भाभी ने कहा- लगता है इस मोहल्ले में सिर्फ आपको छोड़कर कोई भी इंसान है ही नहीं. आप ही पहले इंसान हो, जो मेरी तकलीफ में मुझे समझाने आए हो. पर मैं क्या कर सकती हूं. क्या आप मुझे कुछ काम दिला सकते हो?
मैंने कहा- ठीक है भाभी. मैं एक दो दिन में आपके लिए काम ढूंढ कर आपको बताता हूँ.

फिर मैं अपने घर जाते वक्त भाभी को 2000 रू देना चाह रहा था मगर भाभी ने मना करना शुरू कर दिया.

मैंने जबरदस्ती भाभी के हाथ को पकड़कर उनके हाथ में रूपए थमा दिए और कहा- अगर आपको कोई भी काम हो या आपको कुछ चाहिए हो … तो आप मुझे बिना हिचकिचाहट के बोल देना.

भाभी ने कहा- ठीक है प्रवीण. मैं वैसे भी अब आपके सिवाए किसको बोल सकती हूं. आप ही तो इस पूरे मोहल्ले में एक ऐसे इंसान हैं, जो मेरी दुख और तकलीफ समझ रहे हैं और मेरी मदद करने आए हैं. बाकी लोगों को तो मेरी तकलीफ दिखाई ही नहीं दे रही है.

इसके बाद भाभी ने मेरा मोबाइल नम्बर मांग लिया.
मैंने भी झट से भाभी को अपना नम्बर दे दिया और घर आ गया.

मैं उस दिन अपने ऑफिस चला गया और ऑफिस जाते ही मैंने भाभी की सारी दास्तान अपने सर को सुना दी.

भाभी की सारी बातों को मेरे मुँह से सुनने के बाद सर ने भाभी को काम देने का निर्णय कर लिया और उन्हें तुरंत ही बुलाने का कह दिया.
मैंने भाभी को कॉल करके बताया कि मेरे सर आपको अभी मेरे ऑफिस में बुला रहे हैं.

भाभी के पास मेरे ऑफिस आने का कोई साधन नहीं था, तो मैं ही बाइक लेकर उनके घर पहुंच गया.
तब तक भाभी तैयार हो गई थीं.

मैं भाभी को अपनी बाइक पर बिठाकर सीधा अपने ऑफिस लेकर आ गया.
इसके बाद सर और भाभी की कुछ देर तक बात हुई.

भाभी को सर ने दूसरे दिन से काम में आने को बोल दिया.
अब भाभी काफी खुश थीं कि उनको कुछ काम तो मिल गया.
भाभी काम मिलने की खुशी में मुझे बार बार धन्यवाद दे रही थीं.

मैंने भी अब भाभी के साथ मजाक करते हुए बोल दिया- भाभी आपके लिए तो आपका देवर कुछ भी कर सकता है, आप बोलो तो सही … ये नौकरी तो बहुत छोटी सी बात है.
भाभी ने हंस कर कहा- जो आपने मेरे और मेरे परिवार के लिए किया है, उसके लिए मैं आपकी सदा के लिए आभारी रहूंगी. बस एक बात और है कि आप ऑफिस आएंगे, तो मुझे भी अपनी बाइक में बैठाकर लेकर आना जाना तय कर लीजिए.
मैंने कहा- हां ठीक है न भाभी.

अब दूसरे दिन से भाभी और भाभी के 5 माह का बच्चा एक साथ ऑफिस जाने लगे.
हम दोनों एक साथ ऑफिस से वापस घर आते थे.

धीरे-धीरे भाभी अपने पति का गम भूलने लगी थीं.

मैं भी भाभी को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करने में लग गया था कि भाभी कैसे भी करके मुझको पसंद करना शुरू कर दें.
मैंने भाभी और उनके बच्चे का पूरा ध्यान रखना शुरू कर दिया था.

इससे भाभी को लगने लगा था कि मैं उनके बच्चे और उनका कितना ज्यादा ख्याल रखता हूँ.

इसके साथ साथ मैंने प्रति दिन भाभी की हिम्मत की तारीफ भी करना शुरू कर दिया था.
जिसका परिणाम भी मुझे मिलना शुरू हो गया था.

