देसी कामवाली की चुत चुदाई का मजा- 1

कोल्ड वाइफ नो सेक्स कहानी में पढ़ें कि शादी के 8 साल बाद मेरी बीवी की सेक्स के प्रति रुचि कम हो गई. मैंने अपने दोस्त से इस बारे में बात की तो उसने एक उपाय बताया.

नमस्कार दोस्तो, मैं कोमल मिश्रा अपनी एक नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.
मेरी पिछली कहानी
अन्तर्वासना से मिले दोस्त के साथ भरपूर चुदाई
को आप सबने इतना ज्यादा पसंद किया, उसके लिए धन्यवाद.

मैं उम्मीद करती हूं कि मेरी कहानियां पढ़कर आप लोग अपने सेक्स जीवन में नया जोश भर रहे होंगे और अपने सेक्स जीवन का पूरा मजा ले रहे होंगे.

आज की सेक्स कहानी मेरे एक पाठक और मेरे दोस्त दीपक जी ने भेजी है जो कि अपने सेक्स जीवन में काफी परेशान रहते थे लेकिन उन्होंने अपने एक दोस्त की मदद ली और आज एक अच्छा सेक्स जीवन जी रहे हैं.

उनकी असल जिंदगी की इस कोल्ड वाइफ नो सेक्स कहानी उनकी जुबानी सुनते हैं कि उनके साथ क्या क्या हुआ.

दोस्तो, मेरा नाम दीपक कुमार है और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं.
मेरी उम्र 48 वर्ष है और मैं एक बिजनेसमैन हूँ.
मेरे परिवार में मैं, मेरी बीवी और मेरा बेटा है. मेरी शादी को 27 साल हो गए हैं.

मेरे बेटे की उम्र 25 साल है और वो बाहर जॉब करता है.
मेरी लंबाई एक साधारण व्यक्ति के तरह ही है. लगभग 5 फ़ीट 6 इंच हाईट और वजन 80 किलो है.
मेरे लंड की लंबाई लगभग 8 इंच के करीब है, इसकी मोटाई भी अच्छी खासी है.

दोस्तो, शादी के पहले से ही मुझे सेक्स में कॉफी इंटरेस्ट रहता था और शादी के पहले भी मैंने बहुत बार सेक्स किया था.
शादी के बाद कुछ साल तक तो मैंने और मेरी बीवी दोनों ने सेक्स का भरपूर आनन्द लिया.
लेकिन शादी के लगभग 8 साल बाद मेरी बीवी की तबियत बिगड़ने लगी और उसकी सेक्स के प्रति रुचि कम होने लगी.

अब हाल ये हो गया था कि 3 से 4 महीने हो जाते थे और हम दोनों के बीच में कुछ भी नहीं होता था.
बीवी का तो बिल्कुल भी मन नहीं करता था लेकिन मैं सेक्स के लिए तड़पता रहता था.

मैं अपनी बीवी की हालत को देखते हुए उसे दोष भी नहीं दे सकता था.
मैं बस बाजार से चुदाई की कहानियों वाली किताबें लाकर पढ़ता और फोन में नंगी वीडियो देखकर बाथरूम में मुठ मार लेता.

बस ऐसे ही जिंदगी चल रही थी.
इस बात को लेकर मैं मन ही मन बहुत परेशान रहता था.

धीरे धीरे सब ऐसे ही चलता रहा और मेरा बेटा भी बड़ा हो गया. वो अपने काम में लग गया और घर पर अब मैं और मेरी बीवी ही रहते थे.
मैंने कई बार कोशिश की कि किसी और औरत से दोस्ती करूं लेकिन ऐसी कोई मिली ही नहीं.

मेरी आदत शराब पीने की हो गई और मैं आए दिन अपने सबसे अच्छे दोस्त नितिन के साथ शराब पीने लगा.

ऐसे ही एक दिन हम दोनों शाम को साथ बैठकर शराब पी रहे थे और बात चल पड़ी सेक्स की.
उस दिन मैंने अपने दोस्त नितिन को अपनी सारी बातें बताईं.

उसने मुझे बताया कि वो भी अपनी बीवी से उतना खुश नहीं है. सेक्स के मजे लेने के लिए उसने अपने घर पर एक नौकरानी रखी और उसके साथ बिंदास चुदाई करता है और उसे पैसों कपड़ों हर तरह से खुश रखता है.
मुझे उसकी बात सुनकर एक नौकरानी का ख्याल आने लगा.

फिर नितिन ने ही मुझसे कहा कि अगर मैं चाहूं तो मेरे लिए ऐसी ही किसी लड़की का इंतजाम कर सकता है.
मैंने भी जोश में आकर उससे हां बोल दिया.

नितिन ने अपनी नौकरानी से इस विषय में बात की और उसकी नौकरानी ने मेरे घर पर काम करने के लिए एक लड़की की तलाश शुरू कर दी.
मैंने भी अपनी बीवी को घर के काम करने के लिए एक नौकरानी रखने के लिए राजी कर लिया.

कुछ दिनों बाद मेरे दोस्त नितिन ने मुझे बताया कि उसकी नौकरानी ने किसी लड़की से बात की है और वो काम करने के लिए तैयार है.
बहुत जल्द वो उसे मेरे घर लेकर आएगी.

लेकिन दिक्कत एक बात की थी कि वो लड़की उस तरह की नहीं थी, मतलब चालू किस्म की नहीं थी.
इसके लिए नितिन ने मुझसे कहा कि तुझे उसे धीरे धीरे लाइन पर लाना होगा, अब ये तेरे ऊपर है.
मैंने भी एक चांस लेने की सोची कि अगर बात बनेगी तो ठीक है नहीं तो जैसा चल रहा है, वैसा ही चलता रहेगा.

दो दिन बाद ही नितिन की नौकरानी उस लड़की को लेकर मेरे घर आई.
दरवाजे की घंटी बजी और मैंने दरवाजा खोला.

सामने नितिन की नौकरानी और एक लड़की खड़ी हुई थी, जिसकी उम्र 20-22 साल थी.
दिखने में बिल्कुल साधारण न ज्यादा गोरी और न ज्यादा सांवली.
लेकिन उसका चेहरा बहुत प्यारा और मासूम लग रहा था.

मैंने दोनों को अन्दर बुलाया और उन्हें बैठाकर बात करने लगा.
मेरी बीवी भी आ गई और वो भी अपने हिसाब से उनसे बात करने लगी.

बातों से पता चला कि उसका नाम कविता है और वो 22 साल की एक विधवा है.
दो साल पहले उसके पति का देहांत हो गया और वो अपने माता पिता के साथ रहती है.
मेरी बीवी उससे घर के काम की बात कर रही थी मगर मेरी नजर उसके बदन की बनावट को गौर से देख रही थी.

उसका फिगर 32-28-34 का लग रहा था.
भरे हुए दूध पतली कमर और उभरी हुई उसकी गांड बड़ी दिलकश लग रही थी. उसका चेहरा बेहद मासूम और खूबसूरत था.
वो ज्यादा मोटी नहीं थी और उसका वजन मुश्किल से 50 किलो के आसपास था.

उसने साड़ी पहनी हुई थी और सामने आंचल में से थोड़ी सी उसके दूध की लाइन झलक रही थी.
भले वो गरीब घर से थी लेकिन अपने शरीर को साफसुथरा और व्यवस्थित ढंग से रखती थी.
उससे बात करने के बाद मेरी बीवी ने उसे काम करने के लिए हां कह दिया और अगले दिन से वो काम पर आने लगी.

मैं सोचने लगा कि ये लड़की अगर मुझे चोदने को मिल गई तो इस उम्र में मेरी तो किस्मत खुल जाएगी.
लेकिन ये सब अब मेरे ऊपर था कि मैं उसे इसके लिए किस तरह से तैयार करता हूँ.
अगर वो मना कर देगी तो मेरी किस्मत ही खराब होती.

वो सुबह सुबह मेरे घर आ जाती और शाम तक रहती.
घर का सारा काम कपड़े बर्तन खाना बनाना सब करती.

ऐसे ही पहले एक हफ्ता गुजरा, फिर एक महीना लेकिन उसने कभी मुझे गलत निगाह से नहीं देखा.
मेरी भी समझ नहीं आ रहा था कि उससे कैसे बात करूं या उसे अपने लाइन में कैसे लाऊं.

मैं उससे अब जानबूझकर बातें करता, उसके बनाए खाने की तारीफ करता.
वो भी मुझसे कुछ कुछ खुल रही थी और समय समय पर मुझे चाय के लिए पूछ लेती थी.
अगर मुझे थका हुआ देखती तो मेरा सर दबा देती.

कई बार उसने मेरे पैरों की मालिश भी की क्योंकि मेरे घुटनों में दर्द रहता था.
मेरी बीवी भी उस पर बहुत विश्वास करने लगी थी और उसे घर का सदस्य ही मानती थी.

ऐसे ही उससे बातों से पता चला कि उसकी शादी के 4 महीने बाद ही उसके पति का एक्सीडेंट में देहांत हो गया था.
मैं समझ गया कि इसका मतलब है उसने अभी चुदाई का ज्यादा मजा नहीं लिया होगा या हो सकता है कि उसका किसी और के साथ संबंध हो.

वो हमेशा साड़ी ही पहनती थी, जिसमें से उसकी कमर और उसका पेट दिखता था. पेट में उसकी गहरी नाभि मुझे बहुत सेक्सी लगती थी.

ऐसे ही लगभग 2 महीने बीत गए लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे मैं उससे कुछ कह पाता.

फिर एक दिन एक घटना हुई.

उसकी आदत थी कि वो घर की साफ सफाई करने के बाद नहाती थी, फिर खाना बनाती थी.
उस दिन मेरी बीवी की तबियत सही नहीं थी और वो नाश्ता करने के बाद कमरे में आराम करने के लिए चली गई.
कविता घर की साफ सफाई कर रही थी और मैं बैठा टीवी देख रहा था.

कविता फर्श पर पौंछा लगा रही थी. मेरी निगाह पड़ी तो मैंने देखा कि उसने अपनी साड़ी को घुटनों तक उठा लिया है और बैठकर पौंछा लगा रही है.
उसका ध्यान बिल्कुल भी मेरी तरफ़ नहीं था और वो अपने धुन में काम कर रही थी.

पहले उसकी पीठ मेरी तरफ थी लेकिन जल्द ही वो पलट कर पौंछा लगाने लगी.
मेरी निगाह उस पर ही टिक गई. उसकी साड़ी उसके घुटनों के ऊपर तक उठी हुई थी और उसकी चिकनी जांघें दिख रही थीं.
सीन देख मेरा लंड खड़ा होने लगा.

उसकी साड़ी ऊपर उठी थी तो दोनों पैरों के बीच से अन्दर तक दिखाई दे रहा था और मुझे उसकी चड्डी तक सब दिख रहा था.
मैं बस उसे देखता जा रहा था.

जल्द ही उसने अपना काम खत्म कर लिया और नहाने के लिए चली गई.
मेरे अन्दर हलचल पैदा हो चुकी थी और मैंने कुछ और करने की सोची.

जैसे ही कविता बाथरूम के अन्दर गई और दरवाजा बंद किया, मैं तुरंत उठा और अपनी बीवी को देखने गया.
मेरी बीवी गहरी नींद में सो रही थी.

मैंने उसके कमरे का दरवाजा बाहर से बंद किया और जल्दी से बाथरूम के पीछे वाली खिड़की पर पहुंच गया.
खिड़की पर मैं इसलिए गया था क्योंकि मुझे पता था कि खिड़की का थोड़ा सा कांच टूटा हुआ है और उसमें से अन्दर देखा जा सकता है.

मैं खिड़की पर गया और छेद से अन्दर देखने लगा.
उस वक्त तक कविता अपनी साड़ी और ब्लाउज निकाल चुकी थी.
अब वो पेटीकोट और ब्रा में थी.

उसके दूध ब्रा में इतने टाइट थे, जैसे ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगे.
जल्द ही उसने पेटीकोट ब्रा और चड्डी सब निकाल दिया.
अब वो बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और मेरी हालत उसे देखकर ख़राब हो रही थी.

गजब के दूध मस्त गांड और चिकना बदन.
उसकी चूत बिल्कुल छोटी सी थी, जिसमें हल्के बाल थे शायद कुछ दिन पहले ही उसने साफ किए होंगे.

वो नजारा देख मेरे लंड की बुरी हालत हो गई और वो लुंगी के अन्दर से ही तंबू बना कर अकड़ गया.
कविता ने बाथरूम का शॉवर चालू किया और नहाने लगी.
उसकी पीठ और गांड मेरी तरफ थी.

मैं चुपचाप खड़े होकर उसे देखता रहा.
जल्द ही कविता ने अपनी उंगली अपनी चूत में डाल दी और उंगली से ही अपनी चूत की चुदाई करने लगी.

मैं तभी समझ गया कि ये भी चुदाई के लिए तड़प रही है, तभी उंगली डालकर अपनी प्यास बुझा रही है.
मन तो कर रहा था कि अभी जाकर उसे चोद दूँ लेकिन अपने आप पर काबू करते हुए मैं सब कुछ देखता रहा.

जल्द ही कविता झड़ गई और फिर नहा कर कपड़े पहनने लगी.
मैं भी अन्दर कमरे में आ गया.

अब तो ये नजारा मेरे लिए आम हो गया बीवी से बचते हुए कई बार मैंने उसे नंगी नहाते हुए देखा.

फ़िर इसी तरह एक दिन मेरे घुटनों में काफी दर्द हो रहा था और मुझे काफी तकलीफ हो रही थी.
मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था और मेरी बीवी कविता को लेकर कमरे में आई.

कविता के हाथ में तेल की कटोरी थी.
मेरी बीवी ने कहा- कविता तुम्हारे घुटनों पर मालिश कर देगी, तुम्हें आराम मिलेगा.

इतना कहकर मेरी बीवी पास के मंदिर चली गई, जहां वो हर सोमवार को जाती थी.

मैं बिस्तर पर लुंगी पहने लेटा हुआ था और कविता मेरे पैरों के पास बैठकर लुंगी को मेरे घुटनों के ऊपर तक हटा दी और घुटनों पर तेल लगाने लगी.
उस दिन मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी हुई थी.

उसके कोमल कोमल हाथों का स्पर्श पाकर मेरे अन्दर हलचल पैदा होने लगी.
वो अपनी नजरें झुकाए मालिश कर रही थी और मैं उसे देखे जा रहा था.

बार बार उसका आंचल नीचे सरक जाता और वो उसे ठीक करती.
उसने जो ब्लाउज पहना हुआ था वो गहरे गले का था, जिससे उसके सामने से उसके चूचों का आधा हिस्सा दिखाई दे जाता था.

वो दृश्य देखकर मेरा लंड टाइट होने लगा और लुंगी में तंबू सा बनने लगा.
मेरे घुटनों पर काफी सारा तेल लगा हुआ था, जिससे उसका हाथ बार बार फिसल कर मेरी जांघों तक आ जाता, जिसे कविता जल्दी से हटा लेती.

अब मैंने खुद कहा- जरा ऊपर तक मालिश कर दो, यहां भी दर्द है.
अब कविता जांघ पर भी तेल लगाकर मालिश करने लगी.

अब उसकी नजर मेरे लुंगी पर बने तंबू पर पड़ी जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो चेहरा दूसरी तरफ करके मुस्कुराती हुई मालिश करने लगी.

वो इतनी नादान तो थी नहीं कि ये नहीं जानती कि ये तंबू क्यों बना हुआ है.
मैं भी आंख बंद करके सोने का नाटक करने लगा.

कुछ देर बाद शायद कविता को लगा कि मैं सो गया हूँ और उसके हाथ मालिश करते हुए लुंगी के अन्दर तक जाने लगे.
अचानक से उसका हाथ मेरे लंड से टकरा गया और उसने हाथ बाहर निकाल लिया क्योंकि मैंने चड्डी नहीं पहनी हुई थी.

फ़िर भी कविता मालिश करती रही.
मैं बिल्कुल शांत होकर ऐसे नाटक कर रहा था, जैसे कि गहरी नींद में सो गया हूँ.

कविता ने कुछ समय बाद फिर से मेरी लुंगी पर हाथ डाला.
इस बार उसने जानबूझ कर ऐसा किया था.
उसने बड़े हल्के हाथों से मेरे लंड को छुआ, जिससे मुझे पता न चले.

उसने अपनी उंगली से लंड की लंबाई और मोटाई का जायजा लिया और फिर दूसरे हाथ से लुंगी को हल्का ऊपर उठाई और लंड को देखने लगी.

मुझे भी अब लग गया था कि ये भी गर्म हो गई है, इसलिए तो इतनी हिम्मत से ऐसा कर रही थी.
अब मैंने ठान लिया था कि जब ये इतनी हिम्मत दिखा सकती है तो मुझे भी थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी, नहीं तो मेरा काम नहीं बनने वाला.

कुछ ही देर में कविता ने फिर से अपना हाथ लंड पर लगाया और इस बार उसने अपने हाथों से लंड को हल्के से थाम लिया.
मैंने बिजली की रफ्तार से अपना हाथ बढ़ाया और उसके हाथ को पकड़ लिया.
मुझे जगा हुआ देख वो डर गई और उसके चेहरे पर डर साफ साफ दिख रहा था.

मैंने प्यार से पूछा- ये सब तुम क्या कर रही थी कविता?
‘कुछ नहीं साहब जी, वो गलती से हाथ फिसल गया.’
‘गलती एक बार होती है, बार बार नहीं. मैं सब कुछ देख रहा था सोया हुआ नहीं था.’

वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी और बिस्तर से उठ खड़ी हुई.

लेकिन मैंने उसका हाथ नहीं छोड़ा और उससे बोला- देखो कविता डरने की कोई बात नहीं है. मैं ये सब किसी को नहीं बताने वाला. तुमने जो कुछ भी किया, ये बात हम दोनों तक ही रहेगी. मैं तुमसे बिल्कुल नाराज नहीं हूँ.
इतना सुन उसके चेहरे पर से घबराहट कुछ कम हुई.

वो बोली- साहब अब मुझे जाने दीजिए. मेरा हाथ छोड़िए मैडम देख लेंगी, तो बहुत बुरा होगा.
“वो इतनी जल्दी नहीं आने वाली, तुम बिल्कुल चिंता मत करो.”

“हो गया साहब जी, मुझे जाने दीजिए. मुझे काम करना है. अब ऐसा कभी नहीं करूंगी.”
“नहीं कविता, मैं तो चाहता हूं कि तुम ऐसा हमेशा करो.”
“क्या मतलब?”

“मतलब तुम समझती हो. इतनी छोटी भी नहीं हो.”
“नहीं साहब जी, ये सब नहीं हो सकता. आप मुझसे बहुत बड़े हैं, मैं आपकी बेटी जैसी हूँ.”

“उम्र से कुछ नहीं होता कविता, जो मुझे चाहिए वो तुम दे सकती हो और तुम्हें जो चाहिए मैं दे सकता हूँ. और ये बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी, ये मेरी जिम्मेदारी है.”
वो चुप रही.

मैं- मैं तुमसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा अगर तुम्हारा मन हो, तभी करना.
अब मैंने उसका हाथ छोड़ दिया लेकिन वो खड़ी रही.

मैं बिस्तर से उठा और उसके चेहरे को अपने हाथ में लेते हुए बोला- विश्वास करो मुझ पर, ये सब बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी.
उसने अपनी आंख बंद कर ली और मैं उसके होंठों पर अपने होंठों को रखने लगा.

एक दो बार तो उसने अपना चेहरा हटा लिया, फिर शान्त होकर खड़ी हो गई और मैं उसके होंठ चूमने लगा.
मैंने अपने हाथ से उसके कमर को पकड़ा तो वो मचल गई.

मैं उसके होंठों चूमने के बाद उसके चेहरे को बेइंतहा चूमने लगा.
अपने एक हाथ से उसकी कमर और पेट पर फिराते हुए मैं उसकी नाभि को उंगली से सहलाने लगा.

मैंने उसके एक दूध को ब्लाउज के ऊपर से ही दूसरे हाथ से सहलाना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोलना चाहा, तो उसने मना कर दिया.

फ़िर मैंने जैसे ही उसकी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी कमर तक उठाया, वो झटककर मुझसे दूर हो गई.
वो बोली- नहीं नहीं अभी ये सब मत कीजिए साहब, मैडम जी कभी भी आ सकती हैं. आप कुछ दिन इंतजार कीजिए.

मैंने उसे पकड़कर अपनी ओर खींचा और उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को मसलते हुए बोला- मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा. जब तुम बोलोगी तब ही कुछ करूंगा.
इतना कहकर मैंने उसे छोड़ दिया और वो दौड़कर बाहर भाग गई.

दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने उस कमसिन लड़की की चुदाई की और उसने किस तरह से मेरे मूसल लंड को झेला.

मेरी कोल्ड वाइफ नो सेक्स कहानी पढ़कर कैसा लगा, प्लीज़ मुझे मेल से बताएं.
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कोल्ड वाइफ नो सेक्स कहानी का अगला भाग: देसी कामवाली की चूत चुदाई का मजा- 2

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