विधवा मकान मालकिन के साथ होटल में हनीमून- 2

पोर्न लेडी सेक्स कहानी में मैंने एक विधवा के साथ शिमला के होटल में हनीमून मनाया. उसने मेरे वीर्य से अपनी मांग भर कर चूत गांड चुदाई का मजा लिया.

दोस्तो, मैं समीर एक बार फिर से अपनी चुदाई कहानी में विधवा मकानमालकिन की चूत गर्म करके उसकी चुदाई की तैयारी कर रहा था.
कहानी के पहले भाग
हॉट आंटी को कार में लंड चुसवाया
में आपने अब तक पढ़ा था कि फहीमा की मादक जवानी को चूस चाट कर गर्म कर रहा था, उसकी चूत से पानी बहने लगा था.

अब आगे पोर्न लेडी सेक्स कहानी:

मैंने उसकी नाभि से उसकी चूत का सफर बढ़ाया. ये सफ़र मैंने उसके शरीर को चूमते और चाटते हुए चूत के पास अपना मुँह लगा कर पूरा किया.

उसकी चूत के आस पास अपनी जीभ से चाटने लगा लेकिन मैंने उसकी चूत पर जीभ नहीं लगाई.

वो बार बार अपनी चूत को मेरे मुँह में देने की कोशिश करती लेकिन मैं हर बार नहीं चूसता.
आखिर तड़प कर फहीमा बोली- प्लीज समीर, मेरी चूत की आग बुझाओ, मेरी चूत में आग लगी है … मैं पागल हो जाऊंगी.

मैंने भी और न तड़पाते हुए उसकी चूत के पास अपना कड़क लंड चूत के मुहाने पर रगड़ना शुरू कर दिया.
ऐसा करने से फहीमा अपना सर इधर-उधर पटकने लगी.

फिर उसे ज्यादा न तड़पाते हुए मैंने अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत के मुहाने पर रखकर एक हल्का सा धक्का लगा दिया.
उसकी आंह निकल गई और उसने टांगें फैला दीं.
धीरे धीरे करके मैंने उसकी चूत में पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया.

पूरा लौड़ा घुसते ही फहीमा की जोर से ऐसी आनन्द भरी सीत्कार निकल गयी जैसे उसको लंड से जन्नत मिल गयी हो.

उसके बाद मैंने उसकी चूत को पूरी ताकत से चोदना शुरू कर दिया.

इस तरह उसकी चूत को चोदते हुए मुझे लगभग दस मिनट हो चुके थे.
गोली अपना कमाल दिखा रही थी.

उसके बाद मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा और उसके घोड़ी बनते ही उसकी गांड देखकर मेरा मन उसकी गीली चूत से निकल रहे जूस को चाटने का करने लगा.

लेकिन मेरा लंड उसकी गांड में घुसने को ज्यादा बेताब था.
मैंने फिर भी थोड़ा सा उसकी चूत का जूस चाट लिया.

मेरी जीभ के उसकी चूत पर लगते ही उसकी जोर जोर से आह निकल रही थी और उसकी चूत और जूस छोड़ दे रही थी.

आगे से चूत की चुदाई करने से चूत का रस उसकी गांड तक बह रहा था.

चूत से जूस चाटने के बाद मैंने अपने कडक लंड को उसकी गांड पर बह रहे जूस को, उसकी गांड पर अपने लौड़े से ही रगड़ा और अपने लंड का सुपारा उसकी गांड में घुसेड़ दिया.

लंड के सुपारे के घुसते ही फहीमा जोर से चिल्लाई.
उसके चिल्लाने से मुझे भी थोड़ा अचंभा हुआ क्योंकि उसकी गांड को मैं कई बार मार चुका था.

मैंने पूछा- क्या हुआ मेरी फहीमा डार्लिंग?
इस पर वो बोली- पूरा डाल दो और कुछ मत पूछो … बस मेरी इस सुहागरात की गांड को चोदते रहो. मेरा मन इसी तरह से खुल कर मजा लेने का है.

