कजिन सिस्टर की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं बुआ के घर रह कर पढ़ी कर रहा था. एक दिन मैंने बुआ की बेटी को पूरी नंगी देखा. मैं उसकी चुदाई की चाह करने लगा.
लेखिका की पिछली कहानी: पड़ोसन भाभी को लंड की जरूरत थी
दोस्तो, मेरा नाम प्रिंस है. मैं आगरा से हूँ.
मैं 22 साल का लड़का हूँ. मेरा रंग गोरा है, लंड 7 इंच का खीरे सा मोटा है.
आज मैं अपनी बुआ की लड़की यानि कजिन सिस्टर की चुदाई कहानी आप सभी से साझा कर रहा हूँ. ये सेक्स कहानी आज से दो साल पहले की है.
मैंने अपनी फुफेरी बहन की सील तोड़ी थी.
मैं पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गया था और इधर अपनी बुआ के घर रहता था.
फूफा जी बाहर जॉब करते थे तो बुआ जी को भी मेरे आने से एक आसरा हो गया था.
बुआ एक निजी कम्पनी के ऑफिस में काम करती थीं.
मेरी बुआ की बेटी का नाम दीपिका था.
एक दिन दीपिका नहा कर निकली. उस समय घर पर कोई नहीं था. बुआ ऑफिस गई हुई थीं.
उस दिन घर मैं अपने रूम में ही था.
जिस समय दीपिका नहा कर बाहर निकली, उसी समय अचानक से मैं अपने कमरे से पानी पीने के लिए बाहर निकला.
मैंने देखा कि दीपिका एकदम नंगी ही बाथरूम से निकली और अपने कमरे की तरफ जाने लगी.
उसे इस अवस्था में देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मेरे हाथ से पानी का गिलास था तो वो गिर गया.
गिलास गिरने की आवाज से उसका ध्यान मेरी तरफ चला गया और वो जल्दी से भाग कर अपने कमरे में चली गयी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया.
इस समय मेरी खोपड़ी में दीपिका की मदमस्त जवानी ही घूम रही थी.
मैं उसके बारे में सोच कर लंड सहलाने लगा.
जब मुझसे रहा न गया तो मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और मुठ मारने लगा.
उस दिन मुझे मुठ मारने में इतना मजा आया कि बता नहीं सकता.
शाम को उसकी मॉम आईं तो उन्होंने मुझे बुलाने दीपिका को मेरे कमरे में भेजा.
मैं उस टाइम भी उसके बारे में ही सोच कर लंड हिला रहा था.
उसने कमरे का दरवाजा बजाया और आवाज देकर बोली- भैया, मॉम ने आपको खाने के लिए बुलाया है.
मैं लंड अन्दर करके खाना खाने बाहर आ गया.
बाहर मेज पर वो भी खाना खा रही थी. उसकी नजरें झुकी हुई थीं.
मैं उसे ही देखता रहा.
वो मुझे अब बस नंगी ही दिख रही थी.
खाना खाने के बाद दीपिका अपने कमरे में चली गयी. उसने मेरी तरफ देखा ही नहीं.
मगर मैं समझ गया था कि वो मुझसे झेम्प रही है.
कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा.
मैं बस अब ये ही सोच रहा था कि कैसे भी करके दीपिका की चुत चोदने को मिल जाए.
उसके चक्कर में मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगता था.
फिर एक दिन वो अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तो मैं चुपके से उसे देखने लगा.
उसने अपने सारे कपड़े उतारे और अपनी चुत सहलाने लगी.
कुछ देर तक वह अपने मम्मों से भी खेला और अपने कपड़े पहन कर लेट गई.
मैं उसी के दरवाजे के बाहर उसे देख कर मुठ मारने लगा.
तभी अचानक से उसने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया.
वो उधर से चिल्ला कर बोली- ये तुम क्या कर रहे हो … शर्म नहीं आती?
मैं कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चला गया.
मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो ये सब बुआ से ना कह दे.
बुआ शाम को घर आईं और दीपिका से मुझे बुलाने को बोलीं.
दीपिका मेरे कमरे में आई और अजीब सी आवाज में बोली- मॉम बुला रही हैं … चलो.
उसकी इस तरह की टोन से मैं डर सा गया और सोचने लगा कि इसने पक्के में बुआ से कह दिया होगा.
मैं डरते हुए गया और बुआ से बोला- जी बुआ जी … क्या हुआ!
उन्होंने पूछा- क्या हुआ का क्या मतलब है? खाना नहीं खाना है क्या … चलो बैठो खाना खा लो.
मैंने राहत की सांस ली और खाना खाने बैठ गया.
