पति के भाई को भी अपना पति बना लिया

हॉट भाभी देवर चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे पति मुझे किसी दूसरे लंड से चुदवाना चाहते थे. उन्होंने मुझे उनके मामा के बेटे से कैसे मुझे चुदवाया?

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दोस्तो, मेरा नाम आरती है। मैं जयपुर राजस्थान की रहने वाली हूँ।
हम सयुंक्त परिवार में रहते हैं।
मेरे परिवार में मैं, मेरे पति प्रतीश, मेरे दो बच्चे पायल और राहुल तथा प्रतीश के मामा का लड़का राजेश जो अब मेरा पति भी बन चुका है, रहते हैं।

मेरी उम्र 30 वर्ष है। मेरी शादी वर्ष 2008 में प्रतीश के साथ हुई थी।
प्रतीश मुझसे करीब 15 साल बड़े हैं।

यह हॉट भाभी देवर चुदाई कहानी मेरे पति की इच्छा पर ही बनी थी.

मेरा फिगर काफी सेक्सी है।
ऐसा मेरे पति प्रतीश कहते हैं।
मेरा फिगर साइज़ 34-30-38 है; यानि मेरे 34″ के बूब्स हैं, 30″ की कमर ओर 38 की मेरी गान्ड है।

शादी के चार पांच साल हम दोनों की सेक्स लाइफ सही चली।
लेकिन उसके बाद एक दिन मेरे पति मुझे कहने लगे- आरती यार, मैं तुम्हारे लिए कम पड़ता हूँ। मुझे लगता है कि तुमको दो मर्द मिलकर चोदें, एक मुँह पर … तो एक चूत पर हो. तब जाकर तुमको सन्तुष्ट कर पाऊं।

मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने प्रतीश को गुस्से से कहा- आगे से आप ऐसा नहीं बोलें।
प्रतीश मेरे गुस्से को देखकर चुप हो गए।

उसके तीन चार दिन बाद हम सेक्स करने के लिए बेड पर लेट कर पोर्न फिल्म देख रहे थे।
पोर्न फिल्म में एक औरत को दो मर्द मिलकर चोद रहे थे।
उस औरत को भी बहुत मजा आ रहा था।

प्रतीश मेरे बूब्स को दबा दबा कर पीने लगे।
मैं पोर्न देखकर बहुत गर्म हो गई थी, मेरी चूत पानी छोड़ दिया था।

तभी प्रतीश ने मुझसे पूछा- जान क्या तुमको दो मर्द मिलकर चोदें? मैं ऐसा चाहता हूँ।
मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी और मुझे भी दो मर्दों के लण्ड से चुदवाने का मन कर रहा था।

प्रतीश मुझे कहने लगा- मामा जी के लड़के राजेश को बुला लें क्या?
मैं भी पूरे जोश में थी इसलिए मैंने तुरंत ही हाँ बोल दिया।

राजेश के नाम से मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सा रोमांच शरीर में दौड़ने लगा।
मैं राजेश को महसूस करने लगी।

प्रतीश को मैंने राजेश समझकर इतनी जोर से काट लिया कि प्रतीश की चीख़ निकल गई।
मैं सिसकारियाँ ले रही थी- अआआ आआह आम्म आआ राजेश मुझे अपनी रण्डी बना ले! राजेश मेरी चूत में लण्ड डाल दे!
ऐसे न जाने मैं क्या क्या कहे जा रही थी।

प्रतीश मेरी चूत चूस रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया।
मैंने प्रतीश का लण्ड पकड़कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और प्रतीश को चूत में घुसाने के लिए मिन्नत करने लगी।

लेकिन प्रतीश लण्ड चूत के ऊपर ही रगड़ता रहा।
बिना पानी के मछली जैसे तड़पती है, मैं वैसे तड़प रही थी।

तभी प्रतीश बोला- राजेश का लण्ड खाने का वादा करो तो ही चूत में लण्ड डालूंगा।
मैंने तुरंत वादा कर डाला- तुम जब कहो मैं राजेश से चुदवा लूंगी, अब लंड डाल दो मेरे अंदर!

वादा कर लिया मैंने … तब जाकर प्रतीश ने मेरी चूत में लण्ड डाला और मुझे चोदने लगा.
मैं राजेश को महसूस करते हुए अपनी गाान्ड ऊपर उठा उठा कर चुदती रही।

करीब 20 मिनट बाद मैं अकड़ गई और झड़ गई।

उस दिन मैंने पूरी रात अपनी चूत चुदवाई।

अगले दिन शाम को दोबारा से प्रतीश ने राजेश से चुदवाने के लिए मुझे उकसाने लगे।
बार-बार उकसाने पर मैं राजेश के बारे में सोचने लगी।

परन्तु मुझे यह सब गलत लग रहा था क्योंकि मैं एक पतिव्रता भारतीय नारी हूँ।

रात को प्रतीश मुझे मेरे वादे का वास्ता देकर राजेश से चुदवाने के लिए जिद करने लगे।
मैंने प्रतीश को बोला- मुझे थोड़ा समय दो।

