गुरु बाबा सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने एक बाबा से अपनी चुदाई करवाई थी. बाबा का एक उस्ताद भी था जिसका लंड शानदार था. मैं उससे भी चुदाई करवाना चाहती थी.
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दोस्तो, आपकी सोनम आपकी सेवा में फिर से एक नयी सेक्स कहानी के साथ हाज़िर है.
सबसे पहले आप सभी का धन्यवाद करना चाहूँगी कि आपने मेरी स्टोरी
जंगल में सेक्स की कहानी
पसंद की … और भारी संख्या में मेल व कमेंट किए.
जैसा कि आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी में पढ़ा था कि मैंने एक बाबा से अपनी चुदाई करवाई थी.
उनके लंड से चुदकर मुझे बड़ा मजा आया था. उनका लंड बड़ा मस्त था.
जब मैंने उनसे उनके लंड के लिए कहा था तो उन्होंने बताया था कि उनके भी एक उस्ताद हैं. उनका लंड और भी बड़ा है.
मैंने उस्ताद के बड़े लंड की सुनकर मन बना लिया था कि उनका लंड भी लेकर रहूँगी.
अब आगे गुरु बाबा सेक्स कहानी:
उस दिन मैं बाबा जी के लौड़े से चुदवा कर घर आ गई थी और उसी रात मैं व्हाट्सैप पर रमेश से चैटिंग कर रही थी.
तभी दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी.
मैंने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने एक भिखारी था.
वो कुछ खाना मांगने के लिए आया था. वो भी मस्त लग रहा था मगर मैंने चूत की खाज को उस्ताद के लंड से मिटवाने की ठान ली थी तो मैंने भिखारी को खाना दिया और उसको बाद में आने का कह दिया.
उसके जाने के बाद मैं वापस चैटिंग पर लग गयी.
रमेश ने पूछा- इतनी देर बाद जवाब क्यों दिया?
मैंने उसे बताया कि एक भिखारी खाना मांगने आ गया था. उसे खाना देने चली गई थी.
तब वो एकदम से बोला- अरे, भिखारी से याद आया. तुमको उस बाबा के उस्ताद के पास कब चलना है?
उसने जैसे ही बाबा जी का नाम लिया, मेरी चूत में खुजली मचने लगी.
मैं चुदासी हो गई और उसे लिखा- तुम बताओ, कब चलना है?
उसने लिखा- कल ही चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, कल सुबह जल्दी ही चलूँगी … लगभग 8 बजे.
रमेश ने ओके कहा और चैट बंद हो गई.
मैं बाबा जी की चुदाई को याद करके चूत रगड़ने लगी और कुछ देर बाद झड़ कर सो गई.
सुबह रमेश सही समय पर मेरे घर आ गया और हम दोनों जंगल की ओर चल दिए.
थोड़ा घने जंगल के अन्दर जाकर बाबा जी की झोपड़ी आ गई.
हम लोग अन्दर गए, तो बाबा नाश्ता बना रहे थे.
हम दोनों ने बाबा जी को प्रणाम किया.
बाबा ने घूम कर देखा और मुझको देखते ही उनकी आंखों में खुशी झलकने लगी.
बाबा जी ने हम दोनों को बैठने को बोला और चाय पीने को दी.
इसके बाद बाबा जी बोले- कैसे आना हुआ?
रमेश बोला- आपका धन्यवाद करने आए हैं.
बाबा बोले- धन्यवाद की कोई बात नहीं … इंसान ही इंसान के काम आता है.
तब रमेश मुझसे आंख मारता हुआ बोला- मैं कार में से वो सामान लेकर आता हूँ, जो हम बाबा जी के लिए लाए थे.
मैं बोली- हां जाओ, निकाल लाओ.
उसके जाते ही बाबा मुझ पर लपक पड़े और मेरे होंठों को पागलों की तरह चूसने लगे और मेरे मम्मों को मसलने लगे.
