सगे भाई के साथ सेक्स का आनन्द- 1

मेरी Xxx कामुकता कहानी में पढ़ें कि मेरी एक सहेली रोज मेरे घर आती थी और मेरे भाई को देखती थी. मैं समझ गयी. मैंने अपने भाई को लड़की की नजर से देखा तो …

यह कहानी सुनकर मजा लीजिये.

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दोस्तो, कई दिनों से मैं इस साइट में मजेदार कहानी पढ़ रही हूं। पढ़ते पढ़ते अक्सर मेरा शरीर गर्म हो जाता है, दिल जोरों से धड़कता है और चूत गीली हो जाती है।
बड़ा मजा आता है आप सबकी सेक्स कहानियां पढ़कर!

लेकिन उससे भी ज्यादा मजा आता है खुद सेक्स करके!

चूत चूदाते वक्त मैं सातवें आसमान में रहती हूं।
लेकिन क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि मुझे कौन चोदता है?

मेरी Xxx कामुकता कहानी का मजा लें.

वह मेरा ही छोटा भाई है जो मुझसे करीब डेढ़ साल छोटा है।

जैसे आप देख ही रहे हैं सब घर का ही बात है … बिल्कुल टेंशन मुक्त!

अब मैं 2 साल पीछे चली जाती हूँ जब मैं कॉलेज में थर्ड ईयर मैं पढ़ती थी और मेरा भाई फर्स्ट ईयर में

भाई कई महीनों से जिम जाता था और अपना बॉडी बनाता था।

महीनों की कसरत से उसका बदन बढ़िया मसक्युलर बन गया था।
ऊपर से चुस्त टी शर्ट पहन कर वह बहुत ही स्मार्ट दिखता था।

मुझे मालूम था कि उस पर कई लड़कियां फिदा हैं और इससे मुझे खुशी होती थी।

हालांकि भाई को मैं हमेशा हैंडसम और सेक्सी समझती थी, मेरा उसके तरफ कोई सेक्सुअल अट्रैक्शन नहीं था।
उसकी तरफ मेरे रवैया ऐसा ही था जैसे आम लड़कियों में उनके छोटे भाइयों की ओर रहता है।

हमारे पड़ोस में मेरी सहेली चंद्रिका रहती थी।
वह अक्सर मेरे घर शाम को आ जाती थी और हम खूब गप्पें मारती थी।

एक दिन मैंने ख्याल किया कि वह बार बार दरवाजे की तरफ देख रही थी।

तभी भाई जिम से घर वापस आया।
उसने अपना बैग टेबल पर रख दिया और मुझसे कहा कि वह अपने दोस्तों के साथ सिनेमा देखने जाने वाला है।

यह कहते हुए वह बाहर निकल गया।

दरवाजे में रुक कर एक बार पीछे घुमा और चंद्रिका से कहा- कैसी हो चंद्रिका दीदी?
मैंने देखा चंद्रिका हड़बड़ा कर उसे जवाब दिया।
भाई जवाब सुनने से पहले ही निकल गया।

तभी किचन से मम्मी ने पुकारा- अर्चना, चाय ले जा!
किचन में जाकर मैं कपों में चाय डालने लगी।

मैं जरा हैरान थी कि भैया को देखकर चंद्रिका इतनी नर्वस क्यों हो गई।
फिर मैंने खयाल किया की चंद्रिका हमेशा शाम को ही आती है जब भाई जिम जाता है।
वह दरवाजे के पास वाली कुर्सी में बैठती और उसका एक आंख दरवाजे पर टिका रहता है।
ऐसा लगता था कि वह किसी के आने की इंतजार कर रही है।

मैंने मम्मी को एक कप चाय दिया और हमारे दो कप चाय ट्रे लेकर बाहर वाले कमरे में चली गई।

चाय पीते पीते मैंने चंद्रिका से पूछ लिया कि वह भाई को देखकर इतना नर्वस क्यों हो गई।
पहले तो वह कुछ देर आनाकानी करती रही।
लेकिन बार-बार पूछने पर उसने कहा कि मेरे भाई को देख कर वह अपने आप को संभाल नहीं पाती। उसका यह जिम वाला शरीर और पसीना भरा चुस्त टी शर्ट देखकर वह पागल सा हो जाती है। उसके शरीर से आती हुई पसीने की गंध सूंघकर नशा सा आ जाता है।