भाभी मेरे साथ एकदम से सहज होती जा रही थीं.
अब मैंने इसका फायदा उठाने की सोच लिया था.

एक दिन जब हम दोनों की ऑफिस से छुट्टी हुई तो रास्ते में घर आते समय मैंने कह दिया कि भाभी आप मुझे पसंद हो.
मेरी इस बात पर भाभी बोलने लगीं- हां मुझे पहले से पता है कि आप मुझे पसंद करते हैं और इसलिए आप मेरी इतनी मदद करते हैं. लेकिन आप जानते हो कि मैं एक बच्चे की मां हूं.
मैंने कहा- तो क्या हुआ?

भाभी- ये जानने के बाद भी आप ऐसी बात कर रहे हो. आप अभी कुंवारे हो तो आपको मुझ विधवा के बारे में नहीं सोचना चाहिए. आप मेरी जो मदद करते हो, वही मेरे लिए काफी है. मेरी मदद करने के लिए आप मुझसे जो चाहो, मांग भी सकते हो. मैं देने के लिए तैयार हूं. बाकी रही बात मेरी खूबसूरती की, तो आपको मेरे से भी खूबसूरत लड़की मिल जाएगी.
मैंने कहा- भाभी, मैं कुछ नहीं जानता हूं, मुझे तो फिलहाल आप ही चाहिए.

भाभी कहने लगीं- मैं सब समझ गई हूं कि आपको मेरे साथ सोना है. ये बात आप सीधे सीधे नहीं बोल सकते हो क्या?
मैंने कहा- भाभी आप खुद इतनी समझदार हो, तो खुलकर बताने की जरूरत ही क्या है.

भाभी- आपकी और मोहल्ले के सभी लड़कों की नियत एक जैसी ही है. लेकिन आप मेरे मददगार हो, तो मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं भी आपकी इच्छा पूरी करूं.
मैंने तुरंत बोला- भाभी मेरी कामना कब करेंगी?

भाभी हंस कर बोलीं- जब आप चाहो.
मैंने बोला- मुझे तो अभी आपका साथ चाहिए. आप कहें तो किसी होटल में चलते हैं.

भाभी- अभी ये सब नहीं बन सकता है. अभी घर चलते हैं और जब रात में मेरे सास-ससुर सो जाएंगे, तो मैं आपको कॉल करके बुला लूंगी, आप आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.

अब हम दोनों घर पहुंचने ही वाले थे तो संजीदा हो गए और हम दोनों ने हंस कर बात करना बंद कर दिया.

मैं भाभी को उनके घर में छोड़कर अपने घर चला गया.
अब मुझे बेसब्री से भाभी के कॉल का इंतजार था.

भाभी का कॉल करीब दस बजे रात को आया और उन्होंने मुझे अपने घर बुला लिया.

मैंने भाभी के घर में जाने की पहले से ही व्यवस्था बना ली थी.
मेरे घर में मैं अपने कमरे के खिड़की की तरफ से बाहर निकला और भाभी के घर पहुंच गया.

भाभी दरवाजे के पास ही खड़ी थीं तो उन्होंने तुरंत दरवाजा खोलकर मुझे झट से अन्दर खींच लिया और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया.

अब भाभी मुझे अपने कमरे में लेकर चली गईं और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने भाभी को वासना से देखा और अपनी बांहें फैलाईं, तो वो मेरी बांहों में आकर समा गईं और मुझसे बोलने लगी- हम दोनों एक ही उम्र के हैं, तो आप मुझे भाभी मत बोला करो. आज से मैं और आप दोस्त हैं.

तो मैंने कहा- ठीक है नम्रता, अब से तुम भी मुझे आप कह कर मत बुलाया करो.

मैं और भाभी एक दूसरे की बांहों में आ गए और करीब दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर चूमाचाटी के साथ बातें करते रहे.
भाभी के वक्ष स्थल से मेरा सीना लगे रहने से मेरा लंड एकदम से तनकर खड़ा हो गया था.

भाभी को भी मेरे खड़े लंड का अहसास हो गया था कि मेरा लंड अब पूरी तरह तैयार हो गया है.
उन्होंने ज्यादा देर नहीं की और मुझसे बोलीं- अब बिस्तर पर चलो.

वो मुझे अपने साथ बेड पर लेकर आ गईं.

