होली, चोली और हमजोली- 6

3सम Xx सेक्स कहानी में मैंने अपने दो बॉस से एक साथ चुद कर अपनी दिली इच्छा पूरी की. उसके बाद रिसोर्ट में सबके सामने पूरी नंगी होकर नाची.

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कहानी के पिछले भाग
कुलीग्स ने होली के बहाने मेरा जिस्म मसल दिया
में आपने पढ़ा:

मैंने कभी भांग का सेवन पहले नहीं किया था, मेरे लिए ये नया था।

मुझे किसी की कोई बात समझ नहीं आ रही थी, गाने की भी केवल धुन सुनाई दे रही थी, स्लो मोशन में, सब अजीब सा सुनाई दे रहा था।

तभी दीपक आया और मुझे सहारा देने लगा, धीरज और दीपक मुझे सहारा देने के बहाने अपने कमरे तक ले गए.
मैं भांग के नशे में मदमस्त थी पर देख पा रही थी कि आसपास क्या हो रहा है।

दोनों ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.

अब आगे 3सम Xx सेक्स कहानी:

मैं दीपक की बांहों में जा गिरी.

धीरज मेरे पीछे आ कर मेरी साड़ी में घुस गया, फिर साड़ी से मुंह निकाल के बोला- बॉस, इसकी तो चूत में भी रंग लगा है, लगता है लड़के अच्छा मजा ले गए।
ये कह कर वो वापिस साड़ी के अंदर चला गया.

दीपक ने मेरी चोली में से चूचे बाहर निकाले और रंग लगे चूचों को मसलते हुए मुझे किस करने लगे।

उधर नीचे धीरज मेरी गांड चूम रहा था और चूत में उंगली कर रहा था।
उसने दो उंगलियां खोलकर एक गांड में छेद में और एक चूत के छेद में घुसा दी।

मेरी एक टांग धीरज के कंधे पे थी और धीरज जमीन पे बैठा था।

दीपक ने मेरा ब्लाउज के कंधे नीचे कर मुझे जैसे ऊपर से बिल्कुल नंगी कर दिया.
उन दोनों ने मुझे एक कुर्सी पर बिठा दिया, दीपक ने मेरे गाल बिचका कर मेरा मुंह खोला और अपना लौड़ा मेरे मुंह में डाल दिया।
वे मेरे निप्पल मरोड़ मरोड़ के लाल करने लगे।

उधर धीरज ने अपनी जुबान मेरी चूत पे लगा दी और गांड में दो उंगली करने लगा।

रात चार चुदाइयों के बाद भी उनका लौड़ा टन से खड़ा हो गया।

दीपक ने मुझे चेयर पर घोड़ी बना दिया और मेरे मुंह की ओर से मुंह चोदने लगे.
धीरज ने पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया, सपने में आने वाले 3सम के मज़े मैं भांग पीकर ले रही थी.

उसे सुबह रोशनी को चोदते देख, मुझे अब धीरज के चोदन पर ज़रा भी शक नहीं था।

अब दोनों मेरे जिस्म का मजा लेने लगे।
धीरज कभी मेरे दाना हिलाता और कभी गांड में उंगली करता।

मैं कोई आवाज नहीं कर पा रही थी.
दीपक का मोटा लंड मुझे कुछ कहने नहीं दे रहा था।

दीपक ने मेरा सिर कस के पकड़ा और एक जोरदार झटके के साथ लंड मेरे गले तक पेल दिया.
उसने चार पांच सेकंड लंड गले तक ही रखा, फिर बाहर निकाला और फिर गले तक पेल दिया।

जिस तरह दीपक कल रात मेरी चूत चोदन कर रहे थे, अब वो मुख चोदन कर रहे थे।
थोड़ी देर में दीपक ने अपने वीर्य की धारा मेरे गले में छोड़ दी।

धीरज के धक्के भी तेज हो गए, वो पागलों की तरह मेरी चूत मारने लगा जैसे कभी दोबारा नहीं मिलेगी।
मैं आह आह कर मजे लेते हुए चुद रही थी।

थोड़ी देर में धीरज भी झड़ गया.

दोनों ने मेरे कपड़े वापिस ठीक किए और वही नशीली हालत में बाहर ले आए।

अब मैं मदमस्त हुई सबके सामने अपने चूचे हिलाती … गांड मटकाती नाच रही थी।
रह रह कर मेरे सहकर्मी जो खुद भी भांग के नशे में थे, मेरे साथ नाचने के बहाने मेरे नितंबों को छू छू के नाच रहे थे।

कोई पीछे खड़े होकर डांस करता और कमर पकड़ने के बजाए मेरे चूचे दबा के नाचता।

सबके चेहरे रंगों से भरे थे।

जाने कैसे नाचते नाचते मेरी साड़ी खुल गई।
अब तीन लड़के मेरी साड़ी खींच, द्रोपदी की तरह वस्त्रहरण करने लगे, देखते ही देखते मैं सिर्फ चोली और नाड़े में थी.
नीचे से नंगी।

आसपास खड़े सभी लड़के मुझ नंगी अप्सरा के साथ नाचने लगे.
दीपक और धीरज दूर खड़े मज़े ले रहे थे।

शायद सोच रहे हों कि आज ये सबसे चुदेगी।

तभी गाना बजने लगा- चोली के पीछे क्या है …

और लड़के पागल हुए मेरी चोली में हाथ डालकर नाचने लगे.