इस तरह सोचने विचारने और बातें करने में करीब एक साल निकल गया।
मैं राजेश को महसूस कर चुदने लगी थी।

होली आने वाली थी।
मैं पता नहीं क्यों … राजेश के नजदीक आ गई थी। मुझे उससे बातें करना, उसके साथ समय बिताना अच्छा लगता था।
सही कहूँ तो मुझे राजेश से प्यार हो गया था, मुझे राजेश का झुकाव मेरी तरफ महसूस होने लगा था।

राजेश के दिल में भी मेरे लिए कुछ था जरूर … मैंने जानने की कोशिश की किन्तु मुँह से कह नहीं पाई।

धुलण्डी का दिन था।
मैंने राजेश को रंग लगाया तो उसने भी मुझे किचन में अकेले में मुझे रंग लगा दिया।

मेरे देवर ने मुझे प्यार भरी नज़रों से देखा।
मैं अपने आप को रोक नहीं सकी और मैंने राजेश को बांह में भरकर प्यार का इजहार कर दिया।

राजेश भी मुझसे अपने प्यार का इजहार करके बोला- आरती डार्लिंग … आई लव यू! मैं तो तुमको साल भर पहले से ही अपनी पत्नी मान चुका हूँ।
और यह कहते हुए वो मुझे चूसने लगा।

मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी।
कोई देख ना ले इसलिए मैंने तुरंत ही अपने आप को राजेश से अलग कर लिया।

राजेश मुझे कहने लगा- आरती तुम मेरी जिंदगी हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। इस जन्म न सही … अगले जन्म में मैं तुमको अपनी पत्नी रूप में पाना चाहता हूँ। आरती तुम मुझे अपना पति मानो या मत मानो मैं तुमको अपनी पत्नी मानता रहूँगा।

मैं कुछ नहीं बोली।

मैंने राजेश को चाय दी तो उसने मुझे पकड़ कर गोद बिठा लिया।
तो मैंने राजेश को कहा- यार कोई देख लेगा।
मैं राजेश से अलग हो कर साईड में बैठ गई।

हम दोनों ने बहुत देर तक बातें की।

राजेश ने मुझे कहा- आरती मुझे तुम्हारा तन नहीं चाहिये. मैं तो बस तुम्हारा साथ चाहता हूँ।

उस दिन रात को मैंने प्रतीश को दिन की सारी बात बताई।
प्रतीश बहुत खुश हो गये और बोले- अब तुम राजेश को बुला लो।

मैंने कहा- राजेश मुझे आपके सामने नहीं चोदगा। वो आपको बहुत मानता है।
प्रतीश ने कहा- अकेले में तुम इस बारे में उससे बात करो। तुम उसके साथ शादी कर लो। फिर तो वह अपनी पत्नी को चोदेगा।

प्रतीश ने मेरी ओर राजेश की शादी की प्लानिंग की।

हमारा घर दो मंजिला है।
नीचे मेरे जेठ जिठानी और सास-ससुर और घर वाले रहते हैं।
ऊपर मैं, प्रतीश ओर बच्चे रहते हैं।

प्रतीश ने मुझे कहा- राजेश को आज ऊपर हाल में ही सुला लेंगे। रात को मैं बच्चों को लेकर बेड रूम जल्दी ही सो जाऊंगा। तुम हाल में उसके साथ बातें करती रहना। जब उसको लगे कि मैं सो गया हूँ, तुम बेड रूम का दरवाज़ा बाहर से बन्द करके उसको सिन्दूर देते हुए बोलना ‘राजेश मेरी मांग भरकर मुझे अपनी पत्नी बना लो।’

रात होने पर हमने ऐसा ही किया। रात को प्रतीश और बच्चों के सो जाने पर मैंने चुपके से बैड रूम का दरवाजा बन्द करके कुन्डी लगा दी।
मैं आकर राजेश के पास लेट गई।

राजेश ने कहा- भाई उठ गये तो?
मैंने कहा- वो एक बार सोने के बाद सुबह ही उठते हैं।

राजेश को मैंने सिन्दूर देते हुए कहा- तुम मेरी माँग भरकर मुझे अपनी पत्नी बना लो।
इस पर राजेश ने कहा- यार, मैं अपने भाई के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता हूँ।

मैंने कहा- यार तुम मुझे प्यार करते हो, मुझे अपनी पत्नी मानते हो. फिर क्यों नहीं मेरी माँग भर सकते?
थोड़ी देर बाद राजेश तैयार हो गया।

लेकिन राजेश ने कहा- हम कल शादी करेंगे, मुझे भी शादी की तैयारी करनी पड़ेगी।
कुछ देर बाते करने के बाद राजेश की बांहों में ही सो गई।

अगले दिन रात को मैं शादी का लिबास यानि दुल्हन के कपड़े पहनकर राजेश के सामने गई और उसको बोला- राजेश, तुम्हारी दुल्हन तैयार है।

राजेश भी उस रात दूल्हे के लिबास में तैयार हो गया था।
तब राजेश ने मुझे प्यार से अपने पास बिठाया और सिन्दूर से मेरी मांग भर दी।