मैं मजे से गांड मारने लगा.
फहीमा की आहें चुदाई के आनन्द में बदल चुकी थीं.
वो जोर जोर से ऊह आह उफ़्फ़ चिल्ला रही थी.

जब वो ज्यादा उत्तेजित हो जाती थी तो जोर जोर से अपनी गांड को मेरे लौड़े पर ठोकने लगती थी ताकि मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस जाए.

मैं भी कभी कभी उसकी गांड से लौड़े को निकाल कर उसकी चूत में घुसेड़ देता जो पूरी तरह से गीली होकर बहुत पानी से चू रही थी.

आखिर मैं मेरे लौड़े का सुपारा फूलने लगा.

मैंने फहीमा से पानी निकालने का पूछा.
फहीमा ने फुर्ती से खड़े लौड़े को अपनी गांड से हटाया और तुरंत लपक कर मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी.

जैसे ही उसे लगा कि मेरे लौड़े से लावा निकलने वाला है, उसने तुरंत अपनी माथे पर मेरे लौड़े को रख दिया जिससे मेरे वीर्य की धार उसकी मांग को भरने लगी.

उसकी इस हरकत से मैं भी हैरान था और जो भी वीर्य की बूंदें उसके मुँह पर गिर गई थीं, उसको उसने अपनी उंगलियों से चाट लिया और साथ ही मेरे लौड़े को तब तक चूसती रही जब तक की वह पूरी तरह से खाली नहीं हो गया.

इतनी देर की धकापेल चूत और गांड चुदाई से हम दोनों को थकान हो गयी.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में नंगे ही सो गए.

फहीमा की इतनी बेहतरीन चुदाई के दौर के बाद गहरी नींद में मुझे सपने भी फहीमा के ही आ रहे थे.
मैंने सपने में देखा कि फहीमा रात में बाथरूम गयी और वापिस आते में मेरा लंड चूसने लगी.

वैसे भी फहीमा की कल दिन और रात की लंड चुसाई का बेहतरीन तरीके ने मुझे और मेरे लौड़े को बहुत मजा दिया था इसलिए फहीमा की जीभ के स्वाद को मेरा लंड अच्छी तरह से पहचान गया था.
वो थोड़ी देर की चुसाई के बाद फिर से खड़ा हो गया.

इस बार खड़ा होने पर फहीमा ने मुझे सीधा लिटाया और मेरे लौड़े पर चढ़ कर अपनी चूत को फैला कर मेरे लौड़े पर सैट करके धक्के मारने लगी.

उसके धक्के मारने से लग रहा था कि वह भी पूरी मस्ती में चूत को पूरा मजा दे रही थी और खुद भी उसका मजा ले रही थी.
थोड़ी देर बाद थकने पर उसने अपनी गांड के छेद को लंड पर सैट किया और धड़ल्ले से धक्के मारने लगी.

रात की देर तक चुदाई और फिर सुबह अप्रत्याशित रूप से लंड को चूत द्वारा ऐसे रौंदने पर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा और मेरी आंख खुल गयी.
आंख खुलने पर पाया ये सपना नहीं था बल्कि फहीमा सच में मेरे लंड पर चढ़ी हुई थी और उसने मेरे लौड़े पर अपनी गांड फंसा रखी थी.

वो धक्के दिए जा रही थी, लेकिन लग रहा था कि थक गयी थी इसलिए उसके धक्कों की स्पीड कम हो गयी थी.

उसने भी देख लिया था कि मैं जग गया हूँ. अब वो और जोर जोर से आहें भर रही थी.
मैंने उसकी स्थिति देखते हुए उसे इशारे से घोड़ी बनने को कहा और उसकी गांड में ही जोर जोर से धक्के लगाने लगा.

मेरे लंड के धक्के इतने जोर से लगने लगे कि उसकी गांड से भी आवाजें आने लगीं और उसकी चूत बहने लगी.

मुझे कुछ नया करने की सूझी.
अभी दिन निकला ही था और सुबह का समय था.

