जीजा साली की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी ससुराल गया तो साली से मिलने उसके कमरे में चला गया. वहां मैंने क्या देखा? साली को मैंने कैसे चोदा?
अर्न्तवासना पर ये मेरी पहली काल्पनिक जीजा साली की चुदाई कहानी है.
मुझे उम्मीद है कि ये आपके शरीर में इतना करंट पैदा कर देगी कि आप अपने लंड को हिला कर और चूत को रगड़ रगड़ कर इस करंट के झटके खा जाएंगे.
दरअसल मेरी नई नई शादी हुई थी. मैं और मेरी वाइफ मधु काफी खुश थे.
वैवाहिक जीवन के प्रथम छह माह में हम दोनों ने अनगिनत बार अलग अलग मुद्राओं में एक दूसरे को खुश और तृप्त किया.
छह माह बाद मेरी पत्नी अपने मायके में कुछ दिनों रहने के लिए गई.
जितने दिन वो मुझसे दूर रही, मेरा जीना मुश्किल हो गया.
मैंने उसकी अनुपस्थिति वाली रातों में अपने लंड को तकिए का सहारा लिया. उसी को गोल करके चूत सा छेद बना कर उसमें अपना लंड पेला. आहें भरते हुए रगड़ मारी और अपने चरम आनन्द का अमृत चादर और तकिये पर डाल दिया.
फिर एक दिन मुझसे रहा ना गया. मैं अपनी पत्नी को लेने अपनी ससुराल चला गया.
उधर मुझसे पहले मेरे ससुर जी और सासू जी मिले, उन दोनों ने मुझे बिठाया.
मेरी वाइफ मधु किचन में कुछ काम करती दिख रही थी.
मैं उसे देखता जा रहा था.
ये देख कर मेरी सासु ने मधु को आवाज दी.
मधु मेरे पास आकर बैठ गई.
मेरे सास ससुर हम दोनों को अकेला छोड़ कर दूसरे कमरे में चले गए.
हम दोनों बातें करने में लग गए.
मैं मधु को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था, मेरा मन हो रहा था कि मैं मधु को यहीं सोफे पर ही पटक कर चोद दूं.
शायद मधु भी मेरी बैचेनी को समझ गई थी. वो शरमाते हुए बोली- आप चंचल से मिल लो, वो कबसे आपको याद कर रही थी. तब तक मैं आपके लिए कुछ बना देती हूँ.
अब मैं आपको चंचल के बारे में बता देता हूँ.
चंचल मेरी साली है. वो सांवली सी उन्नीस साल की मस्त लौंडिया है. मगर उसका शरीर ऐसा भरा पूरा है कि वो कम से कम 25 साल की भरपूर जवान माल लगती है.
उसका छरहरा बदन नागिन जैसा लगता है. उसके बदन में एक गजब सी कशिश और मादकता वाली बात थी.
उसकी मस्त बड़ी बड़ी चूचियां थीं. उसकी चूचियां उसकी उम्र के नजरिये से बहुत ज्यादा बड़ी थीं.
पता नहीं उसने अपनी चूचियों के साथ क्या किया या करवाया था कि समझ ही नहीं आता था.
मैं अपनी साली से मिलने चुपके से कमरे में घुसा, तो देखा चंचल लेटे लेटे कोई किताब पढ़ रही थी.
वो उस किताब पढ़ने में इतनी मस्त थी कि उसे ये भी ध्यान नहीं रहा कि मैं उसके कमरे में आ चुका हूँ.
अचानक मेरा ध्यान उसकी हरकतों पर गया, तो मैंने देखा कि उसका एक हाथ उसके पजामे के अन्दर था और वो मस्ती में चूर होकर अपनी चूत को रगड़े जा रही थी.
ये सब देख कर मैं थोड़ा छुप गया और मजे से सब कुछ देखने लगा.
शायद उसका पजामा उसकी चूत के कामरस को रोक ना पाया और भीग गया. उसका भीगा सा पजामा बता रहा था कि चूत का कामरस अपनी सीमाएं तोड़ कर बाहर आ चुका था.
अचानक मैंने बाहर जाकर उसे आवाज लगाई- अरे साली जी, क्या हाल चाल हैं?
चंचल मेरी आवाज सुन कर एकदम उठ कर बैठ गई, उसने किताब को चादर के नीचे छिपा दिया.
