बड़ी बहन की गांड और छोटी की चूत चोदी

जवान लड़की की गांड चुदाई कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली लड़की की है. मैं उसकी चूत चोद चुका था. इस बार मैंने उसकी गांड मारी तेल लगा कर!

दोस्तो मैं विजय, सॉरी इतने दिनों बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.

आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी
जवान पड़ोसन की चुत चुदाई कहानी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने रात में चार बार अंकिता को चोदा था.

अब आगे जवान लड़की की गांड चुदाई कहानी:

अंकिता सुबह 5 बजे चले गई. उसके जाने के बाद मैंने कुंडी लगाई और सो गया.

फिर सुबह मेरी आंख 10 बजे तब खुली, जब कोई मेरे घर की घंटी बजा रहा था.
मैंने बाहर जाकर देखा तो ज्योति आई हुई थी.

मैं- ज्योति तुम हो, आओ कैसे आना हुआ?
ज्योति- दीदी ने नाश्ता भेजा है.

मैं- अच्छा, अन्दर आ जाओ.
मैं नाश्ता करने लगा और ज्योति से बातें भी करने लगा.

मैं- ज्योति तुम ठीक हो ना? तुम्हारे चेहरे का रंग उड़ा उड़ा क्यों लग रहा है?
ज्योति- वो पता नहीं, कल से मेरे पूरे जिस्म में दर्द हो रहा है, दर्द की गोली भी ली … पर दर्द नहीं गया.

मैं- अच्छा, इतनी सी बात, मैं तुम्हारा दर्द जरा में मिटा सकता हूँ.
ज्योति- वो कैसे?

मैं- मालिश से तेल से मालिश करूंगा, तो तुम्हारा दर्द खत्म हो जाएगा.
मेरी मालिश की बात पर ज्योति की आंखों में ऐसी चमक आई जैसे वो खुद ही मुझसे ऐसा सुनना चाह रही हो.

ज्योति- अच्छा, ठीक है … फिर जल्दी से कर दो क्योंकि अब मुझसे ये दर्द सहन नहीं हो रहा है.
मैंने कहा- नाश्ता कर लूं पहले!

उसने बेचैन निगाहों से अपना सर हां में हिलाया.

मैंने नाश्ता खत्म किया और ज्योति को कमरे में ले गया. उधर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया.

उसने उस वक़्त हाफ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखा था.

फिर मैंने तेल लेकर उसके पैर की मालिश शुरू की. पहले मैं अपना हाथ नीचे ले जाता, फिर धीरे धीरे ऊपर उधर तक आता, जहां तक उसका शॉर्ट्स था.

इसी तरह से कुछ बार करने के बाद वो जरा सहज हो गई.

अब मैं और ऊपर आने लगा और उसकी पैंटी को टच कर दिया जिससे उसके पूरे शरीर में झुरझुरी सी होने लगी.
ऐसा मैं बार बार करता गया.

फिर जब मुझे लगा कि अब ज्योति का काम होने वाला है, तभी मैंने उसे छोड़ दिया.
वो मेरी तरफ कुछ बेचैनी से देखने लगी.
उसकी आंखों में नाराजगी सी थी मानो कह रही हो कि रुक क्यों गए.

मैंने कहा- मालिश खत्म हुई ज्योति.

ये सुन उसका चेहरा ऐसे लटक गया, जैसे बच्चे को अपनी मनपसंद की चीज़ न मिली हो.

मैंने पूछा- अब दर्द कैसा है?
ज्योति मायूस आवाज में बोली- हां, पहले से तो काफी ठीक है.

मैंने अपने हाथ तौलिया से पौंछते हुए उसे उठ जाने का इशारा किया.
वो अपने कपड़े ठीक करती हुई चली गई.

फिर दिन भर कुछ खास नहीं हुआ.
रात को मैंने दुबारा अंकिता को घर पर बुलाया.
अंकिता मेरे घर आ गई.