मैं उसको खिड़की के पास ले गया और पर्दा खोलकर उसके दोनों हाथ खिड़की पर रखवाए.
वो बाहर की तरफ देख रही थी. मैंने उसको थोड़ा झुका कर उसकी चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ दिया और उसकी धकमपेल चुदाई करने लगा.

उसकी चूत से भी फच फच की आवाजें आ रही थीं और फहीमा बीच बीच में अपनी चूत को एक हाथ से रगड़ने लग जाती, जिससे उसकी आहों की आवाजें और ऊंची हो जातीं.

आवाज ऊंची होने पर औरों के सुन लेने का थोड़ा डर लगता है.
मगर मुझे पता था कि पहाड़ों पर लोग देर से उठते हैं इसलिए ऐसी चुदाई में कोई रुकावट नहीं थी.

लगभग 10 मिनट की लगातार चुदाई के बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया और उसकी चूत को पूरा भर दिया.

जब लंड मुरझा गया, तब मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाला.

लंड निकालने पर मैं साथ में रखे सोफ़े पर बैठ गया और मेरे बैठते ही फहीमा मेरे सामने बैठ गई.
उसने मेरे लंड पर लगे जूस को चाट कर साफ कर दिया.

इतनी चुदाई के बाद फहीमा और मैं दोनों हांफने लग गए थे.

लंड को चाटने के बाद फहीमा मेरी गोद में ही बैठ गयी और मैं उसके होंठों को चूमने लगा.
थोड़ी देर बाद बाथरूम में एक दूसरे को साफ करने के बाद हम दोनों फिर से सो गए.

सुहागरात और सुबह की चुदाई के बाद हम दोनों को गहरी नींद आ गई और हमारी आंख काफी देर बाद खुली.

उठने पर हम दोनों ने खाना होटल में ही खाने का तय किया.

मैंने फोन से रिसेप्शन पर कुछ स्नैक्स और चाय का ऑर्डर दे दिया.
बैरे के आने से पहले ही फहीमा बाथरूम में चली गयी और बैरे ने ऑर्डर सर्व कर दिया.

उसके जाने पर हम दोनों ने स्नैक्स और चाय पी.
उसके बाद फहीमा बोली- अब मैं नहाने जा रही हूँ.

मैंने कहा- जानेमन, मेरी रंडी बीवी, अपने इस लंड को कहां छोड़ कर जा रही हो?
वो हंस दी और हम दोनों फिर से नंगे हो गए.
हम दोनों बाथरूम में घुस गए.

बाथरूम में घुसते ही वह तुरंत कमोड पर बैठकर मूतने लगी और उसकी चूत से सीटी बजने की आवाज आने लगी.

मैंने फहीमा से कहा- मुझे भी बहुत तेज मूत आ रही है … बताओ मैं कहां करूं?
उसने मुझे पास बुलाया और मेरे आधे खड़े लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

फिर मुँह से लंड निकाल कर बोली- आज मेरे मुँह में ही कर दो, मैं भी तुम्हारे मूत को चखना चाहती हूँ.
मैंने उससे कहा- देखो फहीमा, मुझे इस तरह किसी पर मूतना पसंद नहीं है. उस पर तुम तो मेरी चुदाई की रानी हो. मुझे बिना हिचक के चूत चोदना पसंद है लेकिन किसी औरत को इस तरह जलील करना मुझे पसंद नहीं है.

इस पर कुछ देर उस पोर्न लेडी ने मेरी तरफ देखा और कुछ सोचकर बोली- तुम परेशान न हो, मैं तुम्हारी पेशाब में नहाना चाहती हूँ.
उसके ऐसा कहने और लगातार लंड के चूसने से मेरे लंड में मूतने का दबाव बढ़ने लगा.

मैंने भी इसका मजा लेने का सोचा जबकि मुझे इस तरह से किसी पर भी पेशाब करना पसंद नहीं है … सेक्स में भी नहीं.
क्योंकि मुझे लगता है औरत के शरीर का हर समय सम्मान करना चाहिए, फिर चाहे वह समय सेक्स का ही क्यों न हो. हो सकता है, मेरी बात से कुछ लोग सहमत न हों.