चंचल मुझे अन्दर आते देख कर बोली- ओह जीजू … आप कब आए?
मैंने कहा- बस अभी.
चंचल की कामुकता अब शर्म बन गई थी.
मैंने उसकी मस्त कड़क हो चुकी चूचियों पर अकड़े हुए निप्पलों को घूरते हुए पूछा- चंचल, क्या पढ़ाई चल रही थी?
चंचल बोली- क्कुछ नहीं जीजू, ऐसा कुछ नहीं … मैं तो बस सो रही थी.
मैंने चंचल के कामरस से भीगे पजामे पर नजर डाली, तो चंचल समझ गई कि मैं क्या देख रहा हूँ.
चंचल ने झट से तकिए से अपने पजामे को ढक लिया.
जब चंचल अपने पजामे को ढक रही थी उतनी देर में मैंने चंचल की बेडशीट के नीचे रखी किताब को बाहर निकाल कर अपने हाथ में ले ली.
चंचल मुझसे बोली- जीजू, प्लीज किताब दे दो … वो किताब मेरी नहीं है, प्लीज दे दो ना!
मैं बोला- चंचल, मैं भी तो देखूँ कि ऐसा क्या है इस किताब में?
ऐसा बोलकर जैसे ही मैंने किताब खोली, तो देखा कि एक मस्त बड़े चुचे वाली लड़की के निप्पलों को एक आदमी अपने होंठों के बीच पकड़कर खींच रहा था.
ये देखते ही मेरा लंड झटके खाने लगा.
मैंने चंचल की तरफ देखा, तो वो शरमाने लगी.
चंचल बोली- प्लीज जीजू दे दो ना किताब … ये मेरी सहेली की किताब है, गलती से मेरे पास आ गई है.
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- किताब तो मिल जाएगी … पर इसके बदले तुम्हें कुछ देना पड़ेगा.
चंचल हंसते हुए बोली- जीजू आपको जो चाहिए … मिल जाएगा, बस आप मेरी किताब दे दो.
मैंने आगे बढ़ कर चंचल की चूचियों को बुरी तरह से मसल डाला.
चंचल ने अपनी मादक सीत्कार को दबा दिया और मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर लीं- अह जीजू धीरे करो न!
मैंने उसकी दोनों चूचियों को हॉर्न की तरह दबा कर मसला और मरोड़ दिया.
वो फिर से आह आह करने लगी.
हम दोनों इतने जोश में आ गए थे कि ध्यान ही नहीं दिया कि कमरे का दरवाजा खुला है.
साली के साथ मस्ती में मुझे इस बात की कोई परवाह भी नहीं थी.
मैं उसके होंठों को चूसने लगा.
मेरा हाथ चंचल की चूत तक जा ही रहा था कि मुझे मेरी वाइफ के कदमों के आने की आवाज सुनाई दी.
मैंने उसी पल चंचल को छोड़ दिया.
चंचल भी एकदम से सही होकर बैठ गई और मुझे बातें करने लगी.
एक मिनट बाद मधु मेरे पास आई और बोली- आप नहाकर फ्रेश हो जाओ, तब तक खाना भी तैयार हो जाएगा.
मेरा मन तो चंचल के साथ नहाने का हो रहा था.
तभी चंचल बोली- जीजू, आप मेरे बाथरूम में नहा लो, वहां आपको सब मिल जाएगा. तब तक मैं दीदी की किचन में मदद कर देती हूँ
मैं बाथरूम के अन्दर गया तो मेरा मूड फ्रेश हो गया. अन्दर एक हुक के ऊपर चंचल की ब्रा और पैंटी का सैट सूखने के लिए टंगा था.
मैं समझ गया कि मेरी चालू साली ने मुझे अपने बाथरूम में नहाने को क्यों कहा था.
मैंने अपने सारे कपड़ों को खोल दिया और शॉवर चालू करके अच्छे से अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसे मसलने लगा.
फिर आंखें बंद करके चंचल की ब्रा पैंटी को लंड पर लपेट लिया और मस्ती से लंड की मुठ मारने लगा.
मुझे मुठ मारते समय कुछ ऐसा लग रहा था, जैसे मैं चंचल की चूत को रगड़ रहा था.
