बाज़ार में पटाया, घर जाकर चोदा

चालू भाभी Xxx कहानी में पढ़ें कि मैंने बाज़ार में एक सेक्सी फिगर वाली भाभी को देखा. वो एक दूकान में घुसी तो मैं भी पीछे पीछे चला गया. उसके बाद …

दोस्तो, मेरा नाम निक है और मैं 31 साल का हूं।

चूत मेरी सबसे बड़ी कमजोरियों में से एक है।
किसी भी औरत या लड़की की चूत चुदाई करने के लिए मेरा लंड हमेशा ही तैयार खड़ा रहता है।

आज मैं आपको चालू भाभी Xxx कहानी बताने जा रहा हूं जिसको देखते ही मेरे लंड खड़ा हो गया और मैंने उसको चोदने का मन बना लिया।
मैं भाभी की चुदाई करने में कैसे कामयाब हुआ, आप मेरी स्टोरी में पढ़कर जानें।

एक बार मैं बाजार में गया हुआ था कि एक भाभी पर मेरी नजर जाकर रुक गई।
उसके 34 के चूचे और 30 की कमर और 34 की गांड गजब का फिगर बना रही थी।
उसने पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी जो उसकी गांड की शेप को और ज्यादा उभरी हुई दिखा रही थी।

चलते हुए भाभी की गांड ऐसे हिलती थी जैसे दो बड़े तरबूज एक दूसरे से टकराकर डोल रहे हों। उसकी मस्त मोटी रसीली गांड देखकर मेरा लंड तो उसकी चुदाई के लिए मचल उठा।

भाभी एक दुकान में घुसी तो मैं भी उसके पीछे घुस गया।
बर्तनों की दुकान थी।

वो कुछ सामान देखने लगी तो मैं भी उसके आसपास मंडराने लगा।
मैं बहाने से भाभी की गांड पर लंड लगाने की कोशिश कर रहा था जो मेरी पैंट में तना हुआ था।

एक दो बार मैं लंड लगाने में कामयाब भी हो गया।
उसको पता चल गया कि मैं उसकी चूत के चक्कर में घूम रहा हूं।

फिर वो उस दुकान से निकल गई और मैं भी भाभी के पीछे पीछे निकल गया।

वो अगली दुकान में जा घुसी।
उस दुकान में ज्यादा भीड़ थी।

मैं भी भाभी के पीछे पीछे चल रहा था। अब मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी क्योंकि वो एक दो बार मेरे लंड की तरफ देख चुकी थी और मुझसे नजरें भी मिला चुकी थी।

मैंने फिर से भाभी की गांड पर लंड लगाया और अबकी बार उसने मौका देखकर मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही अपने हाथ में पकड़ लिया।
उसने लंड को दबाकर छोड़ दिया।
मैं जान गया कि भाभी की चूत भी चुदाई के लिए तड़प रही है।

फिर वो जब निकलने लगी तो मेरी ओर घूमते ही मैंने उसके चूचे दबा दिए।
उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहां से निकल गई।

अब मेरे लिए भी लाइन क्लियर थी। मैं भाभी के पीछे पीछे हो लिया। वो आगे आगे चलती रही और मैं पीछे पीछे चलता रहा।

फिर वो एक गली में जाकर जल्दी से एक घर में घुस गई और दरवाजा बंद कर लिया।
अब मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूं?

मुझे डर भी लग रहा था और लंड भी खड़ा हुआ था।
मेरा बदन पूरा पसीने से भीग गया था।

फिर मैंने घबराते हुए दरवाजे की बेल बजाई।
भाभी ने गेट खोला तो मैंने कहा- भाभी, बहुत प्यास लगी है मुझे, एक गिलास पानी मिल सकता है क्या?

पानी लेने के लिए वो पीछे मुड़ी तो मैं भी उसके पीछे घुस गया और उसको पकड़ कर पीछे से उसकी चूचियों को दबाने लगा।
वो जल्दी से दरवाजे की ओर लपकी और उसको अंदर से बंद कर दिया।

फिर मुझे और ज्यादा सेक्स चढ़ गया और मैं उसकी चूचियों को दोनों हाथों में भरकर जोर जोर से दबाने लगा।
वो एकदम से जोर जोर से सांसें लेने लगी और उसका बदन कांपने लगा।

इतने में मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
वो पहले तो हटने का नाटक करती रही लेकिन दो मिनट के बाद मेरे होंठों को पूरा साथ देते हुए चूसने लगी।

मेरे हाथ नीचे की ओर बढ़ने लगे।
मैंने उसकी साड़ी को नीचे से उठा दिया और उसकी पैंटी में हाथ देकर उसकी चूत को मसलने लगा।

भाभी की चूत पर मुझे बाल महसूस हो रहे थे जिनमें गीलापन आ गया था।
मैंने उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।