एक वक्त पे मेरी चोली में करीब आठ नौ हाथ थे।
हाथ निकले तो चोली भी साथ ही निकल गई.

बाकी लड़कियां जो साथ नाच रही थी, उनकी हालत भी कुछ अच्छी नहीं थी, रोशनी भी ब्लाउज और पेटीकोट में नाच रही थी।
और भी लड़कियां थी जिनकी चोली उतर चुकी थी।

सब लड़के भी अपने अपने कपड़े उतार के नंगे होने लगे।
अब नंगी होली खेलने का दौर शुरू हो गया।

लड़कियां ज्यादा नहीं थी, करीबन आठ से दस होंगी, और लड़के तीस चालीस थे।

एक एक लड़की पर चार चार लड़के चढ़ने लगे, और गुप्त हिस्सों पर रंग लगाने लगे, जो लड़की ने कपड़े नहीं उतारे, उसके कपड़े सबने मिल के फाड़ दिए।

गैंगबैंग होने की संभावना हो गई। अब जगह जगह एक लड़की पर चार चार लड़के चूमा चाटी कर अपने लंड के साथ खेलने लगे।

सभी लड़कियां सारे लड़कों का साथ दे रही थी। जैसे वो पहले भी ये सब कर चुकी हो।

शायद ये हर छह महीने में होने वाली पार्टी में यही होता होगा।
तभी किसी भी लड़की को चार लौड़े लेने में कोई आपत्ति नहीं थी।

मेरे पास जो चार लड़के थे, वो मेरी जवानी का पूरा मजा ले रहे थे।
दीपक ने मुझे और धीरज ने रोशनी के लड़कों को ज्वाइन कर लिया।

अब बगीचे में जगह जगह सामूहिक चुदाई होने लगी।
होटल का स्टाफ भी दूर खड़े अपने लंड हिला रहा था।

मेरी चूत में दो दो लंड घुसा दिए गए.
धीरज मेरे नीचे लेट के मेरी गांड मारने लगे, एक लौड़ा मेरे मुंह में था और एक लौड़ा मैं अपने हाथ में लिए हिला रही थी।

तभी मेरी चूत के लौड़े झड़ गए, साले नौसिखिए, पांच मिनट भी चुदाई नहीं कर पाए।
धीरज अभी भी मोर्चा संभाले मेरी गांड मारे जा रहे थे।

मूठ मरवाता लड़का और मुख चोदन करता लड़का दोनों अब मेरी चूत का सामूहिक चोदन करने के लिए आगे बढ़े।
अपना लंड दोनों ने एक साथ मेरी चूत में पेल दिया।

दीपक दोनों हाथों को मेरी छाती पर रख, मेरी चूचियां दबाते हुए मेरी गांड मार रहे थे।
बगीचे में हर ओर से आती आहों में मेरी आह दब सी जा रही थी।

तभी धीरज रोशनी को छोड़ मेरे पास आ गया, उसने मेरे मुंह में अपना लौड़ा डाल दिया।
बाकी लड़के भी लड़कियां बदल बदल के चोद रहे थी।

बहुत कामुक माहौल था।

कल से पिनियाती चूत अब जाके झड़ने को थी।
ज्यों ही दीपक ने मेरा दाना दबाने को एक चूचा छोड़ा, धीरज ने लपक के मेरा खाली हुआ चूचा पकड़ के मसल दिया।

अब मैं स्खलन की और पहुंच चुकी थी, मेरी टांगें कांप रही थी, मैं तब बदन में हलचल होने लगी, बदन अकड़ने लगा.
दीपक भी झड़ने को थे।

दोनों लड़के मेरे झड़ने से पहले ही झड़ गए और धीरज ने मोर्चा संभाल मेरी चूत की दनदनादन चुदाई शुरू कर दी।

अब मैं दोनों के बीच कसमसाती हुई कामुक आवाज़ें निकालती चुद रही थी.

कब से मैं यही तो चाहती थी।
दीपक और धीरज संग 3सम!
क्या हुआ फिर अगर इस राह में पांच नए लंड से चुदना पड़ा।
जो चाहिए था वो तो मिला आखिर!