मेरे लंड ने आखिर धार बनाकर उसके ऊपर मूतना शुरू कर दिया.
फहीमा ने भी धार निकलते ही अपना मुँह खोल लिया और जितना हो सकता था, उसने लंड का पानी अपने मुँह को खोलकर लेना शुरू कर दिया था.

धार का दबाव बढ़ने पर पेशाब उसके होंठों के किनारे से बहने लगी जोकि उसके मुँह से निकल कर गर्दन से होती हुई उसकी चूचियों को भिगोने लगी.
फिर वहां से उसकी नाभि से होकर चूत की दरार पर पहुंचने लगी.
उसकी चूत से नीचे उसकी चूत से निकाल रही पेशाब की धार में मिलकर पेंच लड़ाने लगी.

वैसे मैं बता दूँ कि फहीमा ने पेशाब सिर्फ मुँह में ली थी मगर पी नहीं थी.
यह देखकर मुझे काफी तसल्ली हुई थी.

दोनों के पेशाब करने के बाद हमने शॉवर के नीचे एक दूसरे के पेशाब को साफ किया.
उसके बाद मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

होंठ चुसाई के बाद फहीमा को दीवार के सहारे उल्टा खड़ा कर उसकी गर्दन से चूमना और चाटना शुरू कर दिया.

वहीं मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों को भी हल्का हल्का दबा रहे थे.
जब कभी थोड़ा तेज दबाव होता तो वो मस्ती से उसकी आहें भरने की आवाज आने लगती.

मैं धीरे धीरे उसकी पीठ को चूमता हुआ उसकी गांड की दरार के पास पहुंचा.
गांड के पास पहुंचकर मैं कभी उसकी गांड, कभी उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर दबाता.
साथ ही एक एक कर उनको चाटता, उनको हल्का सा काटता.

ऐसा करते ही फहीमा अपनी गांड को सिकोड़ती और साथ ही आहें भरती.

मैंने महसूस किया था कि शिमला आकर उसकी आहें भरने की आवाजें तेज हो गयी थीं.

उसने बाद में बताया भी कि शिमला में वो खुलकर चुदवाना चाहती थी, बिना किसी हया शर्म के.

ऐसा करते करते मैंने उसकी गांड में अपनी उंगली डाल दी.
गांड में उंगली डालते ही वो उत्तेजित होकर पलट गई,

पलटते ही उसने गांड दीवार की तरफ अपना सिर ऊपर की ओर कर लिया और साथ ही वो जोर से चिल्लाई- ओह समीर क्या कर रहे हो … आज मुझे मार ही डालोगे क्या?
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, तुम अब तक चुदाई के जिस मजे से वंचित रही हो … मैं आज उसको पूरा कर रहा हूँ.

ऐसा कहते ही उसको मैंने अपनी ओर घुमा लिया, साथ ही उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.
उसकी चूत से टपक रहे पानी के बीच में जोर जोर से उसकी चूत को चूसने लगा.
चूत के चूसने से फहीमा बिन पानी की मछ्ली की तरह तड़पने लगी.

मैंने उसकी एक टांग उठाई और अपने लंड को उसकी चूत में घुसा दिया और खड़े वाले पोज में उसकी चूत का बाजा बजाने लगा.

उसकी चूत मेरे लंड से काफी बार चुद चुकी थी इसलिए मेरे लंड को आराम से ले पा रही थी. उसकी चूत में मेरे लंड के धक्कों के साथ ऊपर से गिर रहे पानी से उसकी चूत से फच फच की आवाजें आ रही थीं.

ये आवाजें मेरे जोश को भी बढ़ा रही थी.
मैं बेरहमी से उसकी चूत चोदे जा रहा था.
साथ ही फहीमा की आवाजें भी बढ़ती जा रही थीं.

जब मुझे लगा कि मेरा लौड़ा जल्दी पानी न छोड़ दे तो मैंने तुरंत उसको उल्टा होने को कहा.
लेकिन ऐसा करने की बजाए पहले फहीमा सामने बैठी और मेरे लौड़े को चूसने लगी.
साथ ही लौड़े पर लगी अपनी चूत की मलाई को चाट चाटकर साफ कर दिया.

फहीमा एक घरेलू महिला से पूरी तरह एक चुदासी औरत में तब्दील हो चुकी थी.
उसके बाद वो फर्श पर अपनी दोनों टांगें फैलाकर बैठ गयी.

मैंने भी आव देखा न ताव, अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसेड़ दिया और उसकी चूत चोदने लगा.
लेकिन फर्श पर ज्यादा देर चुदाई नहीं हो पायी.

फिर मैं उसको लेकर बाथटब में चला गया जहां उसको पानी में सामने हाथ टिका कर घोड़ी बनाया और चोदने लगा.

नीचे पानी और पीछे से उसकी चूत में मेरा लौड़ा … उफ़्फ़ दिल कर रहा था फहीमा को चोदता ही जाऊं.
फिर थोड़ी देर बाद लौड़े के पानी झड़ने के डर से मैंने लौड़े को चूत से निकाल कर उसकी गांड में घुसेड़ दिया और ऐसे ही चूत और गांड के छेद बदल बदल कर चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.
स्पीड बढ़ने से और चुदने की उत्तेजना से फहीमा जोर जोर से चिल्लाने लगी- आंह समीर, मैं तुम्हारी रंडी हूँ … आंह मुझे हमेशा चोदते रहना. मैं तुम्हारे लौड़े के लिए तुम्हें और भी चूत दिलवाउंगी … आंह और चोदो मेरी इस कुतिया चूत को … इसने मुझे बहुत परेशान किया है … आज इसकी जन्मों की प्यास तुम्हारे लौड़े से ही बुझी है. तुम पहले क्यों नहीं मिले आंह पेलो और जोर से चोदो मुझे!

वो पोर्न लेडी न जाने क्या क्या बड़बड़ाती हुई अपनी चुदाई करवाए जा रही थी.
मुझे भी उसकी तेज आहों और उत्तेजना से चिल्लाने में बहुत मजा आ रहा था.

उसकी उत्तेजना और लगातार चुदाई से आखिर मेरे लौड़े ने पानी छोड़ दिया और उसकी चूत को मेरे पानी से भर दिया.

उसकी चूत से लौड़ा निकालने पर उसकी चूत बहने लगी. चूत से लौड़े का पानी निकलकर टब के पानी में मिलने लगा.

उधर फहीमा ने अपनी चूत से बह रहे मेरे वीर्य को उंगलियों पर लेकर चाटने लगी और उसने घूमकर मेरे लटके हुए लौड़े को चूस चूसकर साफ कर दिया.

उसके बाद हम ऐसे ही थक कर टब में थोड़ी देर लेट गए.
फिर टब से निकलकर हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को साफ किया और एक दूसरे के बदन को जहां जहां अच्छा लगा, वहां चूमा.

अब वापिस कमरे में आकर अपने बिस्तर पर लेटकर सो गए.

चुदाई का यह हनीमून तीन दिन तक चला जिसमें पहले दिन छोड़कर बाकी सभी दिन और रात हमने अपने कमरे पर ही बिताईं.

इस दौरान कम से कम हम दोनों ने 10 बार चुदाई की.
फिर वापिस अपने घर लौट आए.

इस दौरान फहीमा बहुत खुश रही.
वापिस आकर उसने बताया कि यह हनीमून उसका सच्चा हनीमून था.
यह उसकी चूत गांड की भी वास्तविक चुदाई थी क्योंकि वह अपने मरहूम शौहर की साथ ऐसी चुदाई का कभी मजा नहीं ले पायी थी.

उसका शौहर न तो उसे ठीक से चोदता था और न ही मजे दे पाता था; बस कपड़े उतारकर चूत में लंड घुसेड़ देता था.
इस कारण वो सिर्फ अपना पानी निकाल कर झड़ जाता और फहीमा को वो कभी भी तसल्लीबख्श चुदाई का मजा नहीं दे पाया था.

आपको मेरी यह पोर्न लेडी सेक्स कहानी पसंद आई होगी. मेरे ईमेल पर अपनी राय भेजें.
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