अब मैंने अंकिता की गांड कैसे मारी, वो सुनाता हूँ.

अंकिता के आते ही मैं उस पर टूट पड़ा. उसे किस करने लगा और साथ मैं उसके चुचे दबाने लगा.

जल्द ही हम दोनों का मूड बन गया.
मैंने कहा- अंकिता, मुझे आज तुम्हारी गांड मारनी है.

इस पर अंकिता एकदम से ठिठक गयी. वो बोली- मैंने पहले कभी गांड नहीं मराई, मैंने सुना है कि उधर बहुत दर्द होता है.
मैं- अरे नहीं यार … बिल्कुल भी दर्द नहीं होता है. अगर आराम से गांड मारी जाए तो मजा आता है … और जान मैं तेरी तो बड़े प्यार से फाड़ूँगा … बस थोड़ा सा झेल लेना.

अंकिता ने डरते डरते हां कर दी.

फिर मैंने अंकिता को नंगी करके पूरी तरह से गर्म कर दिया.
उसकी गांड में बहुत सारा तेल लगाया और अपने लंड पर भी लगा लिया.

मैं- अंकिता तुम रेडी हो?
अंकिता ने डरते हुए हां में सर हिलाया.

फिर मैंने अंकिता की गांड चौड़ी करके अपने लंड पर दाब डाला तो धीरे धीरे लंड का टोपा अन्दर घुस गया.

अंकिता की दर्द भरी आवाज निकल गई.

उसका दर्द से बुरा हाल हो गया था. उसने कराहते हुए कहा- आंह विजू … बहुत दर्द हो रहा है … मुझे नहीं मरवानी गांड … तुम अपना लंड बाहर निकालो प्लीज़ … आगे कर लो.

पर मैंने लंड बाहर नहीं निकाला बल्कि अपना लंड रोक कर अंकिता की चूत में उंगली करने लगा.
इससे अंकिता को थोड़ी शांति मिल गई.

फिर मैं धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा और टोपे के चलने लायक जगह बना ली.
वो अब चुप थी.

फिर मैं लंड को धीरे धीरे आगे बढ़ाने लगा जिससे अंकिता को दर्द हुआ पर चूत में उंगली करने की वजह से उसे इतना पता नहीं चला.

अब मेरा आधा लंड अंकिता की गांड में घुस गया था.
जब मैंने ये बात अंकिता को बताई, तो उसे विश्वास नहीं हुआ, उसने लंड को हाथ लगा कर देखा.

वो कुछ खुश सी लगने लगी थी, जिसका अहसास मुझे उसकी गांड के पीछे को होने से चला.

इसी तरह से धीरे धीरे करते हुए मैंने पूरा लंड लड़की की गांड में पेल दिया था.
अब अंकिता सिर्फ उन्ह आंह कर रही थी.

मैंने थोड़ा सा तेल टपका कर लंड को जरा चिकनाई दी.
फिर अपने लंड को बाहर को निकाल कर एक तगड़ा शॉट दे मारा जिससे अंकिता की चीख निकल गई.

पर इस बार मैं नहीं रुका. एक के बाद एक शॉट लगाता गया.

थोड़ी देर बाद अंकिता को भी मजा आने लगा- भोसड़ी के और दम लगा कर चोद मादरचोद … साले ने गांड का गुड़गांव कर दिया!

मैंने लंड की ठोकर देते हुए कहा- साली कमीनी … पहले तो नखरे दिखा रही थी कि मुझे गांड नहीं मरवानी. अब बोल रही है दम लगा कर चोद … ले बहन की लौड़ी लंड ले कमीनी … आंह तेरी मां को चोदूँ साली रंडी की जनी.

ऐसा कह कर मैं अंकिता की गांड पर चाटें मारने लगा और उसे जोर जोर से चोदने लगा.
वो भी मस्ती से गांड मरवाने लगा.

ऐसा करते करते हम दोनों 20 मिनट तक गांड चुदाई का मजा लेते रहे.
मैं लगातार उसकी चुत में उंगली करता रहा.