मेरे सामने दीपिका बैठी थी.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो सर झुका कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
मैं समझ गया कि दीपिका ने उस दिन की झेम्प मिटाने का बदला लिया है.
इस सबमें एक बात साफ़ हो गई थी कि जवानी आग उसे भी लगी थी और मुझे भी लगी थी.
हम दोनों एक दूसरे की आग को समझ चुके थे.
इसी बीच मैंने एक हरकत करना शुरू कर दी थी.
मैं दीपिका की पैंटी में मुठ मार कर अपना रस छोड़ देता था.
मगर इस बात को भी दीपिका ने बुआ से नहीं कही.
फिर कुछ दिन बाद बुआ मुझसे बोलीं- मुझे कुछ दिन के लिए काम से बाहर जाना है, तो घर का और अपनी बहन का ख्याल रखना.
मैंने पूछा- आपको कब जाना है?
बुआ बोलीं- कल जाना है … दो हफ्ते के लिए, ऑफिस का बहुत ज़रूरी काम है. वैसे तो मैं दीपिका को भी साथ ले जाती, पर उसके एग्जाम चल रहे हैं और एक पेपर बचा है.
मैंने कहा- ओके बुआ कोई बात नहीं मैं हूँ ना … सब संभाल लूंगा.
बुआ अपनी तैयारी करने में लग गईं. फिर सुबह 6 बजे वाली ट्रेन से चली गईं.
अब मैं और दीपिका ही घर में अकेले रह गए थे.
वो आठ बजे अपना पेपर देने चली गई.
जब स्कूल से वापस आई तो मैंने पूछा- तुम्हारा लास्ट पेपर कैसा हुआ?
वो हंस कर बोली- मस्त.
दीपिका बहुत खुश नजर आ रही थी.
उसकी कुछ दिन की स्कूल की छुट्टी भी हो गयी थी.
मैंने उससे कहा- आज शाम को मैं बाहर से खाना ले आऊंगा तुम बनाना मत.
वो बोली- ठीक है.
शाम को मैं होटल से खाना लेकर आया और हम दोनों ने साथ में खाना खाया.
फिर हम दोनों टीवी देखने लगे और बात करने लगे.
उसने अचानक से पूछा- तुम्हारी कोई जीएफ है क्या?
मैंने बोला- नहीं.
उसने कहा- क्यों?
मैंने बात पलटते हुए पूछा- तुम्हारा है कोई?
उसने कहा- नहीं है.
मैंने कहा- मेरी भी नहीं है.
उस समय हम दोनों एक हॉरर मूवी देख रहे थे.
तभी एक डरावना सीन आया, वो डरने लगी और मेरे से चिपक कर बैठ गयी.
उसके चुचे मेरे सीने से टच हो रहे थे.
मैं लोवर पहने हुए था तो मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने पिलो से लंड दबा लिया.
उसने देख लिया और बोली- क्या दबा रहे हो?
ये मैंने कहा- कुछ नहीं.
उसने कहा- कुछ तो दबा रहे हो, मुझे देखने दो.
मैंने कहा- अरे यार कुछ नहीं है.
उसने झटके से पिलो खींच लिया तो मेरा लंड लोवर में से साफ़ दिख रहा था.
वो मेरा खड़ा लंड देख कर शर्मा गयी. मैं उठ गया और अपने रूम में आ गया.
मैं कमरे की लाइट बंद करके लेट गया.
कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई.
करीब दो बजे मुझे लगा कि मेरे पास कोई है.
मैंने देखा तो दीपिका मेरे बाजू में लेटी हुई थी.
मैं पानी के लिए उठा तो वो जाग गयी और बोली- कहां जा रहे हो?
मैंने उसे बोला- पानी लेने जा रहा हूँ मगर तुम यहां कैसे?
वो बोली- मुझे अकेले डर लग रहा था.
मैंने कहा- कोई बात नहीं सो जाओ.
कुछ देर वो सो गयी और अब मेरे को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि वो शॉर्ट्स में मेरे बगल लेटी थी.
उसकी टांगों पर एक भी बाल नहीं था. उसकी चिकनी टांगें देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
कुछ देर बाद मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और फेरने लगा.
उसकी तरफ से कुछ भी रिएक्श्न नहीं हुआ तो धीरे धीरे मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिया और दबाने लगा.
वो उठ गयी और मेरी तरफ देखने लगी. मैंने आंखें बंद कर लीं.
उसने भी कुछ नहीं बोला.
मेरा हाथ अब भी उसके मम्मों पर ही था और मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
उस टाइम मैं अंडरवियर में ही था.