तभी उसने मुझे एक फूल माला दी और कहा कि अपने दूल्हे को वरमाला पहना दो।
मैंने शरमाते हुए वरमाला राजेश के गले में पहना दी।
फिर राजेश ने भी मुझे वरमाला पहना दी।

इसके पश्चात हम दोनों ने घर में बने मन्दिर के साामने भगवान को धोक लगाकर भगवान को प्रणाम किया।

मैंने राजेश को भगवान की उपस्थिति में अपना पति बना लिया था।
राजेश ने भी मुझे पूर्णतः अपना बना लिया था।

अब मैं दुल्हन की तरह शरमा रही थी।

राजेश ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और प्यार करते हुए मुझे हाल में ही बिस्तर पर गिरा कर मुझे किस करने लगा।

धीरे धीरे राजेश ने मेरे सारे गहने ओर कपड़े निकाल दिये थे।
मैं राजेश के सामने बिलकुल नंगी हो चुकी थी।

मैंने दिन में ही वैक्स करवाई थी इसलिए मेरी टाँगें, चूत एक दम चिकनी हो रही थी।

राजेश मुझे प्यार करते हुए मेरे सारे बदन को पागलों की तरह चूमने चाटने लगा।
मैं मदहोश हो गई थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊऊ ऊह … आआआ आआह आअ अअअ मह औऔ औऔउ उउउउ उमम्म, आआ आआ!

कुछ देर बाद राजेश मेरी चूत को पीने लगा।
मैं दो बार झड़ चुकी थी।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैंने राजेश को नंगा कर दिया।

राजेश का लण्ड मैं देखती रह गई। राजेश का लण्ड गधे के लण्ड की तरह लम्बा ओर मोटा था। ऐसा लण्ड तो नीग्रो लोगों का पोर्न में देखा था।
मेरी आंखें फटी की फटी रह गई।

राजेश ने मुझे पूछा- आरती क्या हुआ?
मैंने कहा- राजेश, तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है यार! तुम्हारे भाई का लण्ड तो तुम्हारे लण्ड से आधा ही है।

मैंने राजेश के लण्ड को मुँह भर लिया.
अब राजेश भी सिसकारियाँ ले रहा था।

राजेश ने मुझे नीचे गिराया और लण्ड को चूत के मुँह पर रख दिया.
उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में फंसा दिया और एक जोर का झटका दिया.
मेरी चीख़ निकल गई।

वो तो शुक्र था कि राजेश ने मेरे मुँह में मुँह दे रखा था इसलिए मेरी चीख़ बाहर नहीं निकल पाई।
मैं दर्द के मारे तड़प रही थी।
मुझे ऐसा लगा जैसे आज ही मेरी सील टूटी है।

राजेश मेरे 34″ के बूब्स को दबा दबा कर चूस रहा था।

कुछ देर बाद मेरी चूत का दर्द कम हो गया; मैं गान्ड उठा कर चुदने लगी।

करीब तीस मिनट बाद मैं अकड़ गई और राजेश के झटके बहुत तेज हो गये।
मैंने राजेश को जकड़ लिया था.

राजेश ने एक जोर का झटका दिया और मेरी चूत में वीर्य की जोरदार पिचकारी छोड़ दी।
पिचकारी मुझे बच्चेदानी पर टकराती हुई महसूस हुई।

इस तरह उस रात राजेश ने मेरी चूत में कई बार वीर्य की जोरदार पिचकारियाँ मारी।

सुबह चार बजे थे।
मैंने राजेश को कहा- अब मैं बैडरूम में जाती हूँ।

बैडरूम की कुन्डी खोली मैंने तो अन्दर प्रतीश जगे हुए थे।
प्रतीश ने मुझे मुँह पर अंगुली रख कर चुप रहने का इशारा किया।

मुझे प्रतीश ने बताया- मैं रोशनदान से तुमको देख रहा था।

मैंने प्रतीश को कहा- यार एक गलती हो गई।
प्रतीश ने मुझे पूछा- क्या गलती हो गई?

मैंने प्रतीश को बताया कि राजेश ने वीर्य मेरी चूत में ही छोड़ दिया है मैं गर्भवती हो सकती हूँ।
तो प्रतीश ने मुझे कहा- आरती, कोई बात नहीं … वो भी तुम्हारा पति ही है। अगर प्रेग्नेंट हो भी जाओ तो प्यार की निशानी पैदा कर लेना। मुझे कोई एतराज नहीं है।

अगले महीने मुझे पीरियड नहीं आया तो मैंने पेशाब चैक करवाया तो सचमुच में मेरे पैर भारी हो गए थे।

ठीक नौ महीने बाद राहुल ने जन्म लिया।
राहुल बिलकुल राजेश पर गया था।

अब राजेश के साथ बहुत खुश थी क्योंकि प्रतीश का लण्ड कमजोर पड़ चुका है, परन्तु राजेश मुझे सन्तुष्ट कर देता है।
मैं दोनों पतियों का प्यार पाकर बहुत खुश थी।

यह मेरे सच्चे प्रेम की हॉट भाभी देवर चुदाई कहानी है जो मैंने इस मंच के जरिए आप लोगों से शेयर की है।
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