फिर मुझे लगा कि मेरा होने वाला है.
इतने में अंकिता झड़ चुकी थी.

अब मैंने अंकिता की गांड पकड़ कर 10-15 तेज शॉट लगाए और उसकी गांड में झड़ कर उसके ऊपर गिर गया.

फिर 5 मिनट बाद मैं अंकिता के ऊपर से हटा और अंकिता मेरे ऊपर आकर लेट गई.
उसने मुझे किस किया.

अंकिता- तुम्हें मजा आया जान?
ये बात अंकिता मेरे बालों में हाथ घुमा कर पूछ रही थी.

मैं- हां मुझे बहुत मजा आया, थैंक्यू जान.
मैंने अंकिता के होंठों को जोर से चूस लिया.

कुछ पल प्यार करने के बाद अंकिता उठ कर बाथरूम में जाने लगी पर उसे चलने में दिक्कत हो रही थी.

मैंने अंकिता को अपनी गोद में उठाया और उसे बाथरूम ले गया उधर उसे कमोड पर बिठा कर उसे सूसू करवाई.

फिर वापस गोद में उठा कर कमरे में ले आया.
वो मेरी इस बात से बड़ी खुश थी कि मैंने उसे गोद में उठाकर प्यार जताया था.

कुछ देर की चूमाचाटी के बाद हम दोनों एक बार फिर से सेक्स के मूड में आ गए और मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया.

चुदाई के दौरान ही वो बोली- विजय एक बार फिर से गांड मारो न!
मैंने फिर से उसकी गांड मारी और उसे मजा दिया.

उस दिन भी सुबह 5 बजे तक हम दोनों चार बार सेक्स किया.
फिर वह अपने घर चली गयी.

मैंने उसके जाते ही दरवाजा लॉक किया और सो गया.

सुबह दस बजे मेरी आंख दुबारा किसी के घंटी बजाने से खुल गई. मैंने गेट खोल कर देखा तो सामने ज्योति थी.

वो हाथ में नाश्ता लिए हुए थी.
मैंने उसे अन्दर बुलाया और नाश्ता करने लगा.

मैं- और ज्योति अब कैसा है दर्द?
ज्योति- कल तुम्हारे मालिश करने के बाद काफी आराम मिल गया था, पर अभी भी हल्का हल्का दर्द हो रहा है. अगर तुम आज भी मालिश कर दो तो अच्छा लगेगा.
मैं- ठीक है.

मैंने नाश्ता खत्म किया और ज्योति की मालिश करने के लिए उसे बेड पर लिटा दिया.

तेल को उसके पैरों पर लगाना शुरू किया, पर आज मैंने देखा ज्योति कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी.
जैसे जैसे मैं मालिश करता गया, ज्योति गर्म होती गयी.

धीरे धीरे मैं उसकी पैंटी को छेड़ता गया और धीरे से उसकी चुत में उंगली करने लगा.

ज्योति गर्म होने लगी और उसके चुचे ऊपर नीचे होने लगे, उसकी चूत से प्रीकम आने लगा.

फिर मैंने उसे छोड़ दिया और कहा- मालिश खत्म हुई.

मुझे ज्योति को तड़पाने मैं मजा आ रहा था, पर इस बार ज्योति को मुझ पर गुस्सा आ रहा था.
हालांकि वो कुछ नहीं कर पा रही थी.

उस दिन में मैं उसके घर खाना खाने गया.
खाना खाकर मैंने कहा- चलो मूवी देखते हैं.

पर अंकिता रात भर नहीं सोई थी इसलिए उसे नींद आ रही थी.
उसने मना कर दिया.

मैंने और ज्योति ने मूवी चलाई और हम दोनों देखने लगे.

हमने कमरे में अंधेरा करके एसी चला कर अपने ऊपर कम्बल डाल लिया.