मुझसे रुका नहीं जा रहा था, जल्दी से मैं उसके घुटनों में बैठ गया और साड़ी के अंदर मुंह देकर उसकी पैंटी नीचे खींच दी।
मैंने उसकी जांघें चौड़ी करवा दीं और उसकी गीली चूत को चूमना और चूसना शुरू कर दिया।

वो सी … सी … करने लगी और मेरे सिर को हटाने की कोशिश करने लगी।

मगर मैं उसकी चूत को खाने में लगा रहा। कभी मैं उसमें उंगली से चोदने लगता तो कभी जीभ देकर कुरेदने लगता।

इतने में ही उसकी जांघें बुरी तरह से कांपने लगीं।
मैं तेजी से उसकी चूत में जीभ को चला रहा था।

उसने मेरे सिर को चूत में दबाना शुरू कर दिया।
मुझे लगा कि यही मौका है भाभी की चूत में लंड देने का! मैं जल्दी से उठा और पैंट की चेन खोलकर लंड बाहर निकाल लिया।

मैंने उसकी साड़ी को गांड तक ऊपर उठा दिया और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर सेट कर दिया।
फिर एक जोर के धक्के के साथ मैंने भाभी की चूत में लंड को अंदर घुसा दिया और उसको चोदने लगा।

दो-तीन मिनट तक उसकी चूत में धक्के मारने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाल दिया।
अगर मैं और ज्यादा चोदता तो मेरा वीर्य बहुत जल्दी झड़ जाता इसलिए मैं पूरा मजा लेना चाहता था।

लंड निकाल कर मैंने भाभी को दूसरी तरफ घुमा दिया और उसके चूतड़ों में लंड को लगा दिया।
हल्के हल्के धक्के देते हुए मैंने उसके कान में कहा- नाम तो बता दो भाभी अपना!

वो बोली- पारुल …
मैं- आह्ह … पारुल … क्या मस्त गांड है तुम्हारी … इतनी मोटी और रसीली गांड को तो हर कोई चोदने के लिए तड़प जाए।
फिर मैंने उसको घुमाकर एकदम से बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।

कभी मैं उसके गालों को चूम रहा था और कभी उसकी गर्दन को चूम रहा था। उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया और ब्लाउज खोलकर एक तरफ कर दिया। उसकी मोटी मोटी और गोरी चूचियों को पाकर मैं तो जैसे धन्य हो गया।

मैंने ब्लाउज खोला और उसकी रसीली चूचियों को पीने लगा।
मैं बीच बीच में उसके निप्पलों को दांतों से काट भी रहा था जिससे वो बुरी तरह से तड़प उठी थी।

फिर मैंने पास की दीवार के साथ सटाकर उसकी एक टांग उठा दी और लंड का सुपारा उसकी चूत पर सटा दिया।

एक धक्के के साथ मैंने फिर से लंड को उसकी चूत में चढ़ा दिया।
उसके मुंह से आह्ह … निकल गई।
मैं लगातार उसकी चूत में लंड को पेलने लगा।

पारुल अब कामुक सिसकारियां ले रही थी- आह्ह … आराम से … आईई … आह्ह … अम्म … ओह्ह … अम्म … ऊईई … आह्ह!
वो मेरे बालों को सहला रही थी और बीच बीच में मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगती थी।

उसकी चूत से लगातार रस निकल रहा था जिससे चूत पूरी चिकनी हो गई थी और उससे पच-पच की आवाज होने लगी थी।
फिर मैंने उसे पास पड़े सोफे पर गिरा लिया और उसके ऊपर लेटकर चूत चोदने लगा।

पांच मिनट तक सोफे पर चुदाई करते हुए मैंने उसकी चूत में ही अपना माल गिरा दिया।
हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए थे।

फिर वो मुझे हटाकर बाथरूम में चली गई। उसके बाद वो फ्रेश होकर वापस आई।

उसके घर में कोई भी नहीं था; शायद वो अकेली रहती थी।

फिर उसने मेरे लिए चाय बनाई और मैं चाय पीकर वहां से चला गया।

उसके बाद से मेरी उससे बातें होने लगीं।
दो-तीन दिन के बाद फिर से मुझे चुदाई की ललक उठी तो मैंने उसको मिलने के लिए कहा।
वो कहने लगी कि कहीं बाहर चलेंगे, घर में बार बार किसी का आना ठीक नहीं है, लोगों को शक होगा।

मुझे भी उसकी बात ठीक लगी।
मैं उसको लेने के लिए चला गया।
वो बाहर आ गई और थोड़ी दूरी पर आकर मेरी बाइक पर बैठ गई।

सब लोग उसको ऐसे घूर रहे थे जैसे वो बहुत बड़ी रंडी हो।
हम शहर के बाहर आ गए जहां से जंगल शुरू हो जाता था।

मैंने देखा कि एक लड़का लगातार पीछे बाइक लिये आ रहा था।
बीच जंगल में जाकर मैंने बाइक धीमी की तो उस लड़के ने भी बाइक धीमी कर ली।