मैं भी गर्म हो गयी थी. मैंने ज़्यादा वक्त ना लगाते हुए अपनी लैंगिंग्स नीचे की और घोड़ी बन गयी.
बाबा ने भी वक्त ना गंवाते हुए अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया.
मेरे मुँह से तेज आअहह निकलते ही बाबा जी ने अपने हाथों से मेरा मुँह बंद कर दिया.
अब बाबा जी तेज़ी से मुझे चोदने लगे और कुछ देर बाद झड़ गए.
चुदने के बाद मैं घूम गई और बाबा जी के लंड को मैंने चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
चुदने के बाद मैंने अपने कपड़े ठीक किए और पूछा- बाबा, आपके उस्ताद जी कहां रहते हैं?
बाबा जी बोले- वो उस पहाड़ी के पीछे रहते हैं … वहीं उनकी झोपड़ी है.
मैंने कहा- तो बताओ, कब जाऊं उनके पास?
बाबा ने मुस्कुरा कर पूछा- उनसे क्या काम है?
मैंने बताया कि उनसे चुदवाने के लिए जाने का मन है.
बाबा बोले- एक काम कर, तू परसों आ जाना. मैं कल वहीं जा रहा हूँ. मैं उनके पास जाकर वहां उस्ताद जी को सब बता दूँगा. पर तू अकेली ही आना.
मैंने कहा- ठीक है.
बाबा आगे बोले- और आज से जरा जल्दी सुबह के समय आना, जिससे शाम तक तू अपने घर वापस जा सके.
मैंने कहा- ठीक है.
रमेश बाहर खड़ा ये सब सुन रहा था.
वो भी अन्दर सामान लेकर आ गया.
बाबा जी को सामान देकर हम लोग निकल गए.
रोड पर आते ही रमेश बोला- बाबा तेरा तो दीवाना हो गया है.
मैं हंसी और बोली- अब उस्ताद जी की बारी है. परसों उनके पास भी चलते हैं.
रमेश बोला- मगर बाबा तो तुझे अकेली आने की कह रहा था.
मैंने कहा- उसके कहने से क्या होता है. हम दोनों ही परसों सुबह निकलेंगे.
तयशुदा दिन को हम दोनों बड़ी भोर निकल गए.
रमेश ने उस जगह से काफी पहले अपनी गाड़ी रोक दी और हम दोनों पैदल चल दिए.
कुछ देर बाद हमें उस्ताद जी की झोपड़ी दिखने लगी.
रमेश झाड़ियों की आड़ में छिप गया ताकि बाबा जी उसको देख ना पाएं.
मैं झोपड़ी के अन्दर गयी.
वहां पर बाबा जी और उनके उस्ताद जी थे.
बाबा जी ने मुझे देखते ही कहा- आ जाओ … बैठ जाओ.
मैं उस्ताद जी की तरफ देखने लगी.
बाबा जी बोले- उस्ताद जी, ये वही कन्या है … मैंने जिसके बारे में आपको बताया था.
उस्ताद जी ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और बोले- इसका जिस्म बहुत गर्म है.
बाबा जी बोले- हां गर्म तो बहुत है.
अब उस्ताद जी ने अपनी धोती अपनी जांघ तक ऊपर की और कहा- आ जा, बैठ जा मेरी जांघ पर.
मैं जाकर बैठ गयी.
उस्ताद जी ने एक हाथ मेरी गांड पर फेरना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरे दूध मसलने लगे.
मैं गर्म होने लगी थी.
तभी बाबा जी ने कहा- आज से तू हम दोनों की रांड है.
मैंने हां में सिर हिला दिया.
उस्ताद जी बोले- मेरी रांड, चल अब नंगी हो जा.
मैंने कमीज़ निकाली और लैंगिंग्स उतार दी. अब मैं पैंटी और ब्रा में थी.
उस्ताद जी देखते ही बोले- बहुत ही मस्त जिस्म है तेरा!
मैं शर्मा कर हंस दी.
मैंने अपनी ब्रा खोली और अपने चूचों को आज़ाद कर दिया.