आह आह करती मैं चिल्लाती हुई चुद रही थी. मुझे एक के बाद एक झड़ने का अनुभव होने लगा।

धीरज और दीपक की पेला पेली में मैं तीन बार झड़ चुकी थी.
मैं फिर चिल्ला कर झड़ने को थी कि धीरज ने मेरा मुंह दबा दिया।

“चुप कर साली रांड … आह आहआआ, क्या मज़ा है तेरी चूत में!” कहते हुए धीरज झड़ गया.
उधर गांड के अंदर दीपक भी झड़ने लगे। मेरी चूत और गांड में से लंड रस की नदियां बहने लगी।

दीपक मेरे नीचे से हट गए।
मैं घास नंगी पड़ी अपनी अभी हुई चुदाई का अनुभव अब तक ले रही थी, सब भांग का असर था।

थोड़ी देर में रोशनी आई और मुझे कमरे तक ले गई.

मेरे जितना कोई भी नशे में नहीं था।

रोशनी मुझे कमरे में ले जाते ही सीधा बाथरूम ले गई जहां उसने भी मेरा जिस्म मसल मसल के धोया।
मेरी चूत में उंगली कर पांच लंड का रस निकाला।
मेरी फटी गांड पानी से धोई तो पानी भी मुझे चुभने लगा।

रोशनी को मेरे चूचे इतने पसंद आए कि वो भी उन्हें चूसे बगैर रह नहीं पाई।

नहला धुला कर अपने हक का मज़ा लेकर वो मुझे बाहर ले आई और मुझे दूसरे कपड़े पहना दिए।

उसने मुझे बिस्तर पर सुला दिया।

मुझे नहीं पता मैं कितने घण्टों तक सोती रही.
मैं जब उठी तो शाम हो चुकी थी.

मैंने सुबह से कुछ खाया नहीं था, भांग के कारण मेरा सिर घूम रहा था।
सामने पड़ी टेबल पर होली के रंगों में सना मेरा ब्लाउज और साड़ी लिपटी हुई रखी थी।

मैंने फोन में वक्त देखा, शाम के आठ बज रहे थे।

रोशनी की पीली साड़ी, तह की हुई, बिस्तर पर पड़ी थी।
मुझे कुछ अजीब सा लगा … उसकी साड़ी देख कर ऐसा नहीं लग रहा था जैसे उसने वोही होली खेली जो मैंने खेली थी।

मुझे इतना तो याद था कि मेरी साड़ी का हल्का गुलाबी रंग, बस गुलाल से थोड़ा और गहरा गुलाबी हो गया था।
और मेरा सफेद ब्लाउज भी पूरी तरह रंग से रंग गया था।

रह रह कर मुझे सामूहिक चुदाई याद आने लगी.
पर मेरे बदन पर या अंगों को महसूस कर ऐसा कुछ प्रतीत नहीं हो रहा था।
अथवा उस सामूहिक चुदाई और इतना झड़ने पर मैं अवश्य बदन दर्द और थकान महसूस करती।

मेरा पिछला द्वार भी दर्द नहीं कर रहा था जबकि दीपक ने तो मेरे नीचे लेट … क्या वो सामूहिक चुदाई हुई भी थी या भांग का असर था?

जब मुझे दीपक और धीरज अपने कमरे में ले गए तो क्या वो भी भांग का असर था?
उन्होंने मुझे कुर्सी पर झुका के मेरे साथ 3सम किया … क्या वो हुआ भी था?

मैने जो महसूस किया वो सत्य था या मेरा भ्रम … मैं स्वयं तय नहीं कर पा रही थी।

यही सब सोच सोच के मुझे चक्कर आ रहे थे और सिर दर्द से फटा जा रहा था।
कमरे में जलती हल्की रोशनी भी आंखों को चुभ रही थी।

लैंड लाइन से रिसेप्शन पर फोन कर मैंने सर दर्द की दवा भेजने को कहा।

थोड़ी देर में किसी ने दरवाजा खटखटाया- मैडम मेडिसिन!

मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो क्या देखती हूं … पूल कर्मचारी दवा देने आया था।
वो बिना इजाजत लिए अंदर घुसा चला आया।

“मैडम कल रात आपने क्या मजा दिया मुझे, आज दिन भर अपनी बीवी को आपके बारे में सोच के चोद के आया हूं, जब से लंड आपने अपने अंदर लिया है, तब से रह रह के आपकी चूत मांग रहा है।”

मैंने कहा- बकवास मत करो, दवा रखो और दफा हो जाओ यहां से!
“मैडम, मेरा तो कुछ नहीं जायेगा, बदनामी तो आपकी ही होगी। आप कहती हैं तो चला जाता हूं।”

मैंने भी मन मन में सोचा, इतने लंड खाने के बाद एक और ले लूंगी तो क्या फर्क पड़ेगा, बस ये कहीं मुंह ना खोल दे।

मैं नहीं जानती थी कि दीपक ने पहले ही ‘non disclosure agreement’ पर रिसॉर्ट के सभी कर्मचारियों के हस्ताक्षर ले लिए थे।

यहां होने वाले ‘लर्निंग-इवेंट’ का यदि किसी को दफ्तर में पता चलता तो दीपक की नौकरी चली जाती इसलिए उसके लिए ये सब करना जरूरी भी था।

इस बात से अनजान मैं पूल कर्मचारी को बात मान गई।

उसने बोला- कल तुझे … मेरा मतलब आपको … पीछे से चोदा था, आज आगे से चोदूंगा!