वो मेरी तरफ मुँह करके लेट गई तो मेरा खड़ा लंड उसकी टांगों से टच होने लगा.
थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई.
सुबह मैं उठा तो देखा कि वो मेरे बाजू में नहीं थी.
तभी वो मेरे कमरे के बाथरूम से बाहर निकली. इस समय वो केवल एक तौलिया में थी.
तभी अचानक से न जाने क्या हुआ कि उसका तौलिया गेट के हैंडल से फंस कर खुल गया और वो एकदम नंगी हो गई.
मैं उसे देखने लगा.
इस वक्त वो क़यामत लग रही थी.
उसकी नजरें मेरी नजरों से टकराईं लेकिन वो अपनी तौलिया ठीक करने की जगह मुस्कुराने लगी.
मैं उसे ही एकटक देख रहा था.
उसके चूचे बड़े ही मस्त लग रहे थे, दोनों टांगों के बीच चिकनी चुत पानी से भीगने के कारण बड़ी ही कामुक लग रही थी.
वो एक बार भी नहीं शर्माई बल्कि इठला कर मुझसे पूछने लगी- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस तुम्हें ही देख रहा हूँ.
वो नंगी ही चल कर मेरे पास आई और होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करने लगी.
उसके नंगे बदन की समीपता और चुम्बन से मैं एकदम से शॉक्ड रह गया.
वो बोली- रात को तो बहुत खड़ा हो रहा था … अब क्यों नहीं हो रहा.
ये कह कर उसने हाथ में पकड़ी हुई तौलिया को बड़ी नजाकत से मेरे सामने अपने जिस्म पर लपेटी और गांड हिलाती हुई अपने रूम में चली गयी.
मैं अपनी सुधबुध खो चुका था और मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
मैं सर झटकता हुआ उठा और नहाने के लिए बाथरूम में आ गया.
उधर मैंने दीपिका की नंगी जवानी को याद करके लंड हिलाया और फारिग होकर अपने कॉलेज चला गया.
उस रात को मैं थोड़ा लेट आया क्योंकि मैंने कॉलेज के बाद शाम को चार पैग व्हिस्की के लगा लिए थे.
दारू पीते समय मैं दीपिका के बारे में ही सोच रहा था.
मुझे समझ आ गया था कि आज दीपिका मेरे लंड से चुदने को रेडी है.
बस ये सोचा तो मैंने दो पैकेट कंडोम के खरीद लिए और घर आ गया.
मुझे मालूम हो गया था कि अब उस पर भी कंट्रोल नहीं हो रहा है.
रात में खाना खाकर हम दोनों टीवी देख रहे थे.
मैंने बात शुरू की- तुम सुबह क्या चाह रही थीं?
वो बोली- कुछ नहीं.
मैंने कहा- फिर किस क्यों किया था?
वो बोली- वो तो ऐसे ही, पर तुमको तो अच्छा ही लगा होगा न!
मैंने बोला- हां अच्छा तो लगा था मगर तुमको शर्म नहीं आई?
वो हंसी और बोली- शर्म कैसी, तुम भी तो छिप छिप कर मुझे नंगी देखते थे और कई बार मुझे वो सब करते हुए भी देख भी चुके हो.
मैंने कहा- ये तुमको कैसे मालूम है?
वो बोली- जब तुम मुझे देख कर मुठ मारते थे और मेरी पैंटी में पानी निकाल देते थे, तो क्या मैं इतनी नासमझ हूँ कि ये बात समझ ही न पाऊं … घर में तुम्हारे अलावा कोई और तो है नहीं, जो ये सब मेरी पैंटी के साथ करता हो. फिर कल रात में जब तुम मेरे बूब्स दबा रहे थे, तो क्या मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था?
मैंने तभी उसके हाथ को टच किया और उसे अपने पास खींच कर उसके गाल पर किस कर लिया.
वो बोली- ये क्या है?
मैंने बोला- किस.
वो बोली- तुमको किस करना नहीं आता है.
मैंने पूछा- तुमको तो आता है न!
वो बोली- मॉर्निग में किया तो था. अब तुम वैसे ही करके बताओ.
मैंने उसको होंठों पर होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा.
करीब 15 -20 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और वासना के वशीभूत होकर चूमाचाटी करने लगे.
मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसने मेरे!
अब हम दोनों नंगे थे.
मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसके मम्मों को दबाने लगा. साथ ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चुत में डाल दी.
वो गर्मा गई और सीत्कार करने लगी.
मैं नीचे को आया और उसकी चुत चाटने लगा.