काफी देर तक रगड़ने के बाद मेरा लंड बुरी तरह से अकड़ गया और मैं आहें भरते हुए झड़ गया.
इस तरह से चंचल की पर्पल ब्रा पैंटी को मैंने सफेद रंग की मलाई से सान दिया और साबुन से नहा कर बाहर आ गया.
जब हम सभी लोग खाना खाने बैठे, तब मेरे एक तरफ मेरी वाइफ मधु बैठी थी और मेरी दूसरी बाजू में मेरी साली चंचल बैठी थी.
उन दोनों से मजे लेने के लिए बीच में मैं बैठा हुआ था.
मैं और मेरी वाइफ भी बड़े दिनों बाद मिले थे, इसलिए वो भी सेक्सी अंदाज से ताड़ रही थी.
खाना खाते हुए मधु मेरी जांघों के पास सहला रही थी.
मुझे भी मजा आ रहा था तो मैंने मधु का हाथ लेकर अपने लंड के ऊपर रख दिया.
मधु काफी दिनों से लंड की भूखी थी, इसलिए वो बेशर्म होकर मेरे लंड पर अच्छे से दबाव बना रही थी.
मैंने मधु के हाथ को लेकर पजामे के अन्दर डाल दिया.
अब मधु को डर लग रहा था कि कोई देख ना ले … पर मेरे कड़क लंड को छूने की मस्ती ने मधु को बिंदास बना दिया था.
हमारी इस मस्ती को चंचल देख कर इंजॉय कर रही थी. तभी मैंने चंचल का पैर लेकर अपने पैर पर रख दिया.
अब चंचल भी मेरे पैर पर अपने पैर को रगड़ रही थी.
दो दो चूत की चाहत से मुझसे रूका नहीं जा रहा था.
मुझे अब चूत की सख्त जरूरत थी. मैंने जल्दी से अपना खाना खत्म किया और मधु को इशारा किया.
मैं कमरे में चला गया और मधु का इंतजार करने लगा.
थोड़ी देर बाद मधु आ गई. मधु ने आते ही दरवाजा बंद कर दिया … शायद वो भी चुदने के लिए बेकरार थी.
मैंने बिना देरी किए मधु के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. आज मधु के होंठ भी चंचल जैसे रसीले लग रहे थे.
मैंने मधु को बिल्कुल भी इंतजार नहीं करवाया और उसकी साड़ी को उतार कर उसकी चूचियों पर टूट पड़ा.
मधु बोली- आज क्या बात है … बड़े मूड में हो.
मैंने कहा- हां डार्लिंग तुमने मुझे बड़ा तड़पाया है. आज जम कर बदला लूंगा.
ऐसा बोलते हुए मैं अपनी बीवी की चूचियों को बुरी तरह से मसले जा रहा था.
मधु सिसियाये जा रही थी- आह मर गई … उई मां धीरे करो प्लीज … आह बेबी धीरे करो … आह मर गई आहह हहह आहिस्ते करो न यार!
पर आज मैं रूकने वाला नहीं था. कुछ ही देर में मैंने मधु को पूरी नंगी कर दिया और खुद भी केवल अंडरवियर में आ गया.
अब तक तो मधु भी समझ चुकी थी कि आज वो बुरी तरीके से चुदेगी.
मैंने मधु की टांगें खोल कर उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया.
मेरे होंठ जैसे जैसे उसकी चूत को चूसे जा रहे थे, वैसे ही वो पागल हो रही थी.
वो अपने हाथों से अपनी चूचियां मसलने लगी. अब मैंने जोर जोर से उसके निप्पल चूसना शुरू कर दिया.
मधु वासना से बोली- आह डार्लिंग और मत तड़पाओ … अब मुझसे रूका नहीं जा रहा है … प्लीज अन्दर डाल दो.
मैंने फट से मधु की टांगों को चौड़ी करते हुए फैलाया और अपने अंडरवियर को खोल दिया; थोड़ा सा थूक उसकी चूत पर लगाया और गप्प से पूरा लंड उसकी चूत में डाल कर उसे जोर जोर से चोदने लगा.
मेरी साली चंचल ने आज ऐसा मूड बना दिया था कि मेरी चुदाई से मधु पागल सी हो गई थी.
पूरा कमरा उसकी सीत्कार से गूंज रहा था और मैं बुरी तरीके से हांफते हुए उसको चोदे जा रहा था.