मैं समझ गया कि ये इसका दूसरा आशिक होगा।
फिर भी मैं उसको लेकर अंदर चला गया।

अंदर जाकर मैंने एक बड़े से पेड़ के नीचे भाभी को पकड़ कर चूमना शुरू कर दिया। उसके होंठों को चूसते हुए मैं कपड़ों के ऊपर से ही उसकी चूत और चूचियों को सहलाने लगा।

वो भी मेरे लंड को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगी।

कुछ ही देर में हम दोनों नीचे से नंगे हो गए और मैंने उसे पेड़ के सहारे झुकाकर पीछे से उसकी चूत में लंड दे दिया और उसे चोदने लगा।
साथ ही मुझे ये भी ख्याल था कि वो लड़का हमारा पीछा कर रहा है इसलिए मैं बार बार पीछे भी देख भी रहा था।

फिर कुछ देर बाद मुझे वो लड़का मेरे पीछे ही कुछ दूरी पर खड़ा मिला।
वो अपने लंड को हाथ में लेकर सहला रहा था जो कि पूरा तना हुआ था।

इससे पहले कि मैं कुछ कहता उसने अपने होंठों पर उंगली रखते हुए मुझे चुप रहने का इशारा किया।
वो धीरे धीरे हमारे पास आ गया और उसने पीछे से पारुल की चूचियों को भींचना शुरू कर दिया।

जब उसे लगा कि दो की जगह अब उसके बदन पर चार हाथ आ चुके हैं तो वो एकदम से घूमी और उसने लड़के को उसकी गांड पर लंड सटाए हुए पाया।

उसने मेरी तरफ देखा और फिर लड़के की तरफ देखा। वो शायद उसको जानती थी। वो लड़का भी शायद भाभी को पहले से जानता था।

पारुल बोली- तू यहां क्या गांड मरवा रहा है अपनी?
वो लड़का बोला- मरवा तो तू रही है रानी … मुझे भी मारने दे।
ये बोलकर वो उसकी तरफ बढ़ा तो पारुल उसको हटाने लगी।

लेकिन लड़का भी पक्का चोदू था। उसने पारुल को पेड़ की ओर धकेल दिया और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी चूत को सहलाने लगा।

भाभी की चूत को लंड का स्वाद मिल चुका था। वो मस्ती में चुदना चाहती थी इसलिए बनावटी विरोध ज्यादा देर न चला।
उसने लड़के के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और लड़के की उंगली भाभी की चूत में अंदर बाहर होने लगी।

पारुल अब सिसकारियां लेते हुए उसके लंड की मुठ मारने लगी।

अब माहौल और ज्यादा गर्म हो गया था।

हमने पारुल को नीचे घास पर घोड़ी बना लिया और उस पर चढ़ाई कर दी।
नीचे से मैंने उसकी चूत में लंड दे दिया और ऊपर से लड़के ने उसकी गांड में लौड़ा फंसा दिया।

पारुल भाभी की चूत और गांड चुदाई अब एक साथ होने लगी।
हम दोनों उसे बुरी तरह से चोदने लगे और वो भी पूरे जोश में आह्ह … चोदो … और चोदो … आह्ह चोदो … करते हुए दो-दो लौड़ों का मजा लेने लगी।

हमने 10 मिनट तक पारुल भाभी की चूत और गांड चुदाई की। फिर दोनों ही उसकी चूत और गांड में झड़ गए।

कुछ देर सांसें संभालने के बाद हम वहां से निकले और अपने अपने घर के लिए चल दिए।

वो लड़का तो अपने रास्ते निकल गया लेकिन मैं पारुल के साथ उसके घर आ गया।
मुझे उसकी गांड चुदाई करनी थी। आज उसकी गांड चुदाई दूसरे मर्द के साथ देखकर मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था।

घर आने के बाद मैंने उसको समझा बुझाकर गांड चुदवाने के लिए मना लिया।
वो भी तैयार हो गई और फिर मैंने उसको नंगी करके बाथरूम में साबुन लगाकर उसकी गांड मारी।

चालू भाभी Xxx की गीली गांड चोदकर मुझे ऐसा मजा आया कि मैं क्या बताऊं।

उसके बाद मैंने कई बार उस भाभी की चुदाई की।
वो भी मुझे कई बार अपनी चूत की आग मिटाने के लिए बुला लेती थी।

शायद वो उस एरिया की चुदक्कड़ भाभी थी क्योंकि कई लोग उसको वासनाभरी नजरों से देखकर मुस्कराते थे।

दोस्तो, ये थी देसी भाभी की चूत और गांड चुदाई की कहानी।
आपको ये चालू भाभी Xxx कहानी कैसी लगी? अपने कमेंट्स और ईमेल में जरूर बताना।
मेरा ईमेल आईडी है- [email protected]

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