वो कामुक सिसकारियां लेने लगी और मुँह से ‘आह भाई मर गई आह और चाटो आह मेरी चुत खा जाओ.’ की आवाज निकालने लगी.
मैंने एक उंगली उसकी चुत में अन्दर तक डाली तो वो थोड़ा चिल्लाने लगी.
कुछ देर बाद वो झड़ गई तो मैंने उसकी चुत को चाटकर साफ़ कर दिया.
मैंने कहा- अब तुम मेरा मुँह में लो.
वो बोली- नहीं.
मैंने कहा- क्यों … प्लीज़ ले लो, मुझे अच्छा लगेगा.
फिर वो मान गयी और मेरा लंड चूसने लगी.
पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसे चित लिटा दिया.
वो समझ गई कि अब चुत चुदने वाली है.
मैंने उसकी चुत पर तेल लगा दिया और कुछ अपने लंड पर भी.
क्योंकि ये उसका फर्स्ट टाइम था लेकिन जैसे वो लंड के लिए मचल रही थी, उससे लग नहीं रहा था कि इसकी सील साबुत बची होगी.
फिर मैंने उसकी दोनों टांगों को ऊपर लिया और उसकी चुत के मुँह पर अपना लंड सैट कर दिया.
वो गांड उठाने लगी तो मैंने एक जोर से धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड चुत के अन्दर घुस गया.
वो उसी पल जोर से चिल्ला उठी.
मैंने उसका मुँह दबाया और बाजू में पड़ी उसकी ब्रा को उसके मुँह में घुसेड़ दी.
उसकी आवाज बंद हुई तो मैंने फिर से एक और जोर का धक्का दे दिया.
इस बार मैंने पूरे लंड को चुत की जड़ तक अन्दर घुसा दिया.
उसकी आंखों से पानी आने लगा. साथ ही उसकी चुत से खून की लकीर बिस्तर को रंगने लगी.
मैं रुक गया और उसे सहलाने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चुत से लंड निकाला और उसके ब्लड को साफ कर दिया.
वो बोली- अब नहीं करो.
मैंने बोला- तुम ही तो चाहती थी.
वो बोली- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा.
मैं बोला- जितना होना था वो हो चुका अब नहीं होगा.
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने उसकी चुत में लंड घुसेड़ा और आराम आराम से अन्दर तक पेलता गया.
मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया और वो कसमसाती रही लेकिन इस बार उसने आवाज नहीं निकाली.
मैं धीरे धीरे लंड चुत में आगे पीछे करने लगा.
थोड़ी देर तक बाद उसे भी मज़ा आने लगा.
अब मैं तेज तेज चुदाई करने लगा.
उसके मुँह से मस्ती भरी आवाजों ने निकलना शुरू कर दिया था- आह आह और तेज!
इससे मेरा जोश और बढ़ गया और मैं तेजी से लंड अन्दर बाहर करने लगा.
करीब 15 मिनट बाद मेरा पानी निकलने को हो गया. मैंने लंड चुत से निकाला और सारा पानी उसकी चुचियों पर निकाल दिया.
थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूस चूस कर फिर से खड़ा कर दिया.
इस बार मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड पर थोड़ा सा तेल लगा दिया.
उसने कहा- ये किधर डाल रहे हो?
मैंने कहा- इधर तुमको पहले से भी ज्यादा मज़ा आएगा.
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने उसकी गांड पर लंड रखा और एक जोर से धक्का मारते हुए पूरा लंड अन्दर कर दिया.
वो एकदम से छटपटा उठी और गाली देने लगी- उई मम्मी रे … मर गई निकाल ले मादरचोद … बहुत तेज दर्द हो रहा है … जल्दी निकाल माँ के लौड़े!
मैंने उसकी एक नहीं सुनी और गांड मारनी चालू कर दी.
कोई पांच मिनट गांड में लंड चला तो उसे भी मजा आने लगा.
वो मस्ती से गांड मरवाने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उसकी गांड से लंड निकाला और चुत में पेल दिया.
वो खुश हो गई.
ऐसे ही मैंने उस रात में कई बार सिस्टर की चुदाई की और नंगे ही चिपक कर सो गए.
उसके बाद हम दोनों रोज चुदाई करने लगे.
अब वो मेरे साथ फुल न्यूड रहने लगी थी.
फिर बुआ के आने के बाद भी मैं उसे रात को कमरे में बुला कर चोद देता था.
दिन में भी एक राउंड चुदाई का पक्का था.
दोस्तो, ये मेरी सच्ची सेक्स कहानी है आपको कजिन सिस्टर की चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल करना न भूलें.
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