लगभग बीस मिनट बाद हम दोनों ने चरम सुख को पा लिया.
काफी दिनों बाद मैंने मेरी पत्नी की चूत को अपने माल से सराबोर कर दिया था.
आधा घंटा बाद मेरा वापस मूड बन गया, पर मेरी वाइफ काफी थक गई थी.
उसने मना कर दिया और वो उसी हालत में नींद की दवाई खाकर सो गई.
अब मैं आजाद था.
मैं सीधा चंचल के रूम में जा पहुंचा. चंचल जाग रही थी.
चंचल मुझे देख कर बोली- जीजू आप मेरे कमरे में इतनी लेट नाईट … अगर दीदी ने देख लिया, तो गजब हो जाएगा.
मैंने गेट बंद करते हुए कहा- तेरी दीदी अभी मुझसे चुदवा कर नींद की गोली खा कर सो गई है. मेरा लंड खड़ा है और अब तुम्हारा नम्बर है.
चंचल मुझसे लिपट कर बोली- जीजू मैं आपके लिए कबसे तड़प रही हूँ … आज मेरी प्यास बुझा दो.
उसकी चुदास देख कर मैं पूरे जोश में आ गया.
मैंने चंचल को बिस्तर पर पटक दिया और उसके कपड़ों को उतार डाला.
चंचल को पूरी नंगी करके मैं उसके शरीर के हर अंग को चूमने और चाटने लगा.
उसके शरीर से मादक महक आ रही थी.
वो पजामे के ऊपर से मेरा लंड पकड़ने लगी तो मैंने पजामा और टी-शर्ट दोनों को खोल दिया.
मेरा तना हुआ लंड देख कर चंचल बोली- जीजू, आपका बहुत लंड बड़ा है … दीदी तो मर ही जाती होगी.
मैंने कहा- नहीं, आजकल तेरी दीदी मस्त होकर पूरा अन्दर लेती है. आज तुम भी लेकर देखो.
मैंने मेरा लंड जबरदस्ती उसके मुँह में डाल दिया.
वो खेली खाई लौंडियों की तरह मेरा लंड चूसे जा रही थी.
मैं पागल हुआ जा रहा था क्योंकि मेरी वाइफ को लंड चूसना बिल्कुल पसंद नहीं था. मैं मस्ती से नीचे से झटके मार रहा था और बार बार बिखर रहे चंचल के बालों को सही किए जा रहा था.
कुछ ही देर बाद हम दोनों यही चाहते थे कि पहले जीजा साली की चुदाई शुरू कर दी जाए.
मैंने एक सेकंड भी नहीं गंवाया और चंचल को कुतिया बना दिया.
चंचल बोली- जीजू, थोड़ा सा थूक लगा कर डालना.
मैंने कहा- हां मेरी जान, अभी ले.
मैंने बहुत सारा थूक उसकी चूत पर लगा दिया और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत की जड़ तक अन्दर डाल दिया.
वो दर्द के मारे चिल्ला रही थी, पर मुझे मजा आ रहा था. मैं पूरे दम के साथ उसकी चूत को बजा रहा था.
वो कराहते हुए बोली- आह जीजू आहिस्ता चोदो … मार डालोगे क्या!
मैंने कहा- हां जान … आज तेरी निगोड़ी चूत की जान निकाल दूंगा.
ऐसा बोलते हुए मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
अब चंचल मस्त हो कर चुदे जा रही थी.
उसकी चूत खुल चुकी थी, इस वजह से उसकी चूत से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी.
वो मस्त गांड हिला हिला कर चुद रही थी.
चंचल बोली- दीदी सही बोल रही थी, आप बड़ा जोर से पेलते हो. मेरी चूत का बाजा बजा दिया.
मैंने उसकी चूत को और ज्यादा रगड़ कर चुदना शुरू कर दिया.
इससे चंचल की चूत ने जवाब दे दिया और उसकी चूत झड़ गई.
थोड़ी देर में मैंने अपना माल भी उसकी चूत के हवाले कर दिया और हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए.
दोस्तो, ये मेरी बीवी और साली की चुदाई की कहानी आप मुझे मेल करके बताएं की आपको मेरी जीजा साली की चुदाई कैसी लगी.
मेरी मेल आईडी है
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