भाभी के बिस्तर पर पहले से उनका 5 माह का बच्चा सोया हुआ था तो मैंने उनके बच्चे को चुपचाप उठाकर झूले में ले जाकर सुला दिया.

मैं भाभी के साथ बिस्तर में लेट गया.
अगले ही पल भाभी मेरे ऊपर आ गईं और मेरे लोअर को नीचे खिसकाने लगीं.

मेरे लोअर के साथ साथ भाभी ने मेरी चड्डी भी निकाल दी.
भाभी के सामने मेरा लंड तनतनाकर खड़ा था. भाभी मेरे लंड को गौर से देख रही थीं.

मैंने कहा- क्या देख रही हो नम्रता? ये तुम्हारे मुँह और चूत के लिए कब से तैयार खड़ा है. तुम कुछ ज्यादा देर कर रही हो.
भाभी- यार, तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लंबा है. मैं यही देख रही हूं कि इसे मैं अपनी चूत में ले पाऊंगी या नहीं!

मैंने कहा- आराम से ले लोगी, तुमने तो एक बच्चा पैदा भी कर लिया है तो तुम्हारी चूत में मेरा लंड आराम से घुस जाएगा. ये तुम्हें बिना दर्द दिए मस्त चुदाई का खूब मजा देगा.
भाभी- लेकिन मैंने कभी भी मोटा और लंबा लंड नहीं लिया, मेरे पति का लंड तुमसे बहुत छोटा था, इसलिए डर लग रहा है.

मैंने कहा- कुछ नहीं होगा तुम इसको प्यार करोगी, तो ये भी तुमको प्यार करेगा और जरा सा भी दर्द नहीं देगा. इसे मुँह से चूस कर प्यार करो न!
भाभी- मैंने कभी भी अपने पति का लंड नहीं चूसा था. मैं तुम्हारा लंड भी नहीं चूस सकती.

मैं- नम्रता, मुझे तुमसे सब कुछ कराना है और खुद भी मुझे तुम्हारे साथ सब कुछ करना है. तुम सोचो मत और जल्दी से मेरा लंड अपने मुँह में ले लो.

भाभी मना भी कर रही थीं और मेरे लंड को सहला भी रही थीं.
मैंने उन्हें उठाकर अपने लंड की तरफ कर दिया.
भाभी का मुँह मेरे लंड के सामने आ गया था.

मैंने लंड को तुनकी देते हुए कहा- शर्माओ मत नम्रता, ले लो.
भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया.

मुझे बड़ा ही आनन्द आ रहा था.
इस तरह से कुछ समय तक भाभी के लंड चूसने से मेरा रस निकलने ही वाला था तो मैंने भाभी का मुँह अपने लंड से निकाल दिया.

भाभी ने लंड पकड़ लिया और बोलीं- क्यों हटा लिया?
मैंने भाभी से पूछा- तुमने कभी जूस पिया है कि नहीं?

भाभी- नहीं, मैंने लंड ही नहीं चूसा था तो जूस पीने की बात ही कैसे कहूँ. मैंने कभी नहीं पिया है.
मैंने कहा- आज पीकर देखोगी?

भाभी- नहीं यार, मैं नहीं कर पाऊंगी.
मैंने ज्यादा जिद नहीं की और भाभी को बिस्तर में सीधा लिटा दिया. मैंने उनकी नाईट ड्रेस को उतार दिया.

भाभी अब मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं.
सच में वो एक कयामत माल लग रही थीं … एकदम जन्नत की हूर लग रही थीं.
मैं उनको वासना की नजरों से निहार रहा था.

भाभी शर्मा गईं और बोलीं- ऐसे मत देखो प्लीज़.
मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा.
भाभी के ऊपर चढ़ कर उनके होंठों और गालों पर बुरी तरह से टूट पड़ा.

मेरे इस तरह से करने से भाभी भी गर्म हुई जा रही थीं.
अब मैंने अब भाभी के वक्षस्थल को दबाना शुरू किया ही था कि उन्होंने मना कर दिया.

मैं उन्हें सवालिया नजरों से देखने लगा.
भाभी बोलने लगीं कि नहीं यार, स्तन के साथ कुछ मत करो, नहीं तो दूध बाहर आ जाएगा.

