मेरी चालू माँ और मेरे दोस्त का जगराता

मेरी मां ने अंकल से चुदाई करवा ली थी. अब बारी थी मेरे दोस्त विशु की. मेरे दोस्त ने मेरी नंगी मम्मी को बेड पर लिटाया और उनके पैरों से चूमना चालू किया. उसके बाद …

नमस्कार दोस्तो, पहले तो मैं माफी चाहता हूं कि मैं कई दिनों के बाद स्टोरी डाल रहा हूं।
मेरी माँ की चुदाई की पिछली सेक्स कहानी
मेरी माँ और अंकल का जगराता
आपने पढ़ी. अब यह उसके आगे की कहानी है।

पिछली कहानी में जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मेरी मां ने अजय अंकल के साथ चुदाई करवा ली थी. अब बारी थी मेरे दोस्त विशु की. तो स्टोरी को यहीं से शुरू करते हैं.
>विशु बोला- अंकल आपका हो गया क्या?
अंकल बोले- हां बेटा, मेरा हो गया. अब मेरे से नहीं हो पाएगा.
और अंकल जाकर सोफे पर बैठ गए. लेकिन वे मुझे दिख नहीं रहे थे क्योंकि सोफा दरवाजे के बिल्कुल इधर था.

और अब विशु की बारी थी. माँ ने उसको बोला- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो, तेरे लिए मैं बहुत दिनों से इंतजार कर रही थी अब देख, हम तेरे घर में ही तेरे ही बिस्तर में सेक्स करेंगे।

विशु बोला- हां आंटी, मैंने आपके लिए ही अंकुर से दोस्ती की थी. और आज मेरा वह सपना पूरा होने जा रहा है जिसमें कि मैं आपकी चूत को चोद दूंगा.

और वे दोनों हंसने लगे.