फिर जैसे ही उस मूवी में सेक्सी सीन आए, मैंने ज्योति की जांघ पर हाथ रख दिया और सहलाना चालू कर दिया.

ज्योति ने भी कुछ नहीं कहा, बस मजे लेती रही.

मैं अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर ले जाकर उसकी पैंटी को छूने लगा.
फिर धीरे से एक उंगली पैंटी के ऊपर चूत की लकीर पर फिराने लगा.
इससे ज्योति बहुत ज्यादा गर्म हो गई.
उसका एक हाथ पकड़ कर मैंने अपने लोअर के ऊपर से लंड पकड़ा दिया पर ज्योति ने उसे छोड़ दिया.

मैं उसकी चुत पर उंगली फिराता रहा.
वो सिर्फ मजा ले रही थी.

मैंने धीरे से एक उंगली उसकी पैंटी के अन्दर डाल दी.
वो हल्की सी सिहरी.

मैं उस उंगली को उसकी चूत के आस पास फिराने लगा.
उसने टांगें खोल कर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया तो मैंने धीरे से उस उंगली को चूत में पेल दी और अपने लंड को ज्योति को पकड़वा दिया.
इस बार ज्योति लोवर के ऊपर से लंड सहलाने लगी.

अब मैंने अपनी दूसरी उंगली को भी उसकी चूत में कर दिया.

ज्योति इतनी गर्म हो गई कि थोड़ी देर में ही उसका काम तमाम हो गया.
जैसे ही उसका काम हुआ, वो उठ कर बाथरूम में चली गई.

फिर थोड़ी देर बाद जब वो बिस्तर पर आई, तो मैंने कहा- ज्योति तुम्हारा काम तो हो गया … पर मेरा क्या?
उसने कहा- दीदी आ जाएगी.

मैंने ज्योति से कहा- ठीक है, लेकिन कल सुबह जब तुम नाश्ता लेकर आओगी, तो हम बाकी का काम पूरा करेंगे.
उसने कुछ नहीं बोला.

मुझे लगा शायद ये करना तो चाहती है … लेकिन डर रही है.

कुछ देर बाद मैं घर आ गया और अंकिता ने रात को आने से मना कर दिया.
उसकी गांड में दर्द हो रहा था.

अगले दिन मैं सुबह ज्योति को चोदने के लिए रेडी था.
जैसे ही घर की घंटी बजी, मैंने दरवाजा खोला.
सामने अंकिता थी.

मैं मायूस हो गया.

नाश्ता के बाद मैंने अंकिता की मस्त चुदाई की और वो चली गई.

मुझे ज्योति के न आने से गुस्सा आ गया था.

फिर मैं जब दोपहर में खाना खाने गया तो मैंने ज्योति से बात नहीं की. मैंने ऐसा दिखाया कि मैं उससे नाराज़ हूँ.
मैं घर आ गया.

अभी मैं लेटा ही था कि घर की घंटी बज उठी.
मैंने दरवाजा खोल कर देखा तो सामने ज्योति खड़ी थी.

अब मैंने ज्योति की सील कैसे तोड़ी, वो बताता हूँ.

मैं रुखाई से बोला- हां बोलो, कैसे आना हुआ?
ज्योति- सॉरी मैं सुबह नहीं आ पाई लेकिन क्या हम वो काम कर सकते हैं?

मैंने ज्योति को खींच कर उसे किस करना आरम्भ कर दिया.
कुछ देर बाद मैं ज्योति को उठा कर अपने बेड पर ले गया.
मैंने उसे बेड पर पटक दिया और कपड़े उतार कर उस पर चढ़ गया.

हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे, मेरे हाथ उसके चुचों को ऊपर से दबाने लगे.

फिर मैंने ज्योति को पूरी नंगी कर दिया और उसके चुचों के ऊपर मानो टूट सा पड़ा.
कभी मैं उसके एक चुचे को चूसता, तो दूसरे को दबाता, कभी उसके निप्पल को उंगली के बीच में लेकर दबाता और उमेठ देता.

वो भी मजा ले रही थी.

मैं उसके पेट को किस करता हुआ नीचे आ गया और उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसा कर मजा लेने लगा.
ज्योति उछलने लगी.

मैं और नीचे आ गया और उसकी चूत पर पहले किस किया.
फिर धीरे धीरे उसकी चूत के आस पास अपनी जीभ फेरने लगा.

वो चुत उठाने लगी थी तो मैं धीरे से उसकी चूत मैं जीभ डाल कर चाटने लगा.
साथ ही अपनी एक उंगली भी उसकी चूत में डाल दी.

इस दोहरे हमले को ज्योति संभाल नहीं पाई और उसका पानी छूट गया जिसे मैंने पी लिया.

उसकी कुंवारी चुत के रस का स्वाद मुझे काफी अच्छा लगा.

फिर मैंने ज्योति से लंड चूसने को बोला तो ज्योति ने मना कर दिया.
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया क्योंकि ये हमारा पहला संबंध था.

मैं दुबारा ज्योति को किस करने लगा.

जब वो गर्म हो गई तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और धीरे धीरे जोर डालने लगा.
मुझे पता था यह ज्योति का पहली बार है तो मैंने धीरे धीरे चोदना शुरू किया.

फिर जैसे ही मेरे लंड का टोपा अन्दर गया, ज्योति की चीख निकल गई.
पर मैंने उसे किस करके उसकी चीख को दबा दिया.

मैंने अपने लंड को अन्दर धकेला पर चूत इतनी टाइट थी कि लंड मानो फंस सा गया था.

मैंने पूरी ताकत लगा कर एक शॉट मारा, तो ज्योति की सील टूट गई और उसका बुरा हाल हो गया.
उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे.

फिर मैंने आखिरी शॉट मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में डिस्को करने लगा था.
जब ज्योति थोड़ी सामान्य हुई तो मैंने उसके मुँह को छोड़ दिया.

ज्योति हांफती हुई बोली- आंह मुझे नहीं चुदाना!
मैंने बोला- जान जितना दर्द होना था, हो गया. अब नहीं होगा.

मैं ज्योति को किस करने लगा और उसके चुचे दबाने लगा.
जब मुझे लगा कि ज्योति सामान्य हो गई है तो मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.

ज्योति को फिर से दर्द होने लगा पर मैं अपने काम में लगा रहा.

कुछ देर बाद ज्योति का दर्द खत्म हो गया और उसे मजा आने लगा.

अब मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी और उसको जोर जोर से चोदना चालू कर दिया.

थोड़ी देर बाद मैंने ज्योति को घोड़ी बनाया और पीछे से एक ही बार में लंड अन्दर पेल दिया जिससे ज्योति को दर्द हुआ पर मैं ज्योति को चोदता रहा.

अब मुझे ज्योति की गांड दिखी तो मैंने अपनी एक उंगली उस लड़की की गांड में कर दी.
पहले ज्योति को दर्द हुआ, फिर मजा आने लगा.

अब ज्योति चुद भी रही थी और गांड में उंगली भी करवा रही थी.

दस मिनट बाद मैं ज्योति को ताबड़तोड़ चोदने लगा.
कुछ मिनट बाद मैं और वो एक साथ झड़ गए.

मैं ज्योति के बगल में लेट गया.
जब ज्योति उठी तो देखा बेडशीट पर खून लगा था और उसकी चूत सूजी हुई थी.
उसे खड़ा हुआ नहीं जा रहा था.

मैं उसे सहारा देकर बाथरूम तक लेकर गया. उधर गर्म पानी से उसकी चूत की सिकाई की.
फिर वो घर चली गई.

आगे मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने दोनों बहनों को एक साथ चोदा.

दोस्तो आपको मेरी ये जवान लड़की की गांड चुदाई कहानी कैसी लगी, मुझे मेल कर के जरूर बताएं.
मेरी जीमेल आईडी है [email protected]

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