दोस्तो, ये तो आपको भी समझ आ रहा होगा कि भाभी का अभी पांच माह का बच्चा है, वो भाभी का दूध पीता है … और इसी लिए वो मुझे मम्मों से छेड़खानी करने से मना कर रही थीं.

फिर मैंने भी भाभी के मम्मों के साथ कुछ नहीं किया और सीधे भाभी के नीचे की तरफ आ गया.
मैंने उनकी पैंटी को नीचे खिसका दिया.

मेरे सामने भाभी की चूत लपलप कर रही थी, चूत से पानी रिस रहा था.
मैं भी भाभी की चूत का स्वाद लेने के लिए मरा जा रहा था.

मैं अपना मुँह भाभी की चूत पर ले गया और अपनी जीभ से भाभी की चूत का स्वाद लेते हुए चाटने लगा.

नम्रता भाभी सिहर उठीं और उनकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
मैंने भी भाभी की चुद का सारा पानी चाट लिया और चूत को एकदम साफ कर चमका दिया.

मेरे इस तरह से करने से भाभी चुदवाने के लिए बेचैन होने लगी थीं और मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबाए जा रही थीं.

इसी के साथ भाभी लम्बी लम्बी सांस लेती हुई कराह रही थीं- आह आह आह … आह आह प्रवीण बस भी करो न … मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है … प्लीज अपना लंड मेरी आग में जल रही चुद में डाल दो न यार … जल्दी से मुझे चोद दो.

मैंने भी भाभी की बात मानते हुए अपना मुँह भाभी की चूत से हटा लिया और जल्दी से अपना लंड भाभी की चूत के मुँह पर ले जाकर टिका दिया.

भाभी एकदम भूखी शेरनी की तरह व्यवहार कर रही थीं.
ऐसा शायद इसलिए भी हो सकता था कि उनका बच्चा जब एक माह का था, तभी भाभी के पति की मृत्यु हो गई थी.
अब उनके पति की मृत्यु हुए 4 माह हो गए थे और भाभी चार 4 माह से चुदी भी नहीं थीं.

भाभी को चुदाई की बहुत जल्दी थी तो उन्होंने मुझसे प्यार से कहा- तुम मुझे ज्यादा मत तड़पाओ प्रवीण, जल्दी से मेरी चुदाई करो, मुझसे रहा नहीं जा रहा है. अपना लंड अन्दर डाल दो और मेरी जी भरके चुदाई कर दो. मैं तुमसे कुछ नहीं बोलूंगी और न ही कोई शिकायत का मौका दूँगी.

भाभी की इस तरह की बात सुनने के बाद मैंने उनके सामने अपनी बात रखते हुए कहा- नम्रता मुझे हर रोज तुम्हारी चुदाई करना है, हर रोज मुझे चूत चोदने मिलेगी या नहीं?

उन्होंने तुरंत कहा- हां ठीक है, मैं हर रोज तुमको चोदने को दूँगी, लेकिन पहले अभी मुझे चोदना शुरू करो.

मैंने तुरंत ही भाभी की चूत में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया.
भाभी की चूत मेरे लंड के लिए एकदम पसीज रही थी.

जैसे जैसे मेरा लंड भाभी की चूत में अन्दर जा रहा था, वैसे वैसे ही हम दोनों को हल्का हल्का दर्द हो रहा था.
मगर भाभी और मैंने इस मीठे दर्द को सहन करते हुए एक दूसरे का साथ देना जारी रखा.

अंततः मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में अन्दर जड़ तक जाकर समा गया.

कुछ पल लंड को चूत की गर्मी का अहसास दिलाने के बाद मैंने अपना लंड भाभी की चूत में धीरे-धीरे चलाना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद भाभी का दर्द कम होने लगा और वो भी चुदाई का आनन्द उठाने लगीं.

भाभी ने मेरा पूरा सहयोग देना आरम्भ कर दिया. भाभी ने अपनी टांगें पूरी तरह से फैला दी थीं और मेरे लंड को अंत तक लेने लगी थीं.

इसी के साथ भाभी ने मुझको बहुत जमकर जकड़ा हुआ था.

वो लंड से चुदने की खुशी के साथ मुझसे कहे जा रही थीं- आंह अच्छा लग रहा है प्रवीण … ऐसे ही मेरी चुदाई करते रहो … आंह मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.