मेरे दोस्त ने मेरी मां को बेड पर लिटाया.<
विशु- ओफ्फो जानेमन, इस दिन का इंतजार तो मैं बहुत दिनों से कर रहा था, तुम्हारी याद में कई बार मैंने अपना हिलाया है और अपना माल गिराया है। अब जो तुम आ गई हो तो सारी फैंटेसी पूरी कर लूंगा।
मां- इंतजार तो मैं भी कर रही थी तुम जैसे गबरु नौजवान के हाथों अपने बदन को रगड़ मारने का। मैं जानती हूं कि तुम जब मेरे घर पर आते थे तो मेरी चूची को देखते थे।
विशु- जब मालूम था तो मुझे पहले ही इशारा क्यों नहीं किया, मैं उसी वक्त तुम्हें तुम्हारे बेटे के सामने ही चोद देता। चलो अब तुम मेरे साथ हो, अब कोई दिक्कत नहीं है।
मां- अभी ज्यदा बातें मत बनाओ और चुपचाप मेरी बांहों में आओ, वैसे ही बहुत ज्यादा देर कर दी तुमने। मुझे लगा कि शहर के लड़के बहुत तेज होते हैं लेकिन तुम तो एकदम गोबर गणेश निकले।
सब लोग हंस दिए.
विशु ने धीरे-धीरे मां के पैरों को किस करना चालू किया और धीमे-धीमे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा. मां के पैर के अंगूठे को चूसना शुरु करके वो अपना हाथ मां की जांघों पर फिराने लगा.
मां अब धीरे-धीरे उत्तेजित होने लगी और विशु भी धीमे-धीमे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा.
अब विशु ने मेरी मां की जाँघों को चाटना शुरू किया. मेरी मां जो कि पूरी नंगी थी, वह अपने चूचियों को दबा रही थी.
तब विशु ऊपर उठा और मां को किस करने लगा. 15 मिनट तक दोनों ने एक दूसरे को किस किया. वो दोनों फ्रेंच किस कर रहे थे. कभी विशु की जीभ माँ के मुख के अन्दर तो कभी माँ की जीभ मेरे दोस्त के मुँह में!
वे दोनों इतने गर्म हो चुके थे कि एक दूसरे के अंदर मानो खो गए थे.
उसके बाद विशु ने अपने एक हाथ से मां के एक बूब्स को दबाना चालू किया और अपने मुंह के अंदर मां के दूसरे बूब को भर लिया.
मां अब ‘उह्ह्ह् अह्ह ह्ह्छ उफ्फ’ की आवाजें निकाल रही थी और विशु मां के दूध चूस रहा था. अभी विशु ने मां के दोनों बूब्स के बीच में अपना लंड रख दिया और अपना लंड मां के बूब्स के बीच में लंड को घिसने लगा.
वो इनको बहुत तेजी से आगे पीछे कर रहा था. माँ उसका लंड मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसका लंड मां के मुंह तक नहीं पहुंच पा रहा था. विशु मां के बूब्स पर थूक रहा था जिससे उसका लंड बड़े ही आराम से मां के बूब्स के बीच में से निकल रहा था.
अभी विशु बूब्स से थोड़ा सा आगे बढ़ा और उसने मां के मुंह के पास लंड रख दिया. मां ने जैसे ही उसका लंड अपने मुंह के पास पाया तो झट से उसने मेरे दोस्त का लंड अपने मुंह में डाल लिया. अभी वो धीमे-धीमे अपनी कमर को आगे पीछे कर रहा था और अपना लंड मेरी मां के मुंह में डाल रहा था. माँ भी एकदम मजे से कभी इस गाल में तो कभी उस गाल में उसके लंड को महसूस कर रही थी.
अब उसने मां के सर को पकड़ा और उसके मुंह के अंदर अपने लंड को बहुत तेजी से अंदर-बाहर करने लगा. विशु के लंड पर कोई भी बाल नहीं थे.
थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला जो पूरा मेरी मम्मी के थूक में सन गया था. उसने मेरे मां के मुंह पर लंड को किसी हथौड़े की तरह चार पांच बार मारा.
अब मेरी मां अपनी जीभ से विशु के लंड के ऊपरी हिस्से को चाट रही थी. और एक बार फिर से विशु के लंड को मां ने अपने मुंह के अंदर भर लिया. यह करीब 5 मिनट तक चला उसके बाद विशु पीछे हट गया.
अब वो मां की चूत के पास आया और मां की चूत में अपनी उंगलियाँ चलाने लगा. उसने अपनी दो उंगलियों से मां की चूत को फैलाया और अपनी एक उंगली उसमें डाल दी. विशु उंगली अंदर बाहर कर रहा था.
मेरी चालू मां जो कि अभी अंकल का लंड लेकर आई थी, उसको यह उंगली भी काफी अच्छी लग रही थी.
कुछ देर बाद उसने अपना मुंह मेरी मां की चूत पर लगा दिया और मां की चूत को चूसने लगा. उसने अपनी जीभ मां की चूत के अंदर डाल दी थी और वह अपने एक हाथ से मां की चूत के दाने को मसल रहा था.
मां सिसकारी की आवाज निकाल रही थी.
साथ ही विशु अपने एक हाथ से मां के बूब्स को दबा रहा था. मां भी अपने पैरों से विशु को उनकी चूत की तरफ खींच रही थी.
मेरे दोस्त ने अपनी उंगली भी मां की चूत के अंदर घुसा रकही थी और वो मेरी माँ की चूत भी चाट रहा था. अब तक मेरी चुदासी मां एक बार झड़ चुकी थी. मेरी माँ की चूत का रस विशु ने अपने मुंह में ही रखा और वापस मां को किस किया और सारा माल मां को पिला दिया.
अब माँ और विशु एकदम गरम हो गए थे. मेरी मां ने मेरे दोस्त के लंड को पकड़ा और बोली- अब इस नाग को उसके बिल में डाल दो.
विशु ने बोला- जैसी तेरी इच्छा … चल अपनी चूत फैला अब!
उसने अपने लंड पर कंडोम लगाया और मां की टांगों को फैला दिया. उसने अपना लंड मां की चूत के मुहाने पर रखा जो कि एकदम गरम हो गई थी और चूत चिपचिपी हो गई थी. लंड का टोपा बड़े आराम से मां की चूत के अंदर घुस गया.
धीरे-धीरे विशु ने अपनी स्पीड बढ़ाई और मां की सिसकारियां भी बढ़ती गई।
विशु अपनी कमर को अब थोड़ी तेज रफ्तार में चलाने लगा. विशु का लंड आधा मां के अंदर घुस चुका था और मां हर धक्के में थोड़ा सा ऊपर की ओर उठती थी. जो यह दर्शा रहा था कि मां की चूत अभी भी टाइट थी या यह भी दर्शा रहा था कि विशु का लंड बहुत बड़ा था.
अब लास्ट धक्के में विशु ने अपना पूरा लंड मां की चूत के अंदर डाल दिया जिससे मेरी चुदक्कड़ मम्मी थोड़ा तड़प उठी. लेकिन विशु तो अपने ही मजे में था, उसने अपना पूरा लंड एक बार फिर से बाहर निकाला और एक झटके में फिर से अंदर डाला.
मेरी चालू मां की चीख निकल गई और वह थोड़ा बेड की तरफ ऊपर की ओर उठ गई.
यह प्रक्रिया विशु ने चार पांच बार करी और हर बार मां का रिएक्शन एक जैसा ही था.
अब उसने मां को किस किया फिर से यह रिएक्शन करता रहा. थोड़ी देर के बाद मां सहज हो गई और अब विशु अपनी पूरी फुल फॉर्म के अंदर आ गया था. अब उसने मां के पैरों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी कमर का पूरा जोर लगाते हुए मां की चूत को चोदना चालू किया. कामवासना से भरपूर मेरी मां बहुत जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी लेकिन विशु के लंड की रफ्तार कम नहीं हुई.
लंड जब चूत पर पड़ रहा था तो ऐसा लग रहा था मानो कोई मिसाइल आसमान से जमीन पर गिर रही हो. थप थप की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था.
विशु अभी भी एकदम बुलेट ट्रेन की रफ्तार से मेरी मां की चुदाई कर रहा था. और मेरी रंडी माँ अन्ह्ह उफ्फ अन्नह विशु और चोदो मुझे! की आवाज में निकालकर सुखद अनुभूति की प्राप्ति कर रही थी.
उस मिशनरी पोजीशन में विशु ने मां को करीब 10 मिनट तक चोदा.