मुझे तभी याद आया कि मैंने अक्सर चंद्रिका को लंबी सांसें लेते हुए देखा था, जब भाई आसपास रहता था।

मैंने चंद्रिका से कहा- यह सब अपने दिमाग से निकाल दें। वह तो हम लोगों का छोटा भाई है ना!
तब चंद्रिका ने कहा- वह तुम्हारा भाई है इसीलिए उसे देखकर तुम्हें कुछ नहीं होता। लेकिन हम क्या करें? हम तो कब से उसे अपने पूरे शरीर देने की आस लिए बैठे हैं। और तुम तो सहेली होते हुए भी हमें इस बारे में मदद करोगी ऐसे आशा नहीं कर सकते।

यह कहते हुए वह उठ कर चली गई।

मैं कुछ देर हैरान थी। मुझे मालूम था कि भाई पर काफी लड़कियां मरती थी।
लेकिन चंद्रिका जैसी लड़की उसे देख कर इस तरह अपने होश खो बैठेगी, यह मेरी सोच के बाहर था।

मैंने अपनी किताबें निकाली और पढ़ने लगी।
लेकिन बार-बार मुझे चंद्रिका की कही हुई बातें याद आने लगी।

भाई के शरीर में चिपका हुआ चिपका हुआ पसीना से भीगा टीशर्ट, मुझे बार-बार याद आने लगा।

रात को जब तक भाई लौटा, मम्मी पापा सो चुके थे।
मैंने भाई के लिए खाना परोसा और दरवाजा बंद करने चली गई।

तब तक भाई अपने कपड़े उतार कर टॉवल ओढ़ कर नहाने चला गया।

भाई का एक बहुत बुरी आदत है कि वह अपने कपड़े उतार कर फर्श में ही फेंक कर चला जाता है।
और मैं रोज उसे डांट कर उसके कपड़े फर्श से उठाकर वॉशिंग मशीन में डाल देती हूँ।

आज भी मैं उसी तरह उसके कपड़े उठाए।
और फिर चंद्रिका की बात याद आ गई।

मैंने उसका टी शर्ट जिसको मैं हमेशा बदबूदार कहती थी, अपने नाक के सामने लाकर एक लंबी सी सांस ली।
एक अजीब सा अहसास हुआ.

लेकिन तभी स्नानघर की दरवाजा क आवाज़ सुनाई दी तो मैंने जल्दी से सब कपड़े वॉशिंग मशीन में डाल दिये।

जब वह नहा कर निकला तो सीधा खाने की टेबल पर आकर बैठ गया।
हमेशा की तरह उस दिन भी वह सिर्फ एक पजामा पहना हुआ था।
वह खाता रहा और मैं उसे निहार रही थी।

जिम में जाने का असर उसके शरीर में साफ दिख रहा था।
इसी तरह मन से अगर वह कसरत करता रहा तो बहुत ही जल्दी उसका सिक्स पैक मसल हो जाएगा।

मैं सोच रही थी कि अगर चंद्रिका मेरे भाई को इस तरह देखती तो शायद उसी वक्त अपने कपड़े उतार कर उसके पांव में गिर जाती।
मुझे मालूम नहीं था कि मैं अपनी ही सोच चंद्रिका के ऊपर डाल रही थी।

खाना खत्म करके भाई अपने कमरे में चला गया।
मैं टेबल साफ करके अपने कमरे में चली गई और लेट गई।

वैसे तो मुझे काफी जल्दी नींद आ जाती है लेकिन आज ना जाने क्यों नींद मेरे आंखों से कोसों दूर थी।
काफी देर तक जब नींद नहीं आई तो मैं उठी और वाशिंग मशीन की तरफ चल दी।

मशीन से मैंने भाई का टीशर्ट बाहर निकाला और फिर अपनी बेड में लौट गई।

अब टी-शर्ट को नाक में लगाकर मैं जोर-जोर से सूंघने लगी।
मुझे एक अद्भुत सा अहसास अनुभव होने लगा।
अब मेरा दिमाग पूरी तरह मेरे कंट्रोल के बाहर था।