मैं बिस्तर पर लेट गई और वो मेरे ऊपर आ गया।
मुझे उसका घिनौना चेहरा ज़रा भी पसंद नहीं था।

वो मुझे चूमने लगा, उसकी सांसों में बीड़ी और गुटके का अजीब सी मिलती जुलती बदबू थी।

बदन से भी पसीने की बदबू आ रही थी।

धीरे धीरे चूमते हुए उसने मेरे कपड़े निकाल दिए, अपने गहरे भूरे हाथों से मेरी गोरी गोरी चूचियां मसलने लगा।
उसके हाथ कुछ गंदे भी थे, मेरी दूध से सफेद चूचियां मैली हो गई।

उसने चूचियों में अपना चेहरा घुसा दिया और अपनी पैंट की जिप खोल तना लौड़ा बाहर निकाल लिया; मेरा हाथ पकड़ के अपने लौड़े पे रख दिया।
मैं उसका खड़ा लौड़ा अनमने मन से सहला रही थी।

अब वो मेरे ऊपर से उठा और बिस्तर के किनारे खड़ा हो गया।
वो अकड़ के बोला- चूस इसे!

मैं सरक के बिस्तर के किनारे हो गई और उसका लौड़ा चूसने लगी।
मुझे कल जैसा मज़ा तो नहीं आ रहा था पर वो मज़े से आहें भर रहा था- क्या चूसती है तू, मेरी रानी … आह!

अब उसने मुझे बिस्तर पर वापिस धकेल दिया, मुझे समझ आ गया कि अब वो मुझ पर चढ़ना चाहता है।

मैंने भी साथ देते हुए टांगें हवा में फैला दी.
उसने बिस्तर के किनारे अपना एक घुटना टेका और लौड़ा अंदर घुसा दिया।
अब वो मेरी भरी हुई जांघें सहलाते हुए मुझे चोदने लगा।

उसे कोई जल्दी नहीं थी, वो आराम से धक्के लगा रहा था।

कॉकटेल पार्टी के लिए देर हो रही थी, मैंने उसकी मर्दानगी को ललकारा- क्या हुआ, आज बड़े ढीले लग रहे हो?

ये सुनने की देर थी कि वो तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा- ले और ले … साली! ढीला बोलती है … तू साली प्यार से चुदने के लायक ही नहीं है, तुझे रण्डी बन के ही चुदना अच्छा लगता है!
वो जोर जोर से धक्के देते हुए मुझे गंदी गंदी बातें बोलते हुए झड़ गया।

वो बोला- बिना निरोध के ज्यादा मजा आता है … तेरी चूत तो हर वक्त गर्म रहती है, रात को मौका लगते ही दोबारा आऊंगा, तैयार रहियो!
ये कह के वो दवा सामने की टेबल पर रख दरवाजा बंद कर बाहर चला गया।

मैंने बाथरूम में जाकर चूत धोई।
टेबल पर रखे कंप्लीमेंट्री बिस्कुट के जार से दो बिस्कुट निकाल के खाए।
खाली पेट दवा खराब करती है इसीलिए।

फिर मैंने दवा ली!

मेरा सिर अब भी दर्द से भन्ना रहा था।
मैंने गर्म पानी से नहा कर रिलैक्स होने का फैसला किया।

दोस्तो, नहीं बता सकती कि वो मेरे बदन पर गिरती गर्म पानी की बूंदें मुझे कितना आराम और सुकून दे रही थी।

मैं मन में सोच रही थी कि काश कोई मसाज कर दे बस!

थोड़ी देर बाद मैं नहा कर बाहर आ गई, सर दर्द भी अब कम था.
मैं पार्टी के लिए जो काली मिनी स्कर्ट और लाल क्रॉपटॉप लाई थी वो पहन लिया।
नीचे मैंने त्वचा सी दिखने वाली स्टॉकिंग पहन ली।

हल्का सा मेकअप किया और पार्टी के लिए बाहर आ गई।

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कृपया ध्यान दें: कहानी की मुख्य पात्र वीनस सभी घटनाओं में पूरी चेतना में थी और अपनी मर्जी से सब कर रही थी.

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