तब उसने मां को घोड़ी बनने के लिए बोला और मेरी नंगी माँ मेरे दोस्त के सामने अपने चूतड़ उठा कर घोड़ी बन गई. अब उसने मां के पीछे से उसकी चूत के छेद पर अपना लंड रखा और एक धक्के में अपना पूरा लंड मां की चूत के अंदर घुसा दिया.
मेरी मां की थोड़ी सी चीख निकल गई.

अब उसने मां के बालों को पकड़ा और अपनी ओर खींचा और अपने लंड को सटासट मां की चूत के अंदर घुसाता चला गया. मेरी मां ‘आह हूह …; की आवाज निकाल रही थी. मेरी अम्मा के बड़े बड़े बूब हिलने से ऐसा लग रहा था मानो किसी नारियल के पेड़ पर लटके नारीयल तेज हवा से झूल रहे हों.

एकदम गजब का सीन था वह! मैं तो इतना गर्म हो गया था मैं कि मैंने एक बार मुट्ठ मार लिया.

अभी विशु रुक गया और माँ खुद ही अपनी गांड को उठा उठा कर विशु के लंड पर लगा रही थी.

कुछ देर बाद विशु खुद बेड पर लेट गया और मां उसकी ओर पीठ करके उसके लंड पर ऊपर नीचे हो रही थी. इस पोजीशन के अंदर तो विशु का पूरा का पूरा लंड ही मां की चूत में समा जा रहा था. मां बहुत धीमे-धीमे ऊपर नीचे हो रही थी.

तब विशु ने मां की कमर को पकड़ा. वो बहुत तेजी से अपने लंड के ऊपर मां की गांड को पटकने लगा. कभी-कभी वह मां की गांड पर चाटे भी लगा रहा था जिससे मेरी मां की गांड एकदम लाल हो गई थी.

अब उसने मां की गांड को थोड़ा हवा में रखा और अपना लंड मां की चूत के अंदर बहुत तेजी से ऊपर नीचे करने लगा.

कुछ देर बाद मेरा दोस्त विशु मेरी माँ की चूत चुदाई करते करते बोला- आंटी, मैं झड़ने वाला हूं.
तो मेरी माँ ने उसको बोला- ठीक है बाहर निकाल दो.

मां लेट गई और विशु उसके पास गया और सारा माल उनके बूब्स पर झाड़ दिया.

रात के करीब 1 बज गया था, इसलिए अब उन लोगों को वापस जाना था.

लेकिन तभी अजय अंकल का फिर से मूड बन गया और वे बोले- एक राउंड और कर लेते हैं.
मेरी माँ ने बोला- ओके!

अजय अंकल ने फिर से मेरी नंगी माँ को गोद में उठाया और माँ की चूत में लंड डाल के मेरी माँ को धक्का मार कर चोदने लगे.

थोड़ी देर बाद मेरे दोस्त विशु का लंड भी खड़ा हो गया और वो भी एक बार फिर से मेरी माँ को चोदने के लिए तैयार हो गया.

अब अजय अंकल माँ को उसी पोजीशन में लेके सोफे में बैठ गए और विशु ने माँ के मुह में लंड दे दिया.
थोड़ी देर बाद वे तीनों लोग झड़ गए.

अब विशु अपना सर मेरी मां की गोद में रखकर बोला- आंटी, प्लीज आप ऐसे ही मेरे ऊपर अपना प्यार बरसाते रहना.
मेरी मम्मी बोली- हां जरूर बेटे! तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगी।

काफी देर हो गयी थी और अब अंकल और मेरे दोस्त दोनों ने अपने कपड़े पहने और माँ भी अपने कपड़े पहन थोड़ी देर बाद नीचे आ गई।

वो ऐसे बर्ताव कर रही थी मानो कुछ हुआ ही ना हो!
लेकिन आप और मैं तो जानते हैं कि क्या हुआ था।

तो दो लंड से मेरी माँ की चूत चुदाई यह गर्म स्टोरी आपको कैसी लगी? मेल करके मुझे बताएं।
धन्यवाद आप सभी का।
और स्टोरी पे रिएक्शन देने के लिए [email protected] पर मेल करें.

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