मै भी पूरी ताकत से भाभी की चुदाई करते हुए आनन्द ले रहा था.

तकरीबन बीस मिनट की चुदाई के बाद भाभी पूरी तरह से झड़ गई थीं और थक कर निढाल हो चुकी थीं.

मगर मैं अभी भी अपने लंड को चूत के हाइवे पर दौड़ा रहा था.
मेरी खुशी के लिए भाभी ने मेरा साथ देना जारी रखा.

हालांकि ये दौड़ ज्यादा देर तक न चल सकी और भाभी के झड़ने के दो मिनट बाद मैं भी कगार पर आ गया.

मैंने अपने वीर्य की पिचकारियां भाभी की चूत में ही निकाल दीं और भाभी के ऊपर ही सो गया.

मेरा वीर्य चूत में गिरते ही भाभी एकदम से डर गईं और बोलने लगीं- तुम झड़ने वाले थे, तो तुमने अपना लंड मेरी चूत से बाहर क्यों नहीं निकाला? अगर मैं तुम्हारे बच्चे की मां बन गई तो लोग मुझे क्या कहेंगे?

मैंने भाभी को शांत करते हुए कहा- कुछ नहीं होगा, डरो मत नम्रता, मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ. मैं तुम्हारी गर्भावस्था की जांच की किट लाकर दे दूंगा, तुम जांच करके देख लेना. अगर तुम गर्भवती हो गईं, तो मैं तुम्हें डॉक्टर के पास ले जाऊंगा. फिर डॉक्टर के हिसाब से तुम दवाई खा लेना.

ये सुनकर भाभी थोड़ी शान्त हो गईं और बोलने लगीं- मुझे तुम पर पूरा भरोसा है प्रवीण. मुझे तुम्हारे रहते डरने की जरूरत नहीं है. तुम जब चाहो, तब मैं तुम्हारे साथ चुदाई करने के लिए तैयार हूं.
मैंने मजाक में कहा- आज के बाद मैं तुम्हारे साथ कभी भी चुदाई नहीं करूंगा.

भाभी- तुमको नहीं करना है लेकिन मैं तो रोज चुदाई करवाना चाहती हूं. मेरे पति ने तुम्हारी तरह कभी भी मेरी चुदाई नहीं की थी. वो तो कुछ ही मिनट में झड़ जाते थे. तुम बहुत अच्छी तरह से चुदाई करते हो, मैं आज बहुत खुश हूं.
मैंने कुछ नहीं कहा.

फिर भाभी मुझसे पूछने लगीं- अभी तक तुम कितनों की चुदाई कर चुके हो?
मैंने भाभी से झूठ बोलते हुए कहा- नम्रता, तुम पहली औरत हो. इससे पहले मैंने किसी के साथ चुदाई नहीं की थी.

मेरी बात सुनकर भाभी बड़ी खुश हो गई थीं.

इस तरह से हम दोनों बात करते-करते एक दूसरे के बांहों ही सो गए.

दो घंटे के बाद मेरी नींद खुल गई.
मैंने भाभी को भी उठा दिया और एक बार फिर भाभी की चुदाई करना चालू कर दी.

सुबह होने को थी तो मैंने भाभी को चूमा और अपने कपड़े पहन कर घर आ गया.

अब तो मैं रोज भाभी के साथ सोने के लिए और उनकी चुदाई करने जाता हूं.
कभी कभी भाभी और मैं ऑफिस में भी जगह और मौक़ा देख कर जल्दी वाली चुदाई कर लेते हैं.

भाभी और मैं एक दूसरे को बहुत खुश रखते हैं. फ्री भाभी सेक्स के बाद उनको हमेशा एक बात का डर रहता है कि कहीं वो गर्भवती ना हो जाएं.

अब भाभी मुझे अपनी पत्नी की तरह लगती हैं, इसलिए मैं भाभी की हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश करता हूँ ताकि भाभी मुझे हमेशा अपनी चूत चोदने को देती रहें.

दोस्तो, यह थी मेरी फ्री भाभी सेक्स कहानी, आपको कैसी लगी … मेल से जरूर बताना
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मेरी पिछली कहानी थी: व्हाट्सएप ग्रुप से एक भाभी ने मुझे पटाया

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