एक बार मैंने अपने चूचे बड़ी अदा से उन दोनों के सामने हिलाए तो उस्ताद जी का लौड़ा धोती के अन्दर लंगोट में फूलने लगा.
फिर मैंने अपनी पैंटी निकाली और मैं पूरी नंगी होकर नीचे बैठ गयी.
मुझे नंगी बैठी देख कर बाबा जी ने इशारा किया.
मैं अपने घुटनों के बल चलती हुई उस्ताद जी के पास आ गयी और उनकी धोती व लंगोट को खोलना शुरू कर दिया.
उस्ताद जी की धोती व लंगोटी को खोलते ही उनका नौ इंच का काला लंबा अजगर सा लंड मेरी आंखों के सामने था.
मैंने बिना सोचे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
उस्ताद जी मेरे मम्मों को मसल रहे थे और बाबा जी मेरे पीछे आ गए.
बाबा मेरी चूत को चाटने लगे. मुझे और ज्यादा मज़ा आने लगा.
कुछ देर बाद उस्ताद जी उठे और बाबा जी से कहा- अब मैं पीछे आता हूँ, तब तक तू अपना लंड चुसवा इससे!
मैं अब बाबा जी के लौड़े को चूस रही थी और उस्ताद जी अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ रहे थे.
मुझे मोटे लंड की रगड़ से मज़ा आ रहा था. मैंने चूत को लंड से कुछ ज्यादा घिसा तो उस्ताद जी ने मेरी चूत के छेद पर लंड सैट कर दिया और एक धक्का दे मारा.
उस्ताद जी का अजगर नुमा मोटा लंड मेरी चूत की आधी गहराई में अन्दर घुस गया.
मेरी चीख निकल गयी- मर गयी मम्मी रे … आअहह ऑह निकालो मैं मर जाऊंगी … उस्ताद जी आपका बहुत मोटा है … मेरी फट गई.
पर उस्ताद ने मेरी एक ना सुनी और हल्के हल्के धक्के लगाने लगे.
कुछ देर बाद मुझे भी मज़ा आने लगा था.
मुझे मजा लेते देख कर उस्ताद ने एक और करारा धक्का दे मारा. इस बार उस्ताद का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
मैं- अऔच आहह निकालो ओ प्लीज़ आअहह …
पर उस्ताद जी नहीं माने और हल्के हल्के धक्के देते रहे.
अब मेरा थोड़ा दर्द कम हो गया और मुझे मज़े आने लगा. मैं भी उस्ताद का साथ देने लगी.
धकापेल चुदाई होने लगी.
मैं उस्ताद जी के लंड से दो बार झड़ चुकी थी मगर उस्ताद जी न जाने कौन सी औषधि का प्रयोग करते थे कि उनके लंड में फूं फां तक नहीं हुई थी.
काफी देर बाद अब उस्ताद जी झड़ने वाले हो गए थे.
उस्ताद जी बोले- चूत में लेगी मेरा माल या मुँह में?
मैंने कहा- मुँह में.
मैं घूमी और मैंने उस्ताद जी के लंड को चूसना शुरू कर दिया.
उनका पानी एक तेज पिचकारी के रूप में मेरे गले में अन्दर जा गिरा.
मैं लंड का सारा पानी पी गयी.
कुछ देर बाद बाबा जी ने भी मुझे ऐसे ही चोदा और मैं उनका भी सारा पानी पी गयी.
थोड़ी देर बाद उस्ताद जी मुझे एक पेय दिया. जिसको पीते ही मुझमें नई ताकत का संचार हो गया.
अब उन दोनों ने एक एक करके मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया. वो दोनों बारी बारी से मुझे हचक का चोदते रहे.
अब दोपहर के 3 बज चुके थे और मैं अब तक उन दोनों से चार चार बार चुद चुकी थी.
मैंने कहा- अब मैं चलती हूँ उस्ताद जी.
वो बोले- एक बार दोनों से एक साथ और चुद ले, फिर चली जाना.