मैं वह सब सोचने लगी जो एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड के साथ करने को सोचती है और भाई से कभी नहीं।
उसका खुला हुआ सीना से मुझे लिपटने का इच्छा होने लगा।

तब मैं उसका टीशर्ट अपने सीने से घिसने लगी।

धीरे धीरे यह टीशर्ट मेरे कपड़ों तले घुसने लगा। कभी मेरे बूब्स के ऊपर कभी पेट में और फिर मेरे पेंटी के अंदर पहुंच गई।

तभी अचानक एक ख्याल आया।
मैं फिर से वाशिंग मशीन के पास गई और टीशर्ट को वहां रख दी।

अब मैंने भैया का चड्डी निकाली और फिर अपने बिस्तर में चली गई।

ना जाने मुझ पर कौन सा भूत सवार हो गया था। भाई की चड्डी को मैं अपने चेहरे पर रगड़ने लगी।

जहां पर उसका लन्ड रहता था, चड्डी के उस अंश को कभी होठों से रगड़ती, कभी उस पर अपना जीभ चलाती और आखिर में चूसने लगी।

फिर चड्डी को मैंने अपने बदन पर रगड़ना शुरू किया।

आखिर में चड्डी से अपनी चूत रगड़ने लगी।
अब मेरी चूत गीली होने लगी थी।

तभी मेरी दिमाग ने एक नई शरारत सुझायी।
मैं फिर से उठी और अलमारी की तरफ चली गई।
इस बार मैंने उसकी एक साफ चड्डी निकाली और बिस्तर में लौट आई।

मेरी गीली चूत से निकलता हुआ रस मैं उसके चड्डी से पौंछने लगी।

मैं चाहती थी कि जब वह यह चड्डी पहने तो उसका लन्ड तक मेरी चूत का रस पहुंचे।
इसी तरह उल्टा सीधा हरकतें करते हुए रात गुजर गई।

अगले दिन मैं कॉलेज नहीं गई।
जाती भी कैसे … सारी रात तो सोई नहीं थी।

अब मुझे अपने पिछले रात की हरकतों पर शर्म आने लगी।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं ऐसा भी कुछ कर सकती हूं।

मैंने तय कर लिया कि मैं अपने आप को संभाल लूंगी और ऐसा कुछ फिर नहीं होने दूंगी।

मैं दोपहर को जल्दी खाना खाकर सो गई और पता भी नहीं चला कि कब शाम हो गयी।

जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि भाई कॉलेज से लौटकर खाना खाकर जिम के लिए निकल गया है।

तभी हर शाम की तरह चंद्रिका भी आ गई।

उसे देखते ही मेरे शरीर में मानो आग लग गई।

एक तो चंद्रिका बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी थी।
और वह भाई के संग सेक्स करना चाहती थी।
मुझे मालूम था कि वह मेरे भाई को मुझसे पहले पटा लेगी।

जितनी आसानी से वह मेरे भाई पर डोरे डाल सकती थी, मैं उसके बहन होने के नाते नहीं कर सकती थी।

जैसे ही यह बात मेरे दिमाग में आयी, मैं आग बबूला हो गई।
मैंने चंद्रिका से सीधी बात की कि अगर वह मेरे भाई पर डोरे डाल रही है तो मेरे घर में वह ना आए।
साथ में मैंने उसे कुछ खरी-खोटी भी सुना दी जिससे वह अपमानित होकर चली गई।

मुझे मालूम था कि अब उसके लिए मेरे भाई को पटाना मुश्किल होगा।

लेकिन वह काम मैं कैसे करूं यह मेरी दिमाग में नहीं आ रहा था।

सवेरे जो थोड़ी सी पश्चाताप हुआ था, वह अब पूरी तरह से मेरी दिमाग से निकल चुका था।

अब भाई को पूरी तरह पाना मेरी लक्ष्य हो चुका था।
लेकिन कैसे???

मुझे मालूम नहीं था कि इसका भी मौका मुझे बहुत जल्दी मिलने वाला था।

रात में डिनर के वक्त मम्मी ने कहा कि वह और पापा गांव में जाने वाले हैं।
पापा को ऑफिस के काम से हमारे गांव के पास जाना था।
मम्मी ने भी मौका पाकर कुछ दिनों के लिए उनके साथ गांव जाने का इरादा कर लिया था।
हम दोनों के कॉलेज के कारण हम भाई बहन को यहीं रहना था।

मम्मी ने मुझे घर का पूरा दायित्व पकड़ा दिया और भाई से कहा कि वह मेरी बात सुन कर चले।
मैं मन ही मन सोचने लगी कि कब यह सुनेगा मेरी मन की बात!

खाने के बाद मैंने मम्मी को पैक करने में सहायता की और फिर बिस्तर में जाकर लेट गई।
लेकिन नींद तो मेरी आंखों से कई मील दूर थी।

एक हफ्ते तक भाई मेरे पास अकेला रहने वाला था।
अब किसी तरह से जल्दी से जल्दी उसे मेरे बिस्तर में लाना था।

मेरा दिमाग अब स्कीम बनाने लगा।
एक स्कीम बनाता और फिर उसे बेकार समझ कर फेंक देता।

ऐसे ही उल्टी सीधी स्कीम बनाते बनाते मैं सो गई।

अगले दिन सवेरे घर में भगदड़ सी मच गयी।
सुबह 9 बजने से पहले मम्मी पापा को घर से निकलना था। उससे पहले उन दोनों को नहा धोकर रेडी होना था और मुझे उनके लिए नाश्ता बनाना था।

9 बजे के आसपास भाई ने दोनों को बस अड्डा ले गया और उन्हें सामान सहित बस में बिठाया।
मैं भी दोपहर का खाना बनाने में व्यस्त हो गई।

कुछ ही देर में माया, हमारी कामवाली बाई भी आ गई और काम में लग गई।

बस निकलते ही भाई भी घर लौट आया।

वह सीधा सीधा किचन में चले आया और हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे।

अचानक मैंने देखा कि भाई की नजर बार-बार माया की ओर जा रही थी।
जब मैंने ध्यान से देखा तो ख्याल किया कि माया अपनी ब्लाउज की ऊपर वाली बटन खोल कर रखी थी।
भाई भी उसके स्तनों का नजारा ले रहा था।

मेरे पूरे शरीर में जैसे आग लग गई।
मैंने माया को फटकार लगायी और कहा कि जल्दी से अपना काम खत्म करे और निकले।

मुझसे यह काम वाली आगे निकल गई, यह सोच कर मुझसे और रहा नहीं गया।

काम खत्म करके जब वह निकल रही थी, तो मैंने कहा- जब तक मम्मी ना लौटे उसकी छुट्टी। वह भी उन दिनों काम में ना आए।
उसका चेहरा देखकर यह साफ पता चल रहा था कि छुट्टी पाकर वह नाखुश थी।

माया के जाने के बाद भाई ने पूछा कि मैं परेशान क्यों थी।
जब मैंने उससे पूछा कि वह मुझे परेशान कब देखा तो उसने माया की बात उठाई।
उसने माया पर मेरी नाराजगी का कारण पूछा।

मैंने सीधे मुंह उससे कहा कि मुझे उसका और माया का यह बर्ताव बिल्कुल मंजूर नहीं।
इससे पहले कि वह कुछ कहता, मैंने उसे बता दिया कि चाहे माया का ब्लाउज का बटन खोलना या फिर उसका माया का बूब्स को घूर कर देखना, मैं सब कुछ देख रही थी।

अब वह चुप हो गया और आंखें नीचे कर ली उसने!

फिर मैंने कहा- देख सोनू, इन लड़कियों से हमेशा सावधान रहना। इनका काम ही है तुम्हारे जैसे यंग लड़के को फंसाना और किसी तरह प्रेग्नेंट होकर शादी कर लेना। तुम्हें अंदाजा नहीं है कि इस घर की बहू बनना उसके लिए कितनी बड़ी बात है। इसलिए इससे तो बिल्कुल दूर ही रहो।

उसका चेहरा देखकर इतना तो समझ गई कि वह फिर कभी माया के करीब जाने वाला नहीं है।

चलो दो बड़े प्रतिद्वन्द्वी से पाला छूटा।
आगे की कहानी की प्रतीक्षा करें.
अभी तक की मेरी Xxx कामुकता कहानी पर अपने विचार अवश्य प्रकट करें.
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मेरी Xxx कामुकता कहानी का अगला भाग: सगे भाई के साथ सेक्स का आनन्द- 2

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