मैं समझ गयी कि उस्ताद जी मेरी गांड मारना चाहते हैं.
मैं बोली- उस्ताद जी, गांड में बहुत दर्द होगा.
वो बोले- पगली, मज़ा भी बहुत आएगा. फिर मेरे पास तो औषधियों का भंडार है. तुझे केवल मजा आएगा.
मैं बोली- ठीक है उस्ताद जी … आप आराम से करना.
उस्ताद जी बोले- तू पहले मेरा लंड चूत में ले. बाद में मस्त हो जाएगी तब गांड में ले लेना.
मैंने ऐसा ही किया.
उस्ताद जी ने मुझे कोकाकोला जैसे रंग का शर्बत पिलाया. वो बड़ी तेज गंध वाला था. उसे पीते ही मुझे मस्ती छाने लगी.
अब उस्ताद जी ने बाबा जी को इशारा किया कि वो अपना लंड मेरी गांड में पेल दें.
बाबा जी ने अपना लंड जैसे ही मेरी गांड में लगाया.
मैं बोली- थूक लगा कर करना बाबा जी … तब दर्द कम होगा.
बाबा जी ने थूक लगाया और एक ही झटके में लंड पेल दिया. बाबा जी का लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी. मैं रोना चाहती थी पर मैंने किसी तरह से अपने आपको रोक लिया.
अब बाबा जी आराम आराम से झटके लगाने लगे और मेरे दूध दबाने लगे.
तभी नीचे से उस्ताद जी भी आ गए और मेरी चूत में लंड पेल कर लग गए.
कुछ देर के दर्द के बाद अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं- आअहह ओह चोद दो बाबा जी चोद दो उस्ताद जी … आंह अपनी रांड को एक साथ दोनों छेदों में मजा दे दो … आहह
फिर उस्ताद जी ने बाबा जी से कहा- अब मैं इसकी गांड में लंड दूंगा.
उन दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल दी.
बाबा जी ने मेरी चूत में लंड पेल दिया और अपने दोनों हाथों से मेरी गांड फैला कर पूरी खोल दी.
उस्ताद जी ने मेरी गांड के फूल पर थोड़ा थूक लगाया और बाबा जी की तरह एक ही झटके में लौड़ा अन्दर कर दिया.
अब मैं अपने आपको रोक ना सकी और रोने लगी. मेरे आंसू गिरने लगे पर उन दोनों को कोई रहम नहीं आया.
वो मुझे धकापेल चोदते रहे.
मुझे भी कुछ देर बाद मज़ा आने लगा था. मैं मस्ती से उन दोनों का साथ देने लगी थी.
कुछ देर बाद उन दोनों ने एक साथ मेरे मुँह पर पानी निकाल दिया.
मैंने अपनी उंगली से उन दोनों का दही लेकर चाटना शुरू कर दिया, फिर दोनों के लंड चाट चाट कर साफ़ कर दिए.
अब मैं थक गई थी तो थोड़ा लेट गई.
मैंने देखा कि 4 बज चुके थे.
मैं बोली- अब मैं चलती हूँ बाबा जी.
मैंने बाबा जी और उस्ताद जी को अपना नंबर दिया और कहा- अब जल्दी से नया फोन ले लो, हमारा मिलना जुलना लगा रहेगा.
मैं ये कह कर बाहर आ गई और थोड़ी दूरी पर जाकर रुक गयी.
मैंने देखा कि रमेश आ रहा है.
उसने आते ही मुझे किस किया और बोला- बड़ा मस्त चुदवाया तूने!
मैं बोली- हां यार, लंड ही ऐसे थे दोनों के … तूने फिल्म बनाई?
वो बोला- हां, गुरु बाबा सेक्स की पूरी वीडियो बना ली.
अब हम दोनों वहां से चल दिए.
दोस्तो, अब आप बताएं कि कैसी लगी मेरी गुरु बाबा सेक्स कहानी?
प्लीज़ मेल और कमेंट से ज़